साहित्यकार के निधन पर संपूर्ण नेपाली साहित्य जगत सदमे में
भारतीय नेपाली साहित्य के अभिभावक व नक्षत्र कहे जाने वाले डा इंद्र बहादुर राई के निधन पर संपूर्ण नेपाली साहित्य जगत सदमे में है।
कालिम्पोंग, संवादसूत्र। भारतीय नेपाली साहित्य के अभिभावक व नक्षत्र कहे जाने वाले डा इंद्र बहादुर राई के निधन पर संपूर्ण नेपाली साहित्य जगत सदमे में है। उनके निधन पर नेपाली अध्ययन समिति, कालिम्पोंग प्रेस क्लब ने गहरा शोक प्रकट किया है।
क्लब व समिति ने उनके निधन को साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति करार दिया है। प्रेस क्लब के सचिव अरुण राई ने कहा कि डा राई के सदमे से उभरने में काफी वक्त लगेगा। वहीं नेपाली कवि सुधीर क्षेत्री ने कहा कि साहित्य जगत ने राई के रूप में अपना अभिभावक खो दिया है। नेपाली साहित्य जगत में स्व. राई को आयमेली लेखन के प्रवर्तक, लीला लेखन के प्रवर्तक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने राई को नेपाली भाषा का पूरा शब्दकोष बताया। क्षेत्री ने बताया कि पूर्वी तथा पाश्चात्य नेपाली लेखन में समन्वय लाने के उनके प्रयासों को आरंभिक तौर पर नेपाल तथा भारत में छिटपुट विरोध जरूर झेलना पड़ा किंतु आखिरकार वो सफल रहे।
क्षेत्री ने कहा कि ऐसे में स्व. राई भावी पीढ़ी के लिए बड़ी जिम्मेदारी छोड़ गए हैं जिसे हम सबको निभाते हुए उनके नाम और काम को अमरत्व प्रदान करना होगा। वहीं प्रख्यात साहित्यकार के निधन पर राजनीतिक व लेखक जनांदोलन पार्टी प्रमुख डा हर्क बहादुर क्षेत्री ने कहा कि नेपाली भाषा में समालोचक तथा स्त्रष्टा के रूप में एक ही व्यक्ति था जिसे हमने अपने बीच से खो दिया। क्षेत्री ने कहा कि अगर राई ने अंग्रेजी भाषा को चुना होता तो शायद वो साहित्य क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए उपयुक्त होते। राई मात्र ऐसे साहित्यकार थे जो नेपाली भाषा के दार्शनिक स्तर पर चिंतन करने वाले वो एकमात्र शख्स थे।
उन्होंने कहा कि स्व. राई ऐसे शख्स थे जिनके हाथों में जाकर पुरस्कार का सम्मान होता था। जाप प्रमुख ने कहा कि राई के दिखाए रास्ते पर चलकर नेपाली साहित्य को नए शिखर प्रदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वहीं इंद्र बहादुर राई के निधन पर शोक प्रकट करते हुए प्रकाशक उमेश उपमा ने कहा कि हमने शायद संपूरक नामक उनकी कृति को अंतिम कृति के रूप में प्रकाशित किया था।
उपेमा ने बताया कि राई ने अन्य कृतियां भी प्रकाशन के लिए देने को कही थी किंतु आज वो हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने कहा कि राई ऐसे व्यक्ति थे जिनके लिए पूरी उम्र भी साहित्य के विकास के लिए कम पड़ जाती। वहीं बुधवार को जिले के त्रिकोण पार्क में गोजमुमो जिला समिति तथा जनांदोलन पार्टी द्वारा स्व राई को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
वहीं मिरिक संवादसूत्र के अनुसार : नेपाली साहित्य के मुर्धन्य साहित्यकार एव समालोचक इन्द्रबहादुर राई के निधन पर मिरिक के साहित्यकरो ने भी गहरा शोक व्यक्त किया।
बुधवार को एक होटल के प्रेक्षगृह मे मिरिक प्रेस क्लब के प्रमुख संरक्षक एवं विशिष्ट समाजसेवी दधिराम घिमिरे की अध्यक्षता मे शोक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओ ने स्व. राई के निधन को अपूर्णीय क्षति बताते हुए उन के स्थान के कभी भी पूरा नही होने का विचार रखा। सभा को युवा कवि सबिर दिलपाली, रोशन राई , बिनोद प्रसाई, सुक बहादुर गजमेर और शान्त प्रकाश राई ने संबोधित किया। वही मिरिक क्षेत्र की अधिकाश सामाजिक संस्थाओ ने भी मुर्धन्य साहित्यकार इन्द्रबहादुर राई के निधन पर शोक प्रकार करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना जताई।