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भारत से बांग्लादेश के बूचड़खाना में कटने जाती हजारों की संख्या में मूक गायें

भारत के सीमावर्ती क्षेत्र मालदा-मुर्शिदाबाद के कच्चे रास्ते से रोजाना हजारों की संख्या में मूक गायें धूल उड़ाते हुए नदी मार्ग से बांग्लादेश में तस्करी के लिए भेजी जाती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 03:44 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 03:44 PM (IST)
भारत से बांग्लादेश के बूचड़खाना में कटने जाती हजारों की संख्या में मूक गायें
भारत से बांग्लादेश के बूचड़खाना में कटने जाती हजारों की संख्या में मूक गायें

मालदा, जेएनएन। भारत के सीमावर्ती क्षेत्र मालदा-मुर्शिदाबाद के कच्चे रास्ते से रोजाना हजारों की संख्या में मूक गायें धूल उड़ाते हुए नदी मार्ग से बांग्लादेश में तस्करी के लिए भेजी जाती है। जिस संख्या में गायों की तस्करी होती है, उसमें पांच फीसदी ही बीएसएफ के जवान गायों को तस्करी से बचा पाते है।

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मवेशी तस्करी के पीछे बड़ा रैकेट है। सबका बहुत बड़ा हिस्सा कमीशन का है। ऐसे बहुत से ठिकाने है जहां पुलिस तलाशी अभियान नहीं चलाती। जानबूझकर तस्करी का व्यवसाय चलने देती है। बिहार-उत्तर प्रदेश से बड़ी-बड़ी लॉरी में गायें भर-भर कर आती है। वीरभूम के लोहापुर, करयात आदि इलाके में रखी जाती है।

मोड़ग्राम व पानागढ़ राज्य सड़क के पास लोहापुर इलाके में गाय का हाट लगता है। यह हाट वृहत्त क्षेत्र में है। यहां छोटे-छोटे बहुत से घर है। साथ में ऊंची मिट्टी की ढीबी है। यहां पर लॉरी से गाय को उतारकर रखा जाता है। लाल रंग की स्याही से गायों पर उसका नंबर लिखा जाता है। नंबर देखकर गाय तस्कर इसकी पहचान करते है। गाय रखने के साथ-साथ खाने-पीने की यहां पूरी सुविधा है।

इस इलाके में पुलिस कभी भी तलाशी अभियान नहीं चलाती, कारण सभी को यहां से मोटी कमीशन मिलती है। यदि कोई बाहरी यहां दिख जाए तो संदेह की नजर से देखा जाता है। यहां से आप तस्वीर भी खींच नहीं सकते। आठों पहर इलाके में तस्करों का ‘मसलमैन’ घूमते रहते है, कोई इधर-उधर किया तो सीधा स्वर्ग लोग की यात्रा करेगा। सीधे बम-गोला की बारिश हो जाती है।

तस्करी का मूल काम रात के अंधेरे में होता है। एक साथ पांच-छह लॉरी लोहापुर से मोड़ग्राम-पानागढ़ रोड से मुर्शिदाबाद में प्रवेश करती है। आधी गायों को मुर्शिदाबाद में रखा जाता है और आधा मालदा के वैष्णव नगर में। और दोनों जगहों से गायों की तस्करी बांग्लादेश में होती है।

रात के अंधेरे में तस्करी के लिए गायें को सुति थाना के आहिरन और तेघरी के महालदारपाड़ा में इकट्टा किया जाता है। यहां से केला के थंबा से बांधकर गाय की तस्करी होती है। तस्करों के हाथों में कड़कड़ा नोट होता है। दूसरी ओर मालदा जिला में भी तस्करी का यही चित्र है। जिला के शिवपुर घाट के पारलालपुर, पारदेनापुर, शोभापुर इलाके में से गंगा नदी के मार्ग से गाय की तस्करी की जाती है। अंतराष्ट्रीय माफिया के मार्फत रोजाना 250 सौ करोड़ से अधिक का कारोबार चलता है। 


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