शहर में अनफिट गाड़ियों ने लिया यमराज का रूप
-यूनियन और सिंडिकेट के कारण कार्रवाई में परेशानी -ट्रैक्टर ट्रॉलियों की आवाजाही से भी जा
-यूनियन और सिंडिकेट के कारण कार्रवाई में परेशानी
-ट्रैक्टर ट्रॉलियों की आवाजाही से भी जान जोखिम में
-पंजीकरण कृषि कार्य के लिए लेकिन उपयोग माल ढुलाई में
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
सिलीगुड़ी महकमा में यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रही अनफिट गाड़ियां। इन दिनों हिल्स हो या समतल या फिर डुवार्स का क्षेत्र इस प्रकार की गाड़ियां यमराज बनीं हुई हैं। किसी भी गाड़ी की फिटनेस जान और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। इसके लिए कानून भी बनाया गया और फिटनेस जाच की व्यवस्था भी की गई है। लेकिन इस राज्य में यूनियन और सिंडिकेट के चक्कर में अच्छे अधिकारियों को भी भ्रष्टाचार के पथ पर दौड़ाने की कोशिश की जाती है। इसका ही नतीजा होता है कि वाहन प्रदूषण जाच महज एक खानापूरी बनकर रह गई है। फिटनेस जांच में जो गाड़ियां अनफिट हो जाती हैं, वह भी सिंडिकेट के संरक्षण में लगातार सड़कों पर दौड़ती रहती हैं। इसके अलावा सड़कों पर नियमों से अंजान दौड़ रही ट्रैक्टर ट्रॉलिया भी दुर्घटना का सबब बन रही हैं। ट्रैक्टर व ट्रेलर के लिए कृषि व व्यवसायिक इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग पंजीयन किया जाता है। ट्रेलर के पीछे रिफ्लेक्टर लगाना अनिवार्य होता है, लेकिन यहां निबंधित करीब 3500 ट्रैक्टर एवं करीब 2800 ट्रेलर में रिफ्लेक्टर नजर नहीं आता है। इस पर भी ओवरलोड बालू, गिट्टी, ईंट, सीमेंट, छड़ व अन्य सामानों को ढ़ोया जाता है। जिले में अधिकाश ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए निबंधित हैं। लेकिन इसका उपयोग व्यवसायिक वाहन के रूप में किया जा रहा है। इसकी जाच परिवहन विभाग द्वारा कभी नहीं की जाती है। बेतरतीब और बेखौफ होकर दौड़ते ट्रैक्टर में चालक न तो रिफ्लेक्टर लगवा रहे हैं और न ही इनकी गाड़ियों में रात में दोनों लाइटें जलती हैं।
इसकी साथ ही नशे में वाहन चलाना खतरे से कम नहीं है। वर्तमान समय में सड़क पर फर्राटा भरने वाले दोपहिया वाहन चालक से लेकर चारपहिया, ट्रक व बसों के अधिकतर चालक नशे का सेवन कर सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। हद तो यह है कि चालक के बदले खलासी ट्रक, ऑटो और ट्रैक्टर चलाने से गुरेज नहीं करते। ऐसे सड़क दुर्घटनाओं को किस्मत मान लेना ठीक नहीं है। इसे रोकना हमारे ही हाथ में है। विशेषज्ञों की मानें तो 80 प्रतिशत दुर्घटनाएं वाहन चालक की लापरवाही से होती हैं। पिछले पाच साल में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसी दुर्घटनाओं की मुख्य वजह यातायात नियमों की अनदेखी है। इसके पीछे तेज रफ्तार, नशे में ड्राइविंग और गलत दिशा में गाड़ी चलाना मुख्य कारण हैं। इसे रोका भी जा सकता है। इसके लिए गति सीमा, सीट बेल्ट लगाना, ड्राइविंग के समय मोबाइल से परहेज , हेलमेट पहनना, नशे में ड्राइविंग न करना जैसे नियमों का कठोरता से पालन कराना जरूरी है।
दलालों का है बोलबाला
फिटनेस के मामले में कायदा तो यही है कि व्यावसायिक वाहन की खरीद के दो साल बाद संभागीय परिवहन विभाग का तकनीकी सेल फिटनेस चेक करे। बाद के वर्षो में हर साल जाच करनी होगी। गाड़ी मे किसी प्रकार की कमी मिलने पर 4000 रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है। निजी वाहनों में लाइट, रिफ्लेक्टर, हॉर्न, इंडीकेटर चेक करने के लिए प्रवर्तन दस्ता है। इसके लिए शहर के परिवहन नगर में सोमवार से शुक्रवार दो एमवीआई इंस्पेक्टर की मौजूदगी में गाड़ियों की जांच की जाती है। आरोप है कि यहां दलालों के चक्कर में जांच सिर्फ खानापूरी तक ही सीमित रहती है। जांच के दौरान डेढ़ सौ से 180 वाहनों तक जांच कर कागजात दिए जाते हैं। इस दौरान दिन के तीन बजे से देर शाम तक काम करना पड़ता है। जो वाहन अनफिट नजर आता है उसे दोबारा कमियों को पूरा करने के बाद ही आने को कहा जाता है।
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क्या है फिटनेस नियम
एमवीआई इंस्पेक्टर पार्थो प्रतिम ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम धारा 56 के तहत वाहनों का पंजीकरण वाहन फिटनेस की मान्य अवधि तक रहता है। यदि वाहन फिटनेस की अवधि समाप्त हो गई है तब वाहन का पंजीकरण भी निरस्त माना जाता है। निजी वाहन में फिटनेस की अवधि 15 वर्ष तक मान्य रहती है। 15 वर्ष बाद वाहन का निरीक्षण किया जाता है जो अगले पाच वर्ष तक प्रमाणित करता है। जबकि व्यवसायिक वाहन का पहला फिटनेस दो वषरें तक मान्य रहता है। इसके बाद हर वर्ष नवीकरण कराना अनिवार्य होता है। वाहनों की तकनीकी जाच के बाद ही फिटनेस प्रमाण पत्र मोटरयान निरीक्षक के द्वारा निर्गत किए जाने का प्रावधान है। --------------------- फिटनेस के नाम पर किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाती। हां यह जरूर है कि कई ऐसी कई गाड़ियों में ज्यादा ज्यादा धुंआ निकलने की समस्या देखी जाती है। परंतु चालक के पास इसके आवश्यक कागजात रहने पर कुछ नहीं कहा जाता। फिटनेस के डर से कई गाड़ियां यहां नहीं पहुंचतती। ऐसी गाड़ियां भी सड़कों पर दौड़ती नजर आती है। जब इनको पकड़ा जाता है तो मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। - विराज सरकार,इंस्पेक्टर,एमवीआई
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ड्राइविग लाइसेंस हो या फिटनेस चेक,इसकी एक प्रक्रिया है। पूरी प्रक्रिया के बाद ही फिटनेस देने का प्रावधान है। बिना लाइसेंस के अभिभावक अपने बच्चों को वाहन चलाने दे देते हैं। इसके प्रति सभी को सजग होना होगा। कई बार नवीकरण के लिए लाइसेंस आते है जो मिलान करने पर गलत पाए जाते हैं। उसे रद्द करना पड़ता है। मेरी बार-बार लोगों से यही अपील है कि लाइसेंस बनाने या फिटनेस के लिए किसी दलाल के चक्कर में ना पडं़े।
- नवीन अधिकारी, एआरटीओ सिलीगुड़ी।