Move to Jagran APP

20 प्रतिशत बोनस की मांग पर और बढ़ा बवाल

-पहाड़ के श्रमिकों के समर्थन में आए तराई के भी चाय श्रमिक -आज कोलकाता में त्रिपक्षीय बैठ

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 08:07 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 08:07 PM (IST)
20 प्रतिशत बोनस की मांग पर और बढ़ा बवाल
20 प्रतिशत बोनस की मांग पर और बढ़ा बवाल

-पहाड़ के श्रमिकों के समर्थन में आए तराई के भी चाय श्रमिक

loksabha election banner

-आज कोलकाता में त्रिपक्षीय बैठक के परिणाम का इंतजार

-कल से तराई-डुवार्स के सभी चाय बागानों में आंदोलन

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग पहाड़ के 85 हजार चाय श्रमिकों की मांगों के समर्थन में तराई और डुवार्स के चाय श्रमिक भी एक हो गए हैं। श्रमिकों ने 20 प्रतिशत बोनस देने की मांग का समर्थन किया है। उनकी मांगों के समर्थन में शनिवार से उत्तर बंगाल के तराई व डुवार्स के सभी चाय बागानों में मजदूर आंदोलन प्रारंभ करेंगे। यह कहना है चिया कमान मजदूर यूनियन के महासचिव गौतम घोष का। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को कोलकाता में बोनस को लेकर त्रिपक्षीय वार्ता होनी है। इस बैठक में भाग लेने के लिए ट्रेड यूनियन के कई नेता कोलकाता रवाना हुए है। इसमें ज्वाइंट फोरम के अमर लामा, एस के लामा, समन पाठक आदि शामिल है। रवाना होने के पहले वह बोनस की मांग को लेकर गोजमुमो विनय गुट के सुप्रीमो स्वयं विनय तमांग पिछले 100 घंटे से आमरण अनशन कर रहे विनय तमांग से मुलाकात भी की है। उनके स्वस्थ्य होने की कामना की गई। घोष ने कहा कि ज्वाइंट फोरम की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि अगर शुक्रवार की बोनस पर त्रिपक्षीय वार्ता विफल होती है तो हिल्स के साथ तराई डुवार्स के सभी चाय बागानों में आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा। तराई से अच्छी चाय की पैदावार हिल्स में हुई है। इस वर्ष चायपत्ती का दाम भी उत्पादकों को अच्छा मिला है। ऐसे में उन्हें 20 प्रतिशत बोनस देने में हर्ज क्या है? बोनस की मांग को लेकर लगातार श्रमिकों के साथ भेदभाव क्यों किया जाता है यह समझ के परे है। राज्य सरकार को पहल करते हुए तुरंत चाय बागान मालिकों को 20 प्रतिशत बोनस देने का फैसला करना चाहिए। ऐसा नहीं कर सरकार यह बताने में लगी है कि वह श्रमिक विरोधी है। पहले से ही बंगाल में चाय श्रमिक दैनिक मजदूरी तय नहीं होने से रोष में है। इस बार अगर चाय श्रमिक ज्वाइंट फोरम के बैनर तले आंदोलन प्रारंभ करेंगे तो अपनी सभी मांगों को मनवाने के बाद ही मानने वाले हैं। आश्चर्य की बात है कि जिस मां माटी मानुष सरकार को बंद संस्कृति से रोष है,उसी सरकार में मुख्यमंत्री के सबसे प्रिय हिल्स में 12 घंटे का बंद चाय श्रमिकों के हित में पूरी तरह सफल रहा था। इस बंद को ा्रमण को आने वाले पर्यटकों ने भी समर्थन दिया था। राज्य सरकार को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.