आज है चंद्रग्रहण, धरती के करीब होगा चांद, जिनके कुंडली में है शनि की साढ़ेसाती वे ऐसा जरूर करें
चंद्र ग्रहण के दिन ही 176 साल बाद पुष्प नक्षत्र का विशेष योग बन रहा है।
इस तरह के चंद्र ग्रहण का अवलोकन कर चंद्रमा के विरलतम घटनक्रम का साक्षी बन सके, इसके लिए स्काई वाचर्स एसोसिएशन ऑफ नार्थ बंगाल (स्वान) की ओर से विशेष इंतजाम किया गया है। शहर के साहुडांगी स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम में शाम चार बजकर 28 मिनट से टेलीस्कोप के माध्यम से स्वान की ओर से चंद्र ग्रहण दिखाया जाएगा। इस नजारा को देखने के लिए उक्त आश्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों व आमलोगों के पहुंचने की संभावना है। स्वान के सचिव देवाशीष सरकार ने सोमवार कहा कि मौसम ने साथ दिया तथा आसमान साफ रहा, तो रामकृष्ण मिशन आश्रम में शाम चार बजकर 28 मिनट से टेलीस्कोप के माध्यम लोग देख सकेंगे। वहां पर चार टेलीस्कोप लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह चंद्र ग्रहण उत्तर बंगाल, पूरे राज्य अथवा पूवरेत्तर भारत में ऊंचे स्थानों से खुली आंख से देखा जा सकेगा, इससे किसी तरह की क्षति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चंद्र ग्रहण के साथ तीनों संयोग यानी सुपर-ब्लू-ब्लड एक साथ पिछले हजारों साल में देखे जाने का न तो कोई रिकार्ड है और नहीं अगले हजारों में साल में दिखाई देगा इसकी कोई जानकारी उपलब्ध है।
इस खगोलीय घटनाक्रम को सुपर-ब्लू-ब्लड-चंद्र ग्रहण क्यों कहा जा रहा है इसके बारे में सरकार ने बताया कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी औसतन तीन लाख 84 हजार किलोमीटर है। इसमें पृथ्वी से लगभग 15 हजार किलोमीटर की दूरी घट व 15 हजार किलोमीटर की दूरी बढ़ सकती है। 31 जनवरी पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के और नजदीक आ जाएगा। जिससे उस दिन सामान्य आकार से चंद्रमा का आकार कुछ बड़ा दिखाई देगा, इसलिए इसे ‘सुपर मून’ कहा जा रहा है। वहीं सामान्य तौर एक कैलेंडर महीने में एक बार ही पूर्णिमा पड़ता है, तथा चंद्रमा पूर्ण आकार में दिखाई देता है। जबकि जनवरी महीने में एक जनवरी को पूर्णिमा था तथा 31 जनवरी को पूर्णिमा है। एक महीने में दो बार पूर्णिमा का योग बन रहा है। इसलिए दूसरे पूर्णिमा के दिन चंद्रमा कुछ नीले रंग में दिखाई देता है। इसलिए इसे ‘ब्लू मून’ कहा जा रहा है।
हालांकि प्राय: तीन साल में एक ‘ब्लू मून’ का संयोग बनते रहता है, जब एक महीने में दो बार पूर्णिमा पड़ता है। वहीं चंद्र ग्रहण में आम तौर पर चंद्रमा का रंगा लाल हो जाता है, लेकिन इस बार पृथ्वी के नजदीक चंद्रमा आ रहा है तथा पूर्णिमा भी है, इसलिए चंद्रमा का रंगा कुछ ज्यादा लाल रंग में देखने को मिलेगा। जिसके कारण ‘ब्लड मून’ कहा जा रहा है। उन्होंने बताया कि अंतिम बार सिर्फ ‘ब्लू मून’ तथा चंद्र ग्रहण एक साथ आज के डेढ़ सौ साल पहले 31 मार्च वर्ष 1866 में देखने को मिला था, जबकि अगली बार 31 दिसंबर 2028 को ‘ब्लू मून’ तथा चंद्र ग्रहण एक साथ देखने को मिलेगा।
ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा
इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को माघ पूर्णिमा पर हो रहा है। चंद्रग्रहण की काली छाया का प्रभाव लोगों पर नहीं पड़ेगा। यह कहना है आचार्य पंडित यशोधर झा का। उन्होंने बताया कि शाम 5 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा यानि ग्रहण कुल तीन घंटे 24 मिनट तक ही रहेगा। यह ग्रहण कर्क राशि और पुष्य अश्लेषा नक्षत्र में हो रहा है। यूं तो ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या अढैया का प्रभाव चल रहा है वे शनि के मंत्र का जाप करें। चंद्र ग्रहण के दिन ही 176 साल बाद पुष्प नक्षत्र का विशेष योग बन रहा है। इसे पूर्वी भारत, असम, सिक्किम, नगालैंड, बंगाल में खग्रास रूप में चंद्रग्रहण पूरा दिखाई देगा। इसे ज्योतिष की भाषा में ग्रस्तोदय कहा जाता है।