कृषि विधेयक के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का हल्ला बोल
-मुख्य डाक घर के सामने धरना-प्रदर्शन -वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर किया प्रहार -आज के चक्का
-मुख्य डाक घर के सामने धरना-प्रदर्शन
-वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर किया प्रहार
-आज के चक्का जाम आंदोलन में होंगे शामिल जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में कंपनी राज लागू करना चाहती है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसान विरोधी विधेयकों के वापस लेने की माग की जाएगी। इन विधेयकों (बिल)से किसानों को बंधुआ बनाए जाने का खतरा सता रहा है। कई राज्यों की सरकारें इनका विरोध कर रही हैं। कृषि विधेयकों के वापस नहीं लेने पर ट्रेड यूनियन संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। यह कहना है इंटक के राष्ट्रीय सचिव आलोक चक्रवर्ती का। गुरुवार को वह सिलीगुडी प्रधान डाकघर के सामने आयोजित कृषि बिल के विरोध में धरना प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का लाभ लेकर केंद्र सरकार ने बीते हफ्ते कृषि विधेयक को पारित करा दिया। इन विधेयकों को पास कराना संघीय ढाचे पर घातक हमला है।
सीटू नेता समन पाठक ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार की ओर से कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई है। सरकार की ओर से डीए का नोटिफिकेशन भी अभी तक जारी नहीं किया गया है। ठेके पर काम कर रहे कच्चे कर्मचारियों को पक्का नहीं किया जा रहा है। यह केवल पूंजीपतियों की सरकार बनकर रह गयी है। पाठक ने कहा कि सीटू समेत अन्य ट्रेड यूनियन की ओर से 25 सितंबर को चक्का जाम आंदोलन में भाग लेंगे। केंद्र में जो सरकार राज कर रही है वह पूंजीपतियों की सरकार है। सरकार कर्मचारी विरोधी और मजदूर विरोधी नीतिया बना रही है। जहा तक कि सरकारी विभागों का भी निजीकरण कर रही है। इस मंच से विकास सेन, अभिजीत मजूमदार, वासुदेव बसु आदि ने भी संबोधित करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा निकाला।