राजनीतिक दलों के मैनिफेस्टो में तृतीय लिंगी समुदाय क्यों नहीं?
-लैंगिक अल्पसंख्यकों ने उठाया सवाल मांगा आरक्षण प्रतिनिधित्व व समानता -एलजीबीटीक्यूआईए प्लस न
-लैंगिक अल्पसंख्यकों ने उठाया सवाल, मांगा आरक्षण, प्रतिनिधित्व व समानता
-एलजीबीटीक्यूआईए प्लस ने कहा- हमेशा उपेक्षित रखा जाना सही नहीं जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : तृतीय लिंगी समुदाय यानी लैंगिक अल्पसंख्यकों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2021 में राजनीतिक दलों द्वारा अपने मैनिफेस्टो (घोषणा पत्रों) में उनके समुदाय को लेकर कुछ भी नहीं कहे जाने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि, राजनीतिक दलों के मैनिफेस्टो में तृतीय लिंगी समुदाय क्यों नहीं है? इसे लेकर लेस्बियन, गे, बाई-सेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्यूअर, इंटर सेक्स, असेक्सुअल (एलजीबीटीक्यूआईए+) समुदाय के लोगों ने शुक्रवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट्स क्लब में संवाददाता सम्मेलन किया। इसमें उक्त समुदाय के प्रतिनिधि संगठन नॉर्दर्न ब्लैक रोज सोसाइटी के सचिव मेघ घोष ने कहा कि हम लैंगिक अल्पसंख्यकों को भी राजनीतिक न्याय दिया जाना चाहिए। वर्तमान विधानसभा चुनाव में एक राजनीतिक दल ने अपने घोषणा पत्र में हमारे बारे में नाम मात्र की बात की है। अन्य किसी भी राजनीतिक दल ने कोई बात नहीं की है। राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में हमारे बारे में जो कुछ भी नहीं कहा है, यह एक अन्याय है। हमारी समस्याओं व उनके समाधान को भी राजनीतिक घोषणा पत्र में शामिल किया जाना चाहिए था।
उन्होंने यह भी कहा कि, जब महिलाओं के लिए राजनीति व जनप्रतिनिधित्व में 33 प्रतिशत आरक्षण है, तो तृतीय लिंगी समुदाय के लिए कोई आरक्षण क्यों नहीं है? हमें भी प्रतिनिधित्व का अधिकार होना चाहिए। इसके साथ ही हमारी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए और हमारे सभी अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। हमें हमेशा उपेक्षित क्यों रखा जाता है? हमें भी समाज में समान अधिकार होना चाहिए। हम किसी भी राजनीतिक दल के विरोध में नहीं हैं लेकिन राजनीतिक दलों को हमारे बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए।