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कोविड इलाज व जांच को सिलीगुड़ी में मची है लूट, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग कार्रवाई में पूरी तरह नाकाम

आम आदमी से इलाज और जांच के नाम पर कुछ निजी अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा जमकर वसूली की जा रही है। कोविड से मृत व्‍यक्ति को श्‍मशान पहुंचाने में मची लूट तो जबरदस्‍त चर्चा का विषय रहा। हालांकि शिकायत करने पर भी स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने कार्रवाई नहीं की।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 02:43 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 02:43 PM (IST)
कोविड इलाज व जांच को सिलीगुड़ी में मची है लूट,  स्‍वास्‍थ्‍य विभाग कार्रवाई में पूरी तरह नाकाम
रिपोर्ट जल्‍द पाने की मजबूरी में लोग महंगी जांच कराने को मजबूर, सांकेतिक तस्‍वीर।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। कोरोनावायरस महामारी के इस दौर में जिस तरफ से शहर के कुछ निजी नर्सिंग होम तथा डायग्नोस्टिक सेंटर इलाज व जांच के नाम पर लूट मचाए हुए हैं, इससे जनता पूरी तरह से त्रस्त हो चुकी है। उधर, शिकायत पर भी जिला स्‍वास्‍थ्‍य विभाग कार्रवाई करने में नाकाम रही है। जिस तरह से नए साल की शुरुआत से ही कोरोना के नए मामलों में तेजी से उछाल देखने को मिला, इसको लेकर विभिन्न राज्यों में नए सिरे से पाबंदी  लगानी शुरू कर दी गई। विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जारी आदेश के मुताबिक  एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करने के दौरान 72 घंटे के अंदर के कोरोना का आरटी-पीसीआर जांच का रिपोर्ट दिखाना होगा।

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जल्‍द जांच रिपोर्ट पाने की मजबूरी

बताया गया कि लोगों को यदि सिलीगुड़ी से असम या  अन्य किसी दूसरे राज्यों में जाना होता है, तो सबसे पहले कोरोना का आरटी-पीसीआर जांच कराना पड़ता है। हालांकि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मुफ्त में कोरोना जांच की व्यवस्था है, लेकिन काफी भीड़ होने की वजह से जांच  रिपोर्ट मिलने में दो से तीन दिन लग जाता है। वहीं राज्य सरकार स्वास्थ विभाग द्वारा निजी अस्पतालों तथा डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए कोरोना के आर-पीसीआर जांच कराने का शुल्क 950 रुपये निर्धारित किया गया है।  जल्द से जल्द कोरोना जांच रिपोर्ट मिल सके इसके लिए लोग निजी अस्पतालों तथा निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों का रुख करते हैं। अस्पताल तथा डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए कोरोना जांच की रिपोर्ट 12 घंटे के अंदर देने के नाम पर निर्धारित दर से दोगुना तिगुना ज्यादा शुल्क वसूला जा रहा है ।

टास्‍क फोर्स भी बेअसर

मिली जानकारी के अनुसार निजी नर्सिंग होम व डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा इलाज व जांच के नाम पर लिए जा रहे मनमानी शुल्क पर नकेल कसने के लिए दार्जिलिंग जिला स्वास्थ विभाग द्वारा एक टास्क फोर्स गठित किया गया था, लेकिन इससे भी इन सेंटरों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है ।  

यहां तक देखा जा रहा है कि कुछ दिन पहले जब शहर के एक डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ जिले के स्वास्थ विभाग कार्यालय में एक पीड़ित द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई, तो कार्यालय के माध्यम से उक्त डायग्नोस्टिक सेंटर को उसके खिलाफ मिल रही शिकायत के बारे में अवगत कराया गया तथा किसी तरह की जांच के दौरान गड़बड़ी ना मिले इसके लिए सतर्क रहने की सलाह दे दी गई ।

हजारों रुपये मनमानी वसूली रही चर्चित

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष मई-जून महीने में कोविड की दूसरी लहर के दौरान शहर के कुछ निजी नर्सिंग होम इलाज के नाम पर मरीजों व उनके परिजनों पर लाखों रुपये का बिल ठोक रहे थे।  वहीं  एक एंबुलेंस चालक मात्र 6 किलोमीटर यानी माटीगाड़ा  से प्रधान नगर आने तथा प्रधान नगर से फिर माटीगाड़ा जाने  के लिए एक मरीज के परिजन से 24 हजार रुपये वसूला था। जबकि मरीज की मौत हो जाने की स्थिति में मात्र 9 किलोमीटर दूर शमशान ले जाने की एवज में उसे  नौ  हजार रुपये और देना पड़ा। यह घटना भी काफी चर्चा में रही। पीड़ित व्यक्ति द्वारा थाने से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक शिकायत दर्ज कराई गई, इसके बावजूद उस एंबुलेंस चालक की ना तो पहचान की गई ना ही उसके खिलाफ में कोई कार्यवाही की गई।

शिकायत होने पर भी नहीं हुई कार्रवाई

बता दें पिछले दिनों शहर के डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा आरटी-पीसीआर पद्धति से कोरोना जांच के लिए ढाई हजार रुपए लिए गए थे। डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा एक ओर दर से ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं, तो दूसरी ओर दिए गए पैसे का कोई रसीद भी नहीं दिया जा रहा है। इस घटना की भी जानकारी स्वास्थ विभाग को दिए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस बारे में दार्जिलिंग जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ तुलसी प्रमाणिक का कहना है कि यदि किसी डायग्नोस्टिक सेंटर अथवा निजी अस्पताल विशेष के खिलाफ कोई शिकायत मिलती है तो  इसकी जांच कराई जाएगी तथा दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।


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