कूचबिहार में छठ घाट पर बांस का पुल टूटने के मामले में दो तृणमूल नेता गिरफ्तार
फांसीघाट इलाके में तोर्षा नदी पर छठ व्रतियों के लिए बनाए गए बांस पुल के टूटने के मामले में पुलिस ने दो तृणमूल नेता को गिरफ्तार किया। ये दोनों पेशे से ठेकेदार है।
कूचबिहार, जेएनएन। फांसीघाट इलाके में तोर्षा नदी पर छठ व्रतियों के लिए बनाए गए बांस पुल के टूटने के मामले में पुलिस ने दो तृणमूल नेता को गिरफ्तार किया। ये दोनों पेशे से ठेकेदार है। वही बांस के पुल टूट जाने के बाद फौरन उसे बनाया गया। रविवार सुबह छठ व्रतियों के लिए उस पुल से आवाजाही की। इस दिन कोतवाली थाना के आईसी सौम्यजीत दत्त में काफी संख्या में पुलिस बल वहां पर मौजूद थे।
इस दिन जिला पुलिस अधीक्षक संतोष निम्बालकार ने कहा कि छठ पूजा से पहले उन्होंने उस पुल का निरीक्षण किया था। उस समय उन्होंने निर्माण कर रहे ठेकेदार को बताया कि यह कभी भी मुसीबत बन सकती है। इस घटना में जो भी दोषी है। उसे सजा दी जाएगी।
वही दूसरी ओर श्रद्धालुओं के शिकायत के आधार पर कूचबिहार कोतवाली थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इस बारे में उत्तर बंग विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कहा कि अचानक नदी में पानी बढ़ने एवं पुल के उपर अधिक लोगों के चढ़ने से यह मुसीबत बनी। इसके बाद सरकारी अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद उसे फौरन बनाया गया।
वही कूचबिहार नगरपालिका के चेयरमैन भूषण सिंह ने पुल के टुटने में किसी प्रकार की लापरवाही मानने से इंकार करते हुए कहा कि एक साथ अधिक लोग के चढ़ने पर यह दुर्घटना घटी। केवल नगरपालिका पर दोष मढ़ने से नहीं होगा।
मालूम हो कि शनिवार शाम को कूचबिहार नगरपालिका की ओर से तोरसा नदी पर छठ व्रतियों के लिए बनाया गया अस्थाई बांस का पुल अचानक टूट कर गिर पड़ा। इस घटना में सैकड़ों लोग नदी में गिर गए। तुरंत उन्हें सकुशल निकाला गया।
रायगंज विवि के अनियमितता मामले में जांच के आदेश
रायगंज विश्वविद्यालय के विरुद्ध अनियमितता के आरोप को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को जांच का निर्देश दिया है। वहीं इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए रायगंज विधायक मोहित सेनगुप्त ने 6 नवंबर को राज्यपाल जगदीप धनकड़ से मिलकर गुहार लगाएंगे। इस सन्दर्भ में मोहित सेनगुप्त ने बताया कि रायगंज विश्वविद्यालय में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार चरम पर है और इस मामले में सीधे उपकुलपति और कतिपय अध्यापक जुड़े हुए हैं।
आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अवैध रूप से इलाके वासियों की जमीन दखल कर रखी है, नियमानुसार ई-टेंडर के बिना ही भवन निर्माण कराया गया। मोटी रकम के विनिमय में निर्माण कार्य पसंदीदा ठेकेदार को दिया गया. अध्यापक एवं कर्मचारियों की नियुक्ति में सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया। छात्रों की दाखिला और पी एच डी कार्य में भी धांधली की गई।
इसकी शिकायत केन्द्रीय मानव संसाधन विकास विभाग से भी की गयी थी, जिसके आलोक में जांच का निर्देश जारी किया गया है। जांच में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इसलिए प्रदेश के राज्यपाल व कुलाधिपति माननीय जगदीप धनकड़ से मिलकर हस्तक्षेप करने का आग्रह करेंगे। उसी दिन उन्हें आरोपों के सारे साक्ष्य सौंप देंगे. इस सन्दर्भ में रायगंज विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दुर्लभ सरकार ने कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद व पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं. विश्वविद्यालय के सारे कार्य नियम के दायरे में ही किए गए हैं अतएव आरोपों के सन्दर्भ में सारे तथ्य डेढ़ माह पहले ही मानव संसाधन विकास विभाग व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास भेज दिया गया है।