चाय बागान बंद से परेशानी, चाय पत्ती नहीं पत्थर तोड़ने लगे बांदापानी बागान के श्रमिक
डुवार्स के बांदापानी चाय बागान का अधिग्रहण लगभग चार वर्ष पहले हुआ लेकिन अभी तक बागान नहीं खुल सका। बागान के श्रमिक काफी कष्टमय जीवन बिताने तो विवश हैं
वीरपाड़ा, संवाद सूत्र। डुवार्स के बांदापानी चाय बागान का अधिग्रहण लगभग चार वर्ष पहले हुआ लेकिन अभी तक बागान नहीं खुल सका। बागान के श्रमिक काफी कष्टमय जीवन बिताने तो विवश हैं। बाल - बच्चों का पेट भरने के लिए श्रमिक बांदापानी चाय बागान के पास ही बहनेवाली खानाभर्ती नदी में पत्थर तोड़ रहे हैं।
दूसरी ओर कई श्रमिक काम की तलाश में दूसरे राज्य में चले गए हैं। बांदापानी बागान बंद रहने के कारण बागान की फैक्ट्री की स्थिति जर्जर हो चुकी है। फैक्ट्री की टीन का छत टूट गया है। फैक्ट्री परिसर में घास- फूंस उग आया है। 17 अक्टूबर 2014 में बांदापानी चाय बागान के फैक्ट्री समेत आवश्यक सामग्री अधिग्रहण कर ली गई थी। बागान की संपत्ति अधिग्रहण के बाद श्रमिकों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं।
अधिग्रहण के चार वर्ष बाद भी बागान नहीं खुल सका है। इससे बागान के कर्मचारी निराश हैं। बागान के चाय श्रमिक विधान एक्का, रूमकी कुजूर, शुकरा खड़िया ने कहा कि बागान अधिग्रहण के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से लेकर सरकारी प्रतिनिधि तक बागान में आकर कई आश्वासन दे गए, लेकिन बागान नहीं खुला। इससे निराश होकर मजदूर बागान को लेकर और नहीं सोचते हैं। उन्होंने खुद को किस्मत पर छोड़ दिया है। बागान के कुछ श्रमिकों के अनुसार, एक मार्च को कोलकाता में डंकंस ग्रुप के चाय बागानों को लेकर बैठक होनी है। इस बैठक में बांदापानी चाय बागान के खुलने पर चर्चा हो सकती है।
ओलावृष्टि से नागराकाटा के चार चाय बागानों को भारी नुकसान
बुधवार की सुबह लगभग एक घंटे तक हुई आलोवृष्टि व तूफानी हवा चलने से नागराकाटा के चार चाय बागानों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। क्षतिग्रस्त चाय बागानों में होप, जीती, नया साइली व हिला चाय बागान शामिल है। कुल मिला कर करीब 600 हेक्टेयर चाय बागानों को ओलावृष्टि से नुकसान पहुंचा है। करोड़ों का नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि में सिर्फ चाय बागानों में ही नहीं बल्कि सैंकड़ों श्रमिक आवास भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। नागराकाटा के बीडीओ स्मृता सुब्बा ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के शिकार सभी चाय बागान चंपागुड़ी ग्राम पंचायत के अधीन हैं। नुकसान का हिसाब किया जा रहा है। ग्राम पंचायत की ओर से एक रिपोर्ट उनके पास जमा किया गया है।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आलोवृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान होप चाय बागान को हुआ है। यहां 150 हेक्टेयर जमीन पर फैले चाय पौधों में उगे कच्ची नई चाय पत्तियां झड़ गई। साथ ही बागान के धर्मा लाइन, सावना लाइन में 30 घर ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुआ है। बागान के श्रमिक कल्याण अधिकारी अशोक झा ने स्थिति को दुखद करार दिया। उन्होंने कहा कि भूटान सीमावर्ती जीती चाय बागान में ओलावृष्टि से 100 हेक्टेयर से ज्यादा चाय आबादी जमीन को क्षति पहुंची है। 30 श्रमिक आवासों के टीन के छत चख्नाचूर हो गए। हिला चाय बागान के संचालकों के अनुसार, यहां के 70 हेक्टेयर जमीन पर फैले चाय पौधों में चाय की पत्तियां ही नहीं बची। चाय शोध केंद्र के उत्तर बंगाल आंचलिक शोध व विकास केंद्र के एग्रोनॉमि विभाग के प्रधान डॉथ्टर सोमेन वैश्य ने कहा कि ओलावृष्टि में सिर्फ कली झड़ जाती है, ऐसा नहीं। क्षतिग्रस्त चाय पौधों से बाद में कली खिलने में भी समय लग जाते है। ओला गिरने से क्षतिग्रस्त चाय पौधों के क्षतिग्रस्त हिस्सों में जितना जल्द हो सके निर्धारित कुछ रसायनिक औषधी इस्तेमाल किए जाना आवश्यक है।
बर्फबारी के बाद जमा बर्फ
बुधवार को डंकंस समूह के वीरपाड़ा चाय बागान के श्रमिकों ने मजदूरी की मांग को लेकर प्रतिवाद रैली निकाली। इसमें मदारीहाट के विधायक मनोज तिग्गा भी शामिल हुए। इस दिन श्रमिकों ने वीरपाड़ा चाय बागान से रैली निकाली। जो विभिन्न इलाकों का भ्रमण करते हुए वीरपाड़ा श्रम विभाग के सहकारी श्रम कमिश्नर व थाने में ज्ञापन सौंपा।
विधायक मनोज तिग्गा ने कहा कि राज्य सरकार चाय बागान मालिकों के लिए काम कर रही है। श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित रखा जा रहा है। जब श्रमिक मालिक पक्ष से मजदूरी की मांग करने जाते हैं तो उनलोगों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। पैसा नहीं मिलने के कारण श्रमिक के बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा से ही श्रमिकों के साथ खड़ी रही है।
गौरतलब है कि दो महीने की वेतन की मांग को लेकर सोमवार को वीरपाड़ा चाय बागान के श्रमिकों ने सड़क जाम कर अपना आक्रोश जताया था। इसके बाद पुलिस ने श्रमिक नेता रॉबनी राई व गोपाल प्रधान को गिरफ्तार किया। लेकिन कोर्ट ले जाने से पहले ही दोनों को व्यक्तिगत बांड पर छोड़ दिया गया।