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चाय बागान की समस्या के लिए पूर्ववर्ती सरकार है जिम्मेदार : सीएम

-176 रुपये न्यूनतम मजदूरी करने की दिशा में चल रही है बातचीत -सीएम ने श्रमिकों की समस्याओं

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 11:55 PM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 11:55 PM (IST)
चाय बागान की समस्या के लिए पूर्ववर्ती सरकार है जिम्मेदार : सीएम
चाय बागान की समस्या के लिए पूर्ववर्ती सरकार है जिम्मेदार : सीएम

-176 रुपये न्यूनतम मजदूरी करने की दिशा में चल रही है बातचीत

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-सीएम ने श्रमिकों की समस्याओं को लेकर उत्तर कन्या में की बैठक

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल के चाय बागान के श्रमिकों की स्थिति के लिए एक बार फिर से राज्य के पूर्व सत्ताधारी पार्टी माकपा व वर्तमान केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

गुरुवार को सिलीगुड़ी के निकट राज्य के शाखा सचिवालय उत्तर कन्या में चाय बगान की समस्या को लेकर तृणमूल कांग्रेस समथिर्त श्रमिक संगठन, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व गोरखा जन मुक्ति मोर्चा, विनय तमांग गुट व गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा तथा राज्य के विभिन्न मंत्रियों व अधिकारियों के साथ उन्होंने बैठक की। बैठक बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वाम मोर्चा के 34 वर्षो के शासन में बगान श्रमिकों की मजदूरी 67 रुपये थी, जबकि 2011 में राज्य में मेरी सरकार सत्ता में आने के बाद 159 रुपये कर दी गई जो मजदूरों को मिल रहे हैं। इसे और बढ़ाने के लिए बातचीत चल रही है। 2016 में केंद्र सरकार ने डंकन ग्रुप के सात चाय बागानों को टेक ओवर करने की बात कही थी। इसको लेकर बगान मालिक कोर्ट की शरण में चले गये। केंद्र सरकार इसे अभी तक टेक ओवर नहीं कर पाई है। जिससे बागान चालू भी नहीं हो पा रहे हैं। केंद्र सरकार या तो अपने आदेश को वापस ले, अथवा बंद चाय बागानों को टेक ओवर करे। केंद्र सरकार अपने आदेश को वापस लेगी तभी राज्य सरकार अपने स्तर से कुछ कर पाएगी। बंद चाय बागानों को भी खुलवाने के प्रयास किये जा रहे हैं। चाय बागान कभी बंद होता है, कभी खुलता है, ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए मैं कानून लाऊंगी। मुख्यमंत्री ने असम से तुलना करते हुए कहा कि असम में बगान श्रमिकों को 20 किलो चावल प्रत्येक महीने मिलता है, जबकि पश्चिम बंगाल में चाय बागानों में दो रुपये की दर से 35 किलो चावल प्रत्येक महीने दिये जाते हैं। चाय बगानों में बार-बार की जा रही बंद की अपील पर नाराजगी व्यक्त करते हुए श्रमिक संगठनों की आलोचना की। कुछ लोगों का सिर्फ चिल्लाना और बंद कराना ही काम रह गया है। बागान बंद करने का समर्थन मैं नहीं करती। चाय बागानों में दो लाख 72 हजार श्रमिक हैं, तो आठ लाख गैर श्रमिक हैं। उन लोगों के बारे में भी सरकार सोच रही है। हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।

राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक ने बताया कि श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 176 रुपये करने के लिए मालिक पक्ष से बातचीत चल रही है। 1990 से लेकर 2011 तथा वाम मोर्चा के शासन काल तथा 2011 से तृणमूल कांग्रेस के शासन में बगान श्रमिकों की बढ़ाई गई मजदूरी का ब्योरा भी पेश किया।

मीटिंग में श्रम मंत्री के अलावा पर्यटन मंत्री गौतम देव, उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष, एसजेडीए चेयरमैन सौरव चक्रवर्ती, राज्य के मुख्य सचिव मलक कुमार दे, गोजमुमो विनय तमांग गुट के नेता व गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर विनय तमांग, गोरामुमो के अध्यक्ष मन घीसिंग, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष बिरसा तिर्की समेत अन्य लोग उपस्थित थे।


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