केंद्र सरकार पर पांच साल में सौ करोड़ से अधिक बकाया
-सब्सिडी नहीं मिलने से चाय बागान मालिक परेशान -टी बोर्ड की बैठक में बनी रही गहमा-गहमी -
-सब्सिडी नहीं मिलने से चाय बागान मालिक परेशान
-टी बोर्ड की बैठक में बनी रही गहमा-गहमी
-केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के पास जाएगा पूरा मामला
-भाजपा सांसदों ने तत्काल मदद का दिया भरोसा
विपिन राय,सिलीगुड़ी: पिछले 5 वषरें में सिलीगुड़ी,तराई तथा डुवार्स के चाय बागानों का केंद्र सरकार पर 100 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। टी बोर्ड के माध्यम से सरकार यहां के चाय बागानों को सब्सिडी के रूप में यह रकम देती है। इस पैसे का इस्तेमाल खासकर पुराने चाय के पौधे को हटाकर नए पौधे लगाने के लिए होता है। चाय बागान मालिकों ने केंद्र सरकार से तत्काल यह रकम जारी करने की माग की है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि केंद्र सरकार सब्सिडी के रूप में चाय बागानों को यह रकम नहीं दे रही है तो भला पहले से ही बदहाल चाय बागानों की हालत कैसे सुधरेगी। उत्तर बंगाल में चाय बागानों की स्थिति कुछ अच्छी नहीं है। कई चाय बागान बंद हो चुके हैं। बागानों में चाय उत्पादन में भारी कमी आ गई है। चाय बागान मालिक केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार से भी स्पेशल पैकेज की माग करते रहे हैं। लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है। राज्य सरकार का कहना है कि चाय बागान में सिर्फ मजदूरों की समस्या के समाधान की दिशा में ही पहल कर सकती है। चाय बागान सीधे टी बोर्ड के अधीन है। इसलिए बागान मालिकों को किसी प्रकार की सब्सिडी राज्य सरकार की ओर से नहीं दी जाती। जो भी सब्सिडी या सहायता दी जाती है वह केंद्र सरकार के अधीन भारतीय टी बोर्ड की ओर से दी जाती है। चाय बागाना मालिकों ने केंद्र सरकार से तत्काल सब्सिडी की रकम देने की माग की है। टी बोर्ड की बैठक में भी आज इसी बात को लेकर गहमा-गहमी बनी रही। सिलीगुड़ी टी ऑक्शन कमेटी के हॉल में मंगलवार को टी बोर्ड की बैठक हुई। जिसमें विभिन्न चाय उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। बैठक में सब्सिडी नहीं मिलने के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया। चाय बागान मालिकों का कहना था कि उत्तर बंगाल के चाय बागानों की हालत पहले से ही काफी खराब है। केंद्र सरकार वाजिब रकम भी नहीं दे रही है। जिसके कारण नए पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं। पुराने पौधे के कारण चाय के उत्पादन में लगातार कमी आ रही है। बागान मालिकों को कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा है जो अपने दम पर नए चाय के पौधे लगा लें। जितना बन पड़ता है बागान मालिक पौधे लगा रहे हैं। लेकिन बगैर केंद्र की सहायता के पूरी तरह से नए पौधे लगा पाना संभव नहीं है। इस बैठक में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जलपाईगुड़ी के भाजपा सासद जयंत राय तथा अलीपुरद्वार के भाजपा सासद जयंत राय भी उपस्थित थे। इन दोनों सासदों ने इस मुद्दे को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु के सामने रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि चाय बागान मजदूरों के साथ-साथ मालिकों की भी समस्या किसी से छिपी हुई नहीं है। वह इस मुद्दे पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री से बात करेंगे। चाय बागान मालिकों ने स्पेशल पैकेज देने की भी मांग की। बैठक में टी बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन अरुण कुमार राय, डिप्टी सेक्रटरी टी प्लाटेशन ज्योति यादव भी उपस्थित थीं।
बागान मालिकों की मांग सही-बिपिन सिंहल
टी बोर्ड के सदस्य बिपिन सिंहल ने भी चाय बागान मालिकों केमाग का समर्थन किया है। सिंहल का कहना है कि चाय बागानों में चाय के पौधे काफी पुराने हो गए हैं। उत्पादन में लगातार कमी आ रही है। केंद्र सरकार से कई बार सब्सिडी की माग की गई है। उसके बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ है। दोनों सासदों को पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है। दोनों सासदों ने कहा है कि वह लोग दार्जिलिंग के सासद राजू बिष्ट के साथ भी इस मामले में बातचीत करेंगे और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री से मिलकर कोई न कोई समाधान निकालेंगे। सिंहल ने माना कि चाय बागानों को इस समय केंद्र सरकार से सब्सिडी की काफी जरूरत है। ना केवल केंद्र सरकार बकाया सब्सिडी दे बल्कि अलग से राहत पैकेज भी दे। सिंहल चाय कारोबारियों के प्रतिनिधि के तौर पर टी बोर्ड के सदस्य हैं।