टीका के लिए थम नहीं रही रातों की लाईन
-नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रात से ही लंबी कतार -गोद में नन्हे बच्चों वाल
-नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रात से ही लंबी कतार
-गोद में नन्हे बच्चों वाली माताओं समेत वरिष्ठ नागरिक भी मजबूर
-रिमझिम बारिश के बावजूद लोग छाता, बरसाती व पन्नी लेकर डाल रहे डेरा जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) के टीका के लिए टीकाकरण केंद्रों पर एक दिन पूर्व ही रात से ही लोगों के लाईन लगने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोविड-19 टीका की ऐसी मारामारी है कि लोग टीका केंद्रों पर रात से ही लाईन देने लगे हैं। ऐसा ही नजारा सोमवार रात नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनबीएमसीएच) में भी देखने को मिला। जहां रिमझिम बारिश के बावजूद लोग छाता, बरसाती व पन्नी लेकर अगले दिन टीका पाने हेतु रात रात आठ-नौ बजे से ही कतार में लगने लगे। उनमें ऐसी कई माताएं भी शामिल रहीं जिनकी गोद में नन्हे बच्चे थे। वहीं, कई वरिष्ठ नागरिक भी शामिल रहे।
यह देखा गया कि लोग न सिर्फ कतार में लगे बल्कि वहां आपस में ही मिल कर एक कागज पर क्रमवार आने वाले लोगों का नाम दर्ज किया व उनका आधार अथवा अन्य कोई परिचय पत्र की छाया प्रति ली ताकि अगली सुबह जब टीकाकरण केंद्र खुले तो उसके कर्मचारियों को नामों की वह सूची परिचय पत्र समेत दे दी जाए और उसी के अनुरूप वह लोगों को क्रमवार टोकन दे और लोग उसी अनुरूप टीका लें। वह भी यह स्थिति केवल पहले डोज के लिए नहीं बल्कि दूसरे डोज के लिए भी नजर आई।
इस बारे में वहां कतार में खड़े कई लोगों ने बताया कि वे लोग रात में ही आ गए हैं ताकि टीका मिल जाए। दिन में लाईन इतनी लंबी हो जाती है कि टीका मिलना मुश्किल ही है। रात भर लाईन में लगे रहेंगे और अगले दिन सुबह केंद्र खुलते ही टोकन लेकर चले जाएंगे और टोकन संख्या अनुरूप अपना टीका ले लेंगे। क्योंकि, इससे पूर्व दिन में आने पर इतनी लंबी-लंबी लाईन मिली कि उसमें घंटों खड़े रह कर इंतजार कर पाना संभव नहीं है।
कोविड-19 टीका के लिए लोगों को भारी मुसीबतें उठानी पड़ रही हैं। इस बारे में जिम्मेदारों का बार-बार यही रोना है कि टीका की कमी के चलते ही ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। केंद्र सरकार राज्य को पर्याप्त टीका की आपूर्ति ही नहीं कर रही है। मांग ज्यादा है और आपूर्ति कम। सो, जब तक आपूर्ति सही नहीं हो जाती तब तक समस्या का समाधान संभव नहीं है। यही वजह है कि समस्या बनी हुई है।