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चोरी-चोरी,चुपके-चुपके बदल गया साइट प्लान

-स्टाल के एलाटमेंट लेटर में मेमो नंबर ही दर्ज नहीं -आवंटन किसी को और निर्माण कराएगा कोई

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 09:16 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 09:16 PM (IST)
चोरी-चोरी,चुपके-चुपके बदल गया साइट प्लान
चोरी-चोरी,चुपके-चुपके बदल गया साइट प्लान

-स्टाल के एलाटमेंट लेटर में मेमो नंबर ही दर्ज नहीं

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-आवंटन किसी को और निर्माण कराएगा कोई और

-एक पर एक रहस्यों का खुल रहा है पिटारा

-नए नक्शे में मार्केट कमेटी के चेयरमैन का हस्ताक्षर नहीं

सुपर मार्केट में सुपर घोटाला-3 जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सुपर मार्केट के सुपर घोटाले की जड़ें काफी गहराई में है। कुरेदने पर एक से एक रहस्यों का पिटारा खुल रहा है। अब पार्किग एरिया में आवंटित 16 के स्थान पर जो 18 स्टाल का निर्माण कार्य शुरु कराया गया है। उसके कागजातों की खामियां ही घोटाले को उजागर कर रही है। आवंटन पत्र या कहें एलाटमेंट लेटर पर न ही रेगुलेटेड मार्केट कमेटी का और न ही स्टेट मार्केटिंग बोर्ड का मेमो नंबर दर्ज है। बल्कि आवंटन किसी को और स्टाल निर्माण का निर्देश किसी को दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में घोषित पार्किग एरिया पर वर्ष 2010 में 16 स्टाल के लिए स्थान आवंटित किया गया। जबकि वर्तमान में यहां 18 स्टाल बनाये जाने की प्रक्रिया शुरु की गई है। सूत्रों की माने तो आवंटन पत्र, लीज डीड और व्यापारियों के पहचान पत्र की जांच किए बगैर ही निर्माण का निर्देश मार्केट कमेटी ने दे दिया है। बल्कि आवंटन के समय वर्ष 2010 में बनाए गए साइट प्लान को भी बदल दिया गया है। पुराने साइट प्लान के मुताबिक फल-सब्जी मंडी जाने के मुख्य मार्ग के दोनों तरफ 9390 मिलीमीटर चौड़ा और 51050 मिलीमीटर लंबे स्थान पर आठ स्टालों का निर्माण कराने की योजना थी। सड़क से चार फीट का स्थान छोड़कर 30 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा कुल छह सौ वर्गफीट का 8-8 स्टाल बनाने की योजना को दर्शाया गया था। जबकि हाल में 18 स्टालों का निर्माण कार्य शुरु कराने के पहले हुए नाप-जोख के दौरान खड़े प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो नए साइट प्लान के मुताबिक अब सड़क से दस फीट छोड़कर स्टाल बनाया जाएगा। अर्थात छह सौ वर्गफीट के स्टाल के साथ सड़क से 10 फीट लंबाई और 20 फीट चौड़ाई यानी दो सौ वर्गफीट का स्थान व्यापारियों को मुफ्त में मुहैया कराया जाएगा? जबकि नए नक्शे पर मार्केट के चेयरमैन सह दार्जिलिंग जिला शासक का हस्ताक्षर भी नहीं है। जरा सोच कर देखिए मार्केट के सचिव और चेयरमैन के हस्ताक्षर वाले पुराने साईट प्लान को बदल कर बिना चेयरमैन के हस्ताक्षर वाले साइट प्लान को कार्यान्वित किया जा रहा है। बल्कि पुराना साइट प्लान रिट पेटीशन-24560 वर्ष 2010 के तहत कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल है। जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने पार्किग एरिया में स्टॉल निर्माण पर रोक लगा दी थी।

यहां बताते चलें कि पार्किग एरिया में स्टाल निर्माण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के व्यापारियों की तरफ से तृणमूल के सांसद कल्याण बनर्जी और उनके बेटे श्रीशन्य बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पार्किग एरिया में स्टाल निर्माण को उन्होंने पश्चिम बंगाल टाउन एंड कंट्री (प्लानिंग एंड डेवलपमेंट) एक्ट-1979 की धारा 46 के तहत अवैध बताया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट सरकार नहीं बल्कि सिर्फ एक वैधानिक संस्था है। इसलिए किसी भी प्रकार के विकास कार्य के लिए मार्केट कमेटी को प्लानिंग या डेवलपमेंट अथोरिटी से अनुमति लेना अनिवार्य है। जिसके आधार पर उच्च न्यायालय ने निर्माण कार्य पर स्टे ऑर्डर जारी किया था। लेकिन 16 के बदले 18 स्टाल निर्माण कार्य में भी प्लानिंग या डेवलपमेंट अथोरिटी की अनुमति नहीं ली गई है। आखिर क्या है मेमो नंबर का रहस्य

बिना मेमो नंबर वाले एक आवंटन पत्र असम के बरपेटा निवासी साधन चंद्र दे व तपन दे के नाम पर जारी किया गया है। इनके द्वारा 1.7 लाख रुपया राजस्व जमा कराने पर स्टॉल निर्माण के लिए निर्देश जारी किया गया। इस निर्देश पर तपन दे का हस्ताक्षर तो है, लेकिन साधन चंद्र दे का हस्ताक्षर नहीं है। बल्कि साधन चंद्र दे के बदले किसी मनोज साह ने दस्तखत किया है। जबकि साधन चंद्र दे जीवित हैं। अब स्टाल के लिए छह सौ वर्गफीट जमीन किसी के नाम पर आवंटित हुई और उसी स्थान पर स्टाल निर्माण के लिए किसी और को निर्देश जारी करना कानूनन कैसे संभव हो सकता है। मार्केट के व्यापारियों का कहना है कि पार्किग एरिया में स्टाल आवंटन व निर्माण शुरु कराने की पूरी प्रक्रिया का आंकलन प्रबंधन व दलाल राज की मिली-भगत से सुपर से उपर वाले घोटाले की तरफ इशारा करता है। सरकार और व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। कई प्रकार की हैं विसंगतियां

1.नियमों की अनदेखी यहीं नहीं रुकी है। जब आवंटन पत्र पर मार्केट कमेटी और स्टेट मार्केटिंग बोर्ड का मेमो नंबर नहीं है तो फिर स्वाभाविक रुप से लीज डीड पर भी नहीं होगी।

2.जबकि वर्ष 2008 से पहले सिलीगुड़ी रेगूलेटेड मार्केट में जितने भी स्टॉल आवंटित किए गए, सभी आवंटन पत्र व लीज डीड पर मार्केट कमेटी और स्टेट मार्केटिंग बोर्ड का मेमो नंबर दर्ज है।


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