तिब्बती चिकित्सा संस्थान की मनाई 58वीं वर्षगांठ
सेवक रोड सालूगाड़ा स्थित मेन तासी खांग (सोवा रिग्पा) तिब्बती चिकित्सा एवं ज्योतिष संस्थान की 58वीं वर्षगांठ शनिवार को क्लिनिक के सभागार में समारोह पूर्वक मनाई र्गइ।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सेवक रोड सालूगाड़ा स्थित मेन तासी खांग (सोवा रिग्पा) तिब्बती चिकित्सा एवं ज्योतिष संस्थान की 58वीं वर्षगांठ शनिवार को क्लिनिक के सभागार में समारोह पूर्वक मनाई गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ परम पावन दलाईलामा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की गई।
तिब्बत क्लिनिक सालूगाड़ा ब्रांच की हेड डॉ. जामयांग डोल्मा ने संबोधित करते हुए कहाकि इस संस्थान की स्थापना 23 मार्च 1961 को 13वें दलाई लामा के आशीर्वाद से की गई थी। भारत में तिब्बती चिकित्सा पद्धति मेन तासी खांग (सोवा रिग्पा) को उस समय लाया गया जब 1959 को चीन में तिब्बत पर बल पूर्वक दखल कर लिया था, उस समय तिब्बती धर्मगुरु अपने कुछ साथियों के साथ भारत आ गए और तिब्बत की इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति से लोगों को अवगत कराया। इतना ही नहीं इसे केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद से मान्यता भी दिलाई। तब से लेकर अब तक यह देश के कई हिस्सों में स्थापित कई संस्थान लोगों को रोगों से मुक्ति दिलाने में जुटे हुए है। कमजोर तबके के लोगों के लिए तिब्बती चिकित्सा पद्धति काफी प्रभावकारी बनी हुई। सालूगाड़ा स्थित तिब्बती क्लिनिक में बिहार, असम, बर्मा, बांग्लादेश, नेपाल, सिक्किम समेत कई अन्य राज्यों से इलाज कराने आते हैं। अक्टूबर और नवंबर महीने में इस सिलसिले में देश कई हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिसमें आम लोग भाग लेकर इस पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। एचबीएससी के सचिव सोनम लाहण्डुम लामा ने कहाकि वर्तमान में कई जानलेवा रोगों से इस पद्धति ने निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। काफी कम कीमत में इतनी प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति कोई और नहीं हो सकती है। कई अन्य अतिथियों ने इस चिकित्सा पद्धति के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर एचबीएससी के अध्यक्ष नीम नूरी शेरपा ने तिब्बती क्लिनिक के कर्मचारी तेनजिंग येशी को सम्मानित किया। इस मौके पर बौद्ध समुदाय के बड़ी संख्या में क्षेत्रीय गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।