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दार्जिलिंग में आंदोलन से टॉय ट्रेन को 2.5 करोड़ का नुकसान

12 जुलाई से सभी डीएचआर टॉय ट्रेनों के लिए एडवांस बुकिंग रद्द कर दी गई और पैसे लौटा लिए गए। डीएचआर की सालाना लागत अनुमानित 15 करोड़ रुपये है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 16 Aug 2017 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 16 Aug 2017 02:18 PM (IST)
दार्जिलिंग में आंदोलन से टॉय ट्रेन को 2.5 करोड़ का नुकसान
दार्जिलिंग में आंदोलन से टॉय ट्रेन को 2.5 करोड़ का नुकसान

कोलकाता, [जागरण न्यूज नेटवर्क] ।अलग गोरखालैंड राज्य की मांग पर दार्जिलिंग के पहाड़ी इलाकों में पिछले दो महीने से जारी बेमियादी बंद व विरोध प्रदर्शन के कारण कारण दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) को 2.5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

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पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रणव ज्योति शर्मा ने मंगलवार को कहा कि यदि हालात सामान्य होते और ट्रेनें चलतीं तो हम यह राशि कमा सकते थे। लेकिन बंद के चलते हमें काफी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने बताया कि यहां टॉय ट्रेन सेवा 12 जून से ही निलंबित है। इस साल 12 जून तक डीएचआर को कुल 3.05 करोड़ रुपए कमाई हुई।

बता दें कि इस हेरिटेज ट्रेन का संचालन एनएफआर के तहत होता है। यूनेस्को ने दो दिसंबर, 1999 को डीएचआर को विश्र्व विरासत का दर्जा दिया था। बंद के दौरान आंदोलनकारियों ने डीएचआर के सोनादा और गयाबाड़ी स्टेशनों में तोड़फोड़ भी की। इसके अतिरिक्त कार्सियांग में डीएचआर मुख्यालय एलिसिया को भी नुकसान पहुंचाया गया। गयाबाड़ी स्टेशन में आग लगा दी गई।

शर्मा ने कहा, हम आमतौर पर दार्जिलिंग से घूम के बीच रोजाना नौ ट्रेनें चलाते थे। एक ट्रेन सिलिगुड़ी से दार्जिलिंग और एक दार्जिलिंग से सिलिगुड़ी के बीच चलती थी। सभी ट्रेनों का परिचालन रूक गया। हमें स्थिति सामान्य होने तक बैठना पड़ा। वहीं, 12 जुलाई से सभी डीएचआर टॉय ट्रेनों के लिए एडवांस बुकिंग रद्द कर दी गई और पैसे लौटा लिए गए। डीएचआर की सालाना लागत अनुमानित 15 करोड़ रुपये है।


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