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नहीं बनी बात जारी रहेगी हड़ताल, तराई के चाय बागानों में पहले दिन हड़ताल शांतिपूर्ण व असरदार

चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारण को लेकर मिनी सचिवालय उत्तर कन्या के बाद ऋषि भवन में हुई त्रिपक्षीय बैठक भी बेनतीजा रही।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 10:21 AM (IST)
नहीं बनी बात जारी रहेगी हड़ताल, तराई के चाय बागानों में पहले दिन हड़ताल शांतिपूर्ण व असरदार
नहीं बनी बात जारी रहेगी हड़ताल, तराई के चाय बागानों में पहले दिन हड़ताल शांतिपूर्ण व असरदार

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारण को लेकर सोमवार को मिनी सचिवालय 'उत्तर कन्या' के बाद मंगलवार को ऋषि भवन में हुई त्रिपक्षीय बैठक भी बेनतीजा रही। इसके मद्देनजर तराई, डुवार्स व पहाड़ के चाय बागानों में ज्वाइंट फोरम की ओर से आहूत श्रमिकों की तीन दिवसीय हड़ताल अब जारी ही रहेगी। पहले दिन मंगलवार को यहां तराई के चाय बागानों में श्रमिकों की हड़ताल शांतिपूर्ण व असरदार रही।

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चाय बागान मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी को लेकर आंदोलन कर रहे 24 से अधिक श्रमिक यूनियनों के ज्वाइंट फोरम के संयोजक जियाउल आलम ने कहा कि इस दिन की बैठक में चाय बागानों के मालिकान का न आना उनकी मनमानी को दर्शाता है। इस मनमानी को हर्गिज बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसके खिलाफ चाय बागानों में आहूत श्रमिकों की तीन दिवसीय हड़ताल भी जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि सोमवार को उत्तर कन्या में त्रिपक्षीय बैठक में श्रम विभाग के सचिव मनमाने ढंग से यह सुना दिया कि चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी 172 रुपये होगी। उसे मानने से जब श्रमिक संगठनों ने इंकार कर दिया तो सचिव बैठक छोड़ कर चले गए। उसके खिलाफ जब हमने बैठक कक्ष के बाहर धरना प्रदर्शन किया तो राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा कि उन्होंने राज्य के श्रम मंत्री से बात की है। वे 13 अगस्त को त्रिपक्षीय बैठक करेंगे।

इसके बावजूद सोमवार की अधूरी बैठक को पूरा करने के लिए वह अपने स्तर पर प्रयास करेंगे कि मंगलवार को पुन: बैठक हो। उसी के मद्देनजर संयुक्त श्रम आयुक्त ने इस दिन बैठक बुलाई। बैठक के लिए पल-पल में जगह भी तीन-तीन बार बदली गई। पहले उत्तर कन्या, फिर सिलीगुड़ी महकमा परिषद हॉल व अंतत: ऋषि भवन। खैर, सरकार के पक्ष से व श्रमिकों के पक्ष से भी लोग इस बैठक में सम्मिलित हुए लेकिन मालिकान पक्ष नहीं आया। यह सही नहीं है। मनमानी है। इसके खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा व और जोरदार होगा।

ज्वाइंट फोरम संयोजक ने यह भी कहा कि श्रम सचिव द्वारा चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी मात्र 172 रुपये तय किया जाना यह दर्शाता है कि राज्य सरकार का रवैया चाय बागान मालिकान के प्रति पक्षपाती है। उसे श्रमिक हित से कुछ नहीं लेना-देना। आज के इस महंगाई के दौर में भला दैनिक 172 रुपये से क्या मजदूरों का परिवार पल सकता है? उनकी न्यूनतम मजदूरी पहले से ही लगभग डेढ़ सौ रुपये है। उसमें वृद्धि कर उसे 172 रुपये करना क्या कोई वृद्धि है?

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चाय बागानों के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी कितनी होनी चाहिए यह सरकार न्यायोचित तरीके से तय करे। इसमें निर्धारित मानकों व दिशा-निर्देशों का पूरा-पूरा ख्याल रखा जाए। दिशा-निर्देश के तहत एक मजदूर को दैनिक 2700 कैलोरी का भोजन, पहनने के लिए आवश्यक कपड़ा व आवास का किराया, चिकित्सा, उसके बच्चों की शिक्षा व मनोरंजन की व्यवस्था आदि पहलुओं को ध्यान में रख कर ही उसी अनुसार न्यूनतम मजदूरी तय की जानी चाहिए। इसे वर्तमान समय एवं जरूरतों के उपयोग के अनुसार बढ़ाया जाना चाहिए। आज के हिसाब से न्यूनतम दैनिक मजदूरी किसी भी कीमत पर 300 रुपये से कम नहीं होनी चाहिए।

इस दिन चाय बागानों में श्रमिकों की हड़ताल को दबाने का भी पुलिस पर आरोप लगा है। ज्वाइंट फोरम की ओर से इंटक नेता अलोक चक्रवर्ती ने कहा कि इस दिन विभिन्न चाय बागानों से श्रमिक यहां बैठक स्थल पर आना चाह रहे थे लेकिन जगह-जगह उन्हें रास्ते में ही रोक कर वापस लौटा दिया गया। वहीं, चाय बागानों में पुलिस वालों व सत्तारूढ़ दलों के लोगों ने श्रमिकों को हड़ताल न करने की चेतावनी दी। इसके खिलाफ हम जोरदार आंदोलन करेंगे। 


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