जब यूएन में फैली सिलीगुड़ी की मिट्टी की खुशबू
-शैलेश सिंहल ने लहराया भारत का परचम -विश्व के कई दिग्गजों को कुल्हड़ किया भेंट -संय
-शैलेश सिंहल ने लहराया भारत का परचम
-विश्व के कई दिग्गजों को कुल्हड़ किया भेंट
-संयुक्त राष्ट्र के महासचिव भी हुए मुरीद
-सिंगल यूज प्लास्टिक का सुझाया विकल्प जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन 2019 इस बार जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण समेत कई कारणों से सुर्खियों में रहा। पिछले महीने सितंबर में एक तरफ जहां भारत ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में पर्यावरण को लेकर अपना दृष्टिकोण धमाकेदार तरीके से दुनिया के सामने रखा तो दूसरी ओर सिलीगुड़ी के युवा शैलेश सिंहल ने सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प पेश कर दुनिया के तमाम हस्तियों को यह बताने का काम किया कि भारत के पास सिर्फ दृष्टिकोण ही नहीं बल्कि समाधान भी है। यूथ ऑफ इंडिया के संस्थापक व मेवाड़ लॉ कॉलेज, दिल्ली के छात्र शैलेश सिंघल संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्यूयार्क पहुंचे थे। दअसल युनाईटेड नेशन्स की द यूथ कलाईमेट समिट के लिए विश्व भर से इस दिशा में काम कर रहे युवा कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था। दुनिया के कई देशों के युवा अपने खास विजन के साथ वहां पहुंचे हुए थे। इसमें शैलेश सिंहल भी एक रहे। सिलीगुड़ी के वार्ड नंबर 13 निवासी शैलेश भारत से मिट्टी का कुल्हड़ लेकर वहां पहुंचे थे। यूथ ऑफ इंडिया का लोगो लगा स्टाइलिश मिट्टी के कुल्लहड़ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, भूटान के प्रधानमंत्री, यूएन एंवायरमेंट प्रोग्राम के असिस्टेंट सेक्रेटरी जनरल सत्या त्रिपाठी, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सदभावना दूत दीया मिर्जा को उन्होंने भेंट किया। इससे सभी प्रभावित नजर आए। एक तरह से कहा जाए तो सिंहल ने भारत की मिट्टी की खुशबू को संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचाया था। वो भी खासकर सिलीगुड़ी की मिट्टी की खुशबू।
उन्होंने उन व्यक्तित्व के समक्ष अपने विचार साझा किए तथा उन्हे बताया कि मिट्टी के चुनिंदा बर्तनों को फिर से व्यवहार में लाकर सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे से दुनिया को बचाया जा सकता है। मिट्टी के कुल्हड़ प्लास्टिक बोतल के विकल्प हो सकते हैं। भारत जैसे देशों यह पहले से ही काफी प्रचलन में था, लेकिन वैश्वीकरण के दौर में इसकी जगह प्लास्टिक ने ले ली है। इतना ही नहीं चाहे तो इसे विशेष आयोजनों में शामिल करके प्लास्टिक के गिलास जैसे अपशिष्ट पदार्थो को अपने जीवन से हटा सकते है। भले ही भारत के लोगों के लिए मिट्टी का कुल्हड़ आम चीज है, लेकिन न्यूयार्क पहुंचे तमाम दिग्गजों को साधारण कुल्हड़ ने प्रभावित किया। देशी व विदेशी मीडिया ने शैलेश के विचारों को प्राथमिकता दी। सिंहल के खास विचार व उनके कार्य उर्जा को देखते हुए यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स व माई वर्ल्ड 2030 एशिया पैसिफिक एडवोकेशी से उन्हे जोड़ा गया है। वर्ल्ड 2030 एशिया-पैसिफिक एडवोकेसी प्रोग्राम यूएनडीपी बैंकाक रीजनल हब, यूएनवी एशिया-पैसिफिक और यूएन एसडीजी एक्शन कैंपेन एक ऐसी श्रृंखला है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करना है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में युवाओं को सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के प्रति क्रियांवित करना है।
महानंदा को बचाने की पहल
शैलेश का कहना कि वह अपने जीवन में कुछ खास करना चाहते थे, यही वजह रही कि वह यूथ ऑफ इंडिया के नाम से एक गैर सरकारी संगठन बनाया। इसके जरिये वह लगातार पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करते आ रहे है। सिलीगुड़ी से उनकी यात्रा शुरू हुई है। वह सिलीगुड़ी में महानंदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के के कई तरह के पहल कर चुके है। प्लास्टिक को रोकने के लिए अन -प्लास्टिक अभियान चलाने से लेकर तुलसी के पौधों के वितरण के जरिये मानव के विचार व पर्यावरण को शुद्ध करते आ रहे हैं। उनके मिशन में युवा वर्ग का भरपूर साथ मिल रहा है। यूएन यूथ जलवायु शिखर सम्मेलन में महान हस्तियों के बीच शामिल होना उनके लिए गर्व की बात है।
पिछले महीने न्यूयार्क में हुई थी बैठक
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत समेत पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित है। पिछले महीने 21 से 23 सितंबर तक न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। सभी ने एक सूर से पृथ्वी को सुरक्षित व संरक्षित करने का संकल्प दोहराया। भारत की ओर से भी जलवायु परिवर्तन पर अपनी राय रखी गई तथा उसे विश्व के देशों ने सराहा।