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विधान मार्केट मामले में मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेप

-कहा अवैध निर्माण तोड़ने से पहले व्यवसायी समिति के साथ बैठक कर हो बातचीत -विधान मार्केट व्यवसा

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 09:44 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 06:15 AM (IST)
विधान मार्केट मामले में मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेप
विधान मार्केट मामले में मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेप

-कहा, अवैध निर्माण तोड़ने से पहले व्यवसायी समिति के साथ बैठक कर हो बातचीत

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-विधान मार्केट व्यवसायी समिति ने व्यक्त की प्रसन्नता, जताया हाíदक आभार

-एसजेडीए वाइस चेयरमैन ने कहा, कानूनी कार्रवाई अपनी जगह है, विकास अपनी जगह

-विधान मार्केट में स्थापित की जाएगी विधान चंद्र रॉय की 20 फीट ऊंची प्रतिमा

-ओल्ड बस स्टैंड को किया गया है चिन्हित, वहा होगी अत्याधुनिक पाìकग व्यवस्था

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शहर के विधान मार्केट मामले में अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं हस्तक्षेप किया है। उन्होंने सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) को निर्देश दिया है कि विधान मार्केट में अवैध निर्माण को तोड़ने से पहले व्यवसायियों संग बैठक कर बातचीत की जाए। उसके बाद ही आवश्यक कदम उठाए जाएं। इस पर विधान मार्केट व्यवसायी समिति की ओर से अध्यक्ष चित्तरंजन दास ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति हाíदक आभार जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि हम यह भी चाहेंगे कि एक बार किसी भी तरह से समय निकाल कर मुख्यमंत्री स्वयं इस मार्केट का जायजा लें और यहा की समस्याओं का आवश्यक समाधान निकालें।

उल्लेखनीय है कि राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने विधान मार्केट में अवैध निर्माण पर गहरा रोष जताया था। इसके विरुद्ध उन्होंने सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) व दाíजलिंग जिला प्रशासन के साथ बैठक कर आवश्यक कदम उठाने व अवैध निर्माण को तोड़ने का भी निर्देश दिया था। उसके तहत एसजेडीए के चेयरमैन विजय चंद्र बर्मन के नेतृत्व में एसजेडीए की टीम ने विधान मार्केट में जा कर अवैध निर्माण का जायजा भी लिया था।उन्होंने अवैध निर्माण तोड़े जाने व आवश्यक कार्रवाई करने की बात भी कही थी। एसजेडीए के इस कदम का विधान मार्केट व्यवसायी समिति ने विरोध किया था। वहीं, कई व्यवसायियों ने इसे लेकर अदालत में भी मुकदमा दायर कर रखा है।

इस बारे में एसजेडीए के वाइस चेयरमैन नाटू पाल ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि विधान मार्केट के मामले में मुख्यमंत्री, हमारे पर्यटन मंत्री व एसजेडीए चेयरमैन का जो निर्देश होगा उसके अनुरूप ही कदम उठाए जाएंगे। कुछ व्यवसायियों ने अवैध निर्माण के मामले में कार्रवाई को अदालत में चुनौती दे रखी है। कानूनी कार्रवाई अपनी जगह होगी ही। इधर, विकास कार्य भी अपनी जगह होंगे। विधान मार्केट के कायाकल्प को लेकर बहुप्रतीक्षित योजना हैं जिसे चरणबद्ध रूप में अमली जामा पहना कर साकार किया जाएगा। इसके तहत, सबसे पहले विधान मार्केट के संस्थापक पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय की 20 फीट ऊंची प्रतिमा विधान मार्केट में स्थापित की जाएगी। वहीं, ओल्ड बस स्टैंड जो कि वर्तमान ऑटो स्टैंड है, वहा पर अत्याधुनिक पाìकग की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा भी खुदीराम पल्ली इलाके में कायाकल्प किया जाएगा। हम लोग व्यवसायी समिति के साथ, व्यवसायियों के साथ बैठक करने, उनकी बातें सुनने और आम सहमति से विधान मार्केट के कायाकल्प हेतु बेहतर कदम उठाने को तत्पर हैं। व्यवसायियों की म्यूटेशन संबंधी मागें हैं। उस पर भी विचार किया जाएगा। याद रहे कि हफ्ते भर पहले ही राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा था कि सिलीगुड़ी शहर के हृदय स्थल पर बसे विधान मार्केट में अवैध निर्माण के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) ने इसकी कवायद भी शुरू कर दी है। शहर के बीचों-बीच आठ से नौ एकड़ के विशाल भूभाग पर स्थित विधान मार्केट को बहुमंजिला बनाने का राज्य सरकार का लक्ष्य है। इस हेतु 534 करोड़ रुपये की योजना के लिए प्रथम चरण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा 50 करोड़ रुपये वर्ष 2012 में ही आवंटित किए जा चुके हैं। मगर, कुछ असामाजिक व्यवसायियों के चलते आम व्यवसायियों संग सहमति नहीं बन पा रही है और योजना लंबित पड़ी है। वर्तमान कोरोना महामारी की परिस्थिति के थोड़ा संभलते ही विधान मार्केट को दुरुस्त किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि विधान मार्केट में 90 प्रतिशत व्यवसायी ईमानदारी से व्यवसाय करना चाहते हैं। मगर, 10 प्रतिशत असामाजिक व्यवसायी भी हैं जो बेईमानी पर तुले हैं व औरों को गुमराह कर रहे हैं। उनके चलते पूरे मार्केट व पूरे शहर का नुकसान हो रहा है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसके विरुद्ध कठोर से कठोर कदम उठाने को शासन प्रशासन तैयार है।

इस हेतु उन्होंने राज्य के पूर्व मंत्री और सिलीगुड़ी नगर निगम के निवर्तमान मेयर व वर्तमान प्रशासकीय समिति के चेयरमैन अशोक भट्टाचार्य का नाम न लिए बगैर उन पर भी निशाना साधा था। कहा था कि, जो लोग शुरू से ही विधान मार्केट को उपेक्षित रखते आए हैं वे अब भी इसके विकास को रोकना चाह रहे हैं। एक, दो नहीं बल्कि 20 साल तक शहरी विकास विभाग, सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण संभालने के बावजूद विधान मार्केट के कायाकल्प हेतु एक पत्थर तक नहीं लगाया। अब जब हमारी मा-माटी-मानुष की नेत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार शहर के हृदय स्थल पर बंगालियों के मुख्य व्यवसाय केंद्र विधान मार्केट का कायाकल्प कर वहा बहू बहुमंजिला मार्केट कायम करना चाह रही है तो उसमें अड़ंगा डाला जा रहा है। यह सही नहीं है। आम जनहित के विरोध में हैं। इसके खिलाफ शासन प्रशासन जल्द से जल्द कठोर से कठोर कदम उठाएगा। क्या कहते हैं व्यवसायी समिति के अध्यक्ष

इधर, विधान मार्केट में योजना के कार्यान्वयन के संबंध में व्यवसायी समिति के अध्यक्ष चितरंजन दास ने कहा कि हम लोग भी विधान मार्केट का कायाकल्प चाहते हैं। मगर, इसके लिए वर्ष म 2013 में ही व्यवसायी समिति की ओर से जो प्रारूप सरकार को दिया गया था उस पर सरकार ने अब तक कोई विचार नहीं किया है। उस पर यदि विचार किया जाता तो आज जो शहर में पाìकग की भयावह समस्या है वह समस्या ही नहीं रहती। इसके साथ ही विधान मार्केट, विधान रोड व संलग्न सेवक रोड और हिलकार्ट रोड इलाके का भी कायाकल्प हो जाता। विधान मार्केट में अवैध निर्माण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण कुछ भी नहीं है। बहुत दिनों से, और इधर बारिश के चलते कुछ लोगों की दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई थीं जिसकी मरम्मत कराई गई है। यदि उस पर अवैध निर्माण का आरोप है तो वह मामला भी अदालत में लंबित है। अदालत इस पर विचार करेगी।

कायाकल्प की योजना स्पष्ट नहीं

दास ने यह भी कहा कि विधान मार्केट के कायाकल्प के लिए सरकार की जो योजना है वह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। कहा जा रहा है कि बहुमंजिला मार्केट बनाया जाएगा। मगर, उसमें किसे कहा जगह मिलेगी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। जो लोग 50 साल से भी अधिक समय से भू-तल पर जहा और जितनी जगह पर व्यवसाय कर रहे हैं, उन्हें उनकी जगह पर ही रखा जाएगा या उनकी जगह कहीं और कर दी जाएगी? इस बाबत कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में अनिश्चितता की डगर पर आगे बढ़ने की सहमति व्यवसायी कैसे दे दें। हम चाहेंगे कि सरकार इस पर पुनíवचार करे। व्यवसायियों के साथ बैठक कर आम सहमति से ही बेहतर कदम उठाए।


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