Move to Jagran APP

बेली ब्रिज पर रार, क्रेडिट को लेकर तकरार

-भाजपा व तृणमूमल का दावा, हमारी सरका ने बनाया तो हमारी सरकार ने बनाया -आखिर, बनाया किसने? दूध का द

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 01:30 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 01:30 PM (IST)
बेली ब्रिज पर रार, क्रेडिट को लेकर तकरार
बेली ब्रिज पर रार, क्रेडिट को लेकर तकरार

-भाजपा व तृणमूमल का दावा, हमारी सरका ने बनाया तो हमारी सरकार ने बनाया

loksabha election banner

-आखिर, बनाया किसने? दूध का दूध पानी का पानी हुआ, मगर.. जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शहर के निकट माटीगाड़ा में बालासन नदी पर क्षतिग्रस्त हुए एनएच-31 के बालासन ब्रिज के विकल्प के रूप में बने बेली ब्रिज को लेकर रार पैदा हो गया है। इस छोटे से वैकल्पिक समाधान की क्रेडिट लेने को भाजपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच तकरार भरी होड़ लग गई है। भाजपा नेताओं का दावा है कि इसे केंद्र की भाजपा सरकार ने बनाया है तो तृणमूल कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इसे राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने बनाया है। यह क्रेडिट बटोरने के चक्कर में तो बीते तीन दिसंबर को उक्त नवनिर्मित बेली ब्रिज के उद्घाटन के समय हंगामा ही खड़ा हो गया। दार्जिलिंग के डीएम एस. पोन्नमबलम द्वारा फीता काट कर उक्त बेली ब्रिज का उद्घाटन करने के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेातओं व जनप्रतिनिधियों के मौजूद रहने पर भाजपा समर्थकों ने कड़ी आपत्ति जताई।

भाजपा की सिलीगुड़ी सांगठनिक जिला कमेटी के संयोजक व स्थानीय माटीगाड़ा के विधायक आनंदमय बर्मन ने सैकड़ों समर्थकों को एकत्रित कर वहां हंगामा खड़ा किया। उन्होंने स्थानीय विधायक यानी खुद को उक्त उद्घाटन समारोह में न्योता नहीं दिए जाने व शामिल नहीं करने पर रोष जताया। इसके साथ ही माटीगाड़ा पंचायत क्षेत्र के ब्रिज के उद्घाटन में सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र के प्रतिनिधियों के शामिल होने पर आपत्ति जताई। उस समय परिस्थिति को स्वाभाविक करने में पुलिस के पसीने छूट गए। इतने के बावजूद भाजपा वाले नहीं माने। उन्होंने वहां बड़ा सा बैनर लगाया है कि उक्त ब्रिज केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया है।

इधर, इस पूरे मामले की पड़ताल करने पर पाया गया कि, उक्त वैकल्पिक बेली ब्रिज का निर्माण राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के एनएच डिविजन-9 की ओर से कराया गया है। कोलकाता के माझेरहाट ब्रिज पर लगे लोहे के बेली ढाचे को खोल कर लाया गया है और यहां लगाया गया है। माझेर हाट ब्रिज पश्चिम बंगाल सरकार के पीडब्लूडी मतलब राज्य सरकार का ही है। इस आधार पर बालासन ब्रिज पर बना वैकल्पिक बेली ब्रिज राज्य सरकार का हुआ। माझेरहाट हाट से उसके ढाचे को लाने और यहां लगाने का खर्च भी राज्य सरकार के पीडब्लूडी विभाग ने ही किया है। कुल 67 लाख रुपये की लागत से 44 दिनों में यह काम किया गया। मगर, सवाल यह भी है कि, क्या एनएच-31 पर बनाए गए इस वैकल्पिक बेली ब्रिज का खर्च केंद्र सरकार से लिया जाएगा या नहीं? इस बारे में राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी के एनएच डिवीजन-9 के अधिकारियों का कहना है कि वह दोनों सरकार का बीच का मामला है।

इस पूरे मामले में सबसे अहम मुद्दा यह है कि, गत 20 अक्टूबर को भारी बारिश के चलते क्षतिग्रस्त हुए बालासन ब्रिज की चौड़ाई सात मीटर थी। मगर, उस पर बने वैकल्पिक बेली ब्रिज की चौड़ाई मात्र साढ़े चार मीटर ही है, जिस पर एक समय में दोनों ओर से वाहनों की आवाजाही संभव नहीं है। वहीं, ब्रिज की भार क्षमता भी इतनी ही है कि एक बार में एक ही ओर के वाहन को आवाजाही की अनुमति है। यह बेली ब्रिज भी कोई अलग से नहीं बनाया गया है बल्कि पहले के ही बालासन ब्रिज पर ही ढांचा सरीखा रख दिया गया है। बस यही किया गया है कि, बालासन ब्रिज का तीन नंबर पिलर जो जमीन में थोड़ा धंस गया है उस पर भार न पड़े। उसे बेली ब्रिज के ढांचे से बचाया गया है। बस, बात इतनी सी ही है। वाहनों की आवाजाही की बात करें तो केवल दो पहिया व चार पहिया हल्के वाहनों को ही उक्त बेली ब्रिज से जोन-आने की अनुमति है। अन्य सारे वाहनों को अभी भी नौकाघाट-मेडिकल मोड़ हो कर एशियन हाईवे-2 से ही गुजरना पड़ता है। मतलब, चले दो गज, ढिंढोरा तीन कोस। जनता की परेशानी जरा सी कम हुई है और क्रेडिट की होड़ आसमान पर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.