ट्रिपल मर्डर मामले में तीन को फांसी की सजा
triple murder case. ट्रिपल मर्डर के एक मामले में तीन दोषियों को फासी की सजा सुनाई गई है।
जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी। सिलीगुड़ी के इतिहास में पहली बार ट्रिपल मर्डर के एक मामले में तीन दोषियों को फासी की सजा सुनाई गई है। शनिवार दोपहर खचाखच भरी अदालत में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट कोर्ट देव प्रसाद नाथ ने हत्या के तीनों दोषियों को फासी की सजा सुना दी। यह मामला वर्ष 2015 का है।
14 सितंबर 2015 को 3 लोगों की हत्या हुई थी। लूटपाट के लिए पति,पत्नी तथा बेटे की निर्मम हत्या कर दी गई। करीब चार साल तक मुकदमा चलने के बाद तीनों दोषियों सहदेव बर्मन,दीपू सुत्रधर तथा चिरंजीत मोदक को शनिवार को फांसी की सजा सुना दी गई। सरकारी वकील पीयूष काति घोष से मिली जानकारी के अनुसार 14 सितंबर 2015 को सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के अधीन माटीगाड़ा थाना अंतर्गत शिव मंदिर इलाके के लेनिनपुर में इनलोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप पेशे से लकड़ी मिस्त्री सहदेव बर्मन, दीपू सूत्रधर तथा चिरंजीत मोदक पर लगा था। जांच के बाद इन तीनों की गिरफ्तारी हुई। करीब 4 साल तक चले मुकदमे के बाद इन सभी को दोषी करार दिया गया और शनिवार को फासी की सजा सुना दी गई। इनलोगों ने तब प्रदीप बर्मन, उनकी पत्नी दीप्ति बर्मन तथा बेटे प्रसेनजीत बर्मन की निर्मम हत्या कर दी थी।
दूसरी ओर माटीगाड़ा थाना सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीनों दोषी लकड़ी मिस्त्री हैं और फर्नीचर बनाने का भी काम करते थे। यह तीनों रिटायर सरकारी कर्मचारी प्रदीप बर्मन के घर फर्नीचर बनाने ही गए थे। उनकी ठाट बाट देखकरतीनों की नीयत डोल गई। फर्नीचर बनाने के बहाने तीनों ने प्रदीप बर्मन के घर की रेकी की और रात लूटपाट का प्लान तैयार कर लिया। उसी दिन 1 दिन में तीनों फर्नीचर बनाने के लिए प्रदीप बर्मन के घर गए थे। शाम को काम के बाद खतरनाक योजना बनाकर तीनों अपने घर लौट आए। रात को तीनों धारदार हथियार के साथ प्रदीप बर्मन के घर पहुंच गए। क्योंकि प्रदीप बर्मन तीनों लकड़ी मिस्त्री को जानते थे इसलिए उन्हें घर आने दिया। घर के अंदर प्रवेश करती ही तीनों ने प्रदीप बर्मन को दबोच लिया और धारदार हथियार से वार करने लगे। बीच-बचाव करने आयी उनकी पत्नी दीप्ति बर्मन तथा बेटे प्रसेनजीत बर्मन पर ही हमला बोल दिया।
इस तरह से तीनों बदमाशों ने पति,पत्नी तथा बेटे को मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद तीनों घर में रखे लाखों रुपए के गहने, नकदी आदि लेकर चलते बने। दूसरे दिन 15 तारीख को इस जघन्य हत्याकाड की शिकायत माटीगाड़ा थाने में दर्ज कराई गई। पुलिस पूरे मामले की जाच में जुट गई और पहली बार उसी साल 29 मई को सहदेव बर्मन की गिरफ्तारी हुई। उसकी निशानदेही पर दो अन्य दीपू सूत्रधर एवं चिरंजीत मोदक को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर पुलिस ने जाच शुरू की। करीब 4 साल तक चले मुकदमे के बाद इन तीनों को अदालत ने दोषी करार दिया। शनिवार को सबको फासी की सजा सुना दी गई। सरकारी वकील पीयूष काति घोष ने बताया है कि पहली बार सिलीगुड़ी में किसी दोषी को फासी की सजा सुनाई गई है। दूसरी ओर सजा प्राप्त मुजरिम के परिवार वाले इस सजा को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। परिवार वालों ने हाईकोर्ट में अपील की बात कही है।