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पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष जीवंत हुआ मंच पर

सिलीगुड़ी : जातीय नाट्य उत्सव के तहत पेशोनेट परफॉर्मेस के तत्वावधान में स्थानीय दीनबंधु मंच में बेलघरिया कोलकाता की एक टीम द्वारा कोजागरी नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक हॉवर्ड द्वारा लिखे एक उपन्यास पर आधारित है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2018 07:53 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष जीवंत हुआ मंच पर
पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष जीवंत हुआ मंच पर

'कोजागरी' नाटक का किया गया मंचन

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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : जातीय नाट्य उत्सव के तहत पेशोनेट परफॉर्मेस के तत्वावधान में स्थानीय दीनबंधु मंच में बेलघरिया कोलकाता की एक टीम द्वारा कोजागरी नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक हॉवर्ड द्वारा लिखे एक उपन्यास पर आधारित है। इसके माध्यम से दिखाया गया कि एक स्कूल का प्रोफेसर किस तरह से पेड़ काटने को रोकने के लिए प्रशासन से भिड़ जाते हैं। पेड़ काटने से पर्यावरण को किस तरह से नुकसान पहुंचता है। इसके लिए उनको किस-किस दौर से गुजरना पड़ता है। किस तरह से उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। अंत में आम जनता उनके साथ छेड़ी गई मुहिम में शामिल हो जाती है। इस तरह से वे पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं। यह सब नाटक द्वारा दिखाने का प्रयास किया गया। ऐसे में उस व्यक्ति की मानसिक स्थिति कैसी होती है, इसे नाटक में बहुत ही खूबसूरती के साथ दर्शाया गया। दर्शकों द्वारा भी इस नाटक को बेहद पसंद किया गया। उनका कहना था कि इस नाटक के माध्यम से जानने का मौका मिला की स्वच्छ पर्यावरण हमारे लिए कितना आवश्यक है। इसको बचाने में हम भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही नाटकों के माध्यम से हमें बहुत कुछ जानने-समझने का मौका मिलता है। नाटक के माध्यम से दिए गए संदेश का असर तेजी से पड़ता है। इस प्रकार के नाटक आयोजित होते रहने चाहिए। नाटक ऐसी विधा है, जिसमें हम अभिनय सीधी आंखों से देख सकते हैं। जब अभिनेता मंच पर नाटक प्रस्तुत करता है तो उसे सारे संवाद याद रखने पड़ते हैं। अमिताभ कांजीलाल ने बताया कि जातीय नाट्य उत्सव के माध्यम से ज्वलंत समस्याओं को प्रस्तुत करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। इसलिए प्रतिवर्ष इस उत्सव का आयोजन किया जाता है।


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