मानव तस्करों के हाथों से छुड़ाई गई बच्ची को मिलेगा मुआवजा
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मानव तस्करों के हाथों से छुड़ाई गई एक बच्ची को 10 दिनों के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मानव तस्करों के हाथों से छुड़ाई गई एक बच्ची को 10 दिनों के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि ऐसा देश, जहां मुकदमे में वर्षों लग जाते हैं, वहां ऐसे मामले में मुआवजा देने में विलंब अमानवीयता होगी।
पीडि़ता महज 14 साल की थी, जब उसे पुणे के एक वेश्यालय में बेच दिया गया था। पीडि़ता की ओर से राज्य सरकार की एक योजना के तहत शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न के लिए पांच लाख रुपये के मुआवजे की अपील की गई थी।
चूंकि इस मामले पर किसी तरह की अदालती कार्यवाही शुरू नहीं हुई थी, इसलिए इस अपील को खारिज कर दिया गया था। स्थानीय न्यायिक निकायों ने भी पीडि़ता की याचिका पर ध्यान नहीं दिया था। एंटी-ट्रैफिकिंग चैरिटी 'शक्ति वाहिनी' के संस्थापक रवि कांत ने बताया-'हम हर साल पश्चिम बंगाल की 250-300 लड़कियों का मानव तस्करों से उद्धार करते हैं। इस फैसले की बदौलत हम उन्हें भी मुआवजा दिला सकेंगे।' राज्य प्रायोजित पुनर्वास इस तरह के पीडि़तों का अधिकार होता है।
पुनर्वास की व्यवस्था न होने पर इस तरह के मुआवजे से पीडि़तों को जिंदगी में आगे बढ़ने में काफी मदद मिलती है।' नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में मानव तस्करी के 8,000 से अधिक मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से अधिकांश पश्चिम बंगाल के थे।
पीडि़ता के अधिवक्ता कौशिक गुप्ता ने कहा कि यह निर्णय बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि मामले की अदालती कार्यवाही नहीं शुरू हुई थी। इस मामले में पुलिस अब तक दो लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। मुख्य आरोपित समेत दो और लोगों को तलाशा जा रहा है।