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पंचायत चुनाव में विमल गुरुंग गुट ने दर्ज कराई दमदार उपस्थिति

कैचवर्ड : राजनीति ------------------- -कालचीनी और नागराकाटा प्रखंड के कई पंचायतों में

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 09:05 PM (IST)
पंचायत चुनाव में विमल गुरुंग गुट ने दर्ज कराई दमदार उपस्थिति
पंचायत चुनाव में विमल गुरुंग गुट ने दर्ज कराई दमदार उपस्थिति

कैचवर्ड : राजनीति

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-कालचीनी और नागराकाटा प्रखंड के कई पंचायतों में जीती सीटें

- यदि केंद्रीय बलों की मौजूदगी में मतदान होता तो और सीटें मिलती

शिवानंद पांडेय,

सिलीगुड़ी : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा में दो गुट हो जाने के बाद भी ज्यादातर मोर्चा समर्थकों ने अपनी आस्था भूमिगत चल रहे मोर्चा नेता व गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के पूर्व मुख्य कार्यकारी विमल गुरुंग में जताई है।

ऐसा संकेत हाल ही में हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में देखने को मिला। इससे यह माना जा रहा हैं कि विमल गुरुंग का प्रभाव कम नहीं हुआ है। ऐसा उनके समर्थक मानते हैं। भाजपा के साथ गठबंधन कर गोजमुमो विमल गुरुंग गुट ने भाजपा के बैनर तले कालचीनी व नागराकाटा प्रखंड समेत डुवार्स क्षेत्र के विभिन्न ग्राम पंचायतों में पंचायत सदस्य की सीटों पर जीत दर्ज कराई। जबकि यह चर्चा जोरों पर थी कि गोजमुमो पर वर्चस्व विमल गुरुंग का कायम रहेगा या अब उनके खिलाफ ताल ठोंक रहे जीटीए बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के चेयरमैन विनय तमांग का आधिपत्य हो जाएगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पंचायत चुनाव के नतीजे से विनय तमांग गुट को करारा झटका लगा है।

गुरुवार को घोषित नतीजे से यह स्पष्ट हो गया कि मोर्चे के कुछ नेताओं के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी मोर्चा समर्थित मतदाताओं का एक बड़ा धड़ा विनय तमांग के प्रति नहीं, बल्कि विमल के प्रति आस्था रखता है। कभी गोजमुमो में नंबर दो का स्थान रखने व गोजमुमो केंद्रीय कमेटी के प्रचार सचिव रहे विनय तमांग के अलग गोरखालैंड मांग के प्रति नरम रूख अपनाए जाने के साथ ही मोर्चा के अंदर ही विनय तमांग के खिलाफ आवाज उठानी शुरू हो गई थी कि वे तृणमूल कांग्रेस के 'बी' टीम के रूप में काम कर रहे हैं। पंचायत चुनाव से पहले देखा भी गया कि कालचीनी ब्लॉक में गोजमुमो के कई नेता पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं पंचायत चुनाव के परिणाम से साबित हो गया कि विमल के सामने नहीं आने के बाद भी डुवार्स क्षेत्रों में उनके समर्थकों की कमी नहीं है। विमल गुट ने भाजपा के साथ मिलकर चुनावी चुनावी लड़ाई लड़ी। उसी समय तृणमूल ने दावा किया था कि कालचीनी इलाके में विमल का प्रभाव सीमित हो गया है। जबकि जयगांव एक नंबर ग्राम पंचायत में मोर्चा के साथ गठबंधन के आधार पर भाजपा को मिला थी सात सीट, जबकि जयगांव दो नंबर ग्राम पंचायत में तीन सीट। वहीं जयगांव के पास के मालंगी ग्राम पंचायत के 24 सीटों में से भाजपा-मोर्चा गठबंधन को 11 सीट मिली थीं, वहीं तृणमूल कांग्रेस को 10 सीट मिली। कालचीनी प्रखंड के गारोपाड़ा ग्राम पंचायत के कुल 20 सीटों में से भाजपा-मोर्चा गठबंधन को 10 सीटें मिली था, जबकि तृणमूल कांग्रेस को सात सीटों से ही संतोष करना पड़ा। दलसिंगपाड़ा ग्राम पंचायत के 13 सीटों में भाजपा को आठ सीट व तृणमूल कांग्रेस को पांच सीट प्राप्त हुई थी।

इसी तरह से नागराकाटा प्रखंड के चंपागुड़ी ग्राम पंचायत के 25 सीटों में भाजपा-मोर्चा गठबंधन को 16 सीटें तो तृणमूल को मात्र नौ सीटें मिली।

इस बारे में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा केंद्रीय कमेटी के सदस्य व विमल गुरुंग समर्थक मधुकर थापा ने बताया कि पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के ¨हसा व अराजकता के बाद भी कई सीटों पर मोर्चा समर्थित उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। अगर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी में मतदान कराया जाता तो और सीटें मिलती।


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