सुंदर व सुगंधित ही नहीं है प. बंगाल का राजकीय पुष्प, सुंदरता बढ़ाने के साथ औषधि भी है यह
हरसिंगार को सिर्फ एक फूल न समझें। सुंदरता और सुगंध के साथ-साथ इसके औषधीय गुण को देखते हुए ही इसे पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। आइए जानें इसके गुणों को...
सिलीगुड़ी [जागरण विशेष]। हरसिंगार या पारिजात को पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प ऐसे ही घोषित नहीं किया गया है। इसके फूल दिखने में जितने सुंदर और सुगंध में अव्वल होते हैं उससे कहीं ज्यादा लाभप्रद हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हैं। गठिया, बवासीर, गंजापन, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया से लेकर सायटिका सहित कई तरह की बीमारियों में यह औषधि के रूप में काम करता है। और तो और, सिर में गंजे स्थान पर लगाने से नए बाल तक उगने लगते हैं।
अंग्रेजी में इसे नाइट जेस्मिन और उर्दू में इसे गुलज़ाफ़री कहा जाता है। हरसिंगार के पुष्प रात के समय खिलकर वातावरण को सुगंधित करते है और झड़ जाते हैं। रात्रि में इसके खुशबूदार छोटे छोटे सफेद फूल आते हैं, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है। प्रातःकाल तक फूल स्वतः ही जमीन पर गिर जाते हैं। फूलने का समय अगस्त से दिसंबर तक है। इसका वनस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है। यह देश भर में पैदा होता है।
हरसिंगार के फायदे :
मलेरिया/डेंगू /चिकनगुनिया : किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बुखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है। मलेरिया बुखार हो तो दो चम्मच हरसिंगार के पत्ते का रस के साथ दो चम्मच अदरक का रस और दो चम्मच शहद आपस में मिलाकर प्रातः सायं सेवन करने से लाभ होता है।
बबासीर : बबासीर के लिए हरसिंगार के बीज रामबाण औषधि माने गए हैं। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। यदि गुदा द्वार में सूजन या मस्से हों तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से लाभ होता है।
गठिया रोग : इसके छह से सात पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें, जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन वर्षों पुराना गठिया के दर्द में भी निश्चित रूप से लाभ देता है।
गंजापन : हरसिंगार के बीजों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को 30 मिनट तक गंजे सिर पर लगायें। इस प्रयोग को लगातार 21 दिन तक करने से गंजेपन में अत्यधिक लाभ होता है।
स्त्री रोग : हरसिंगार की सात कोंपलों (नइ पत्तियों) को पांच काली मिर्च के साथ पीसकर प्रातः खाली पेट सेवन करने से विभिन्न स्त्री रोगों में लाभ मिलता है।
सायटिका : दो कप पानी में हरसिंगार के 8-10 पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल लें, इस पानी को धीमी आंच पर आधा रह जाने तक पकाएं। ठंडा हो जाने पर इसे छानकर पियें। इस काढ़े को दिन में दो बार – प्रातः खाली पेट एवं सायं भोजन के एक डेढ़ घंटा पहले पियें। इस प्रयोग से सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। इस काढ़े का प्रयोग कम से कम सात दिन तक अवश्य करना चाहिए ।
त्वचा रोग : हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा से सम्बंधित रोगों में लाभ मिलता है और त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। त्वचा रोगों में इसके तेल का प्रयोग भी उपयोगी है। हरसिंगार के फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
बालों की रूसी : हरसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से नए बाल आने शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही यह रूसी और सफेद बालों को भी ठीक करता है। 50 ग्राम हरसिंगार के बीज को पीस कर एक लीटर पानी में मिलाकर बाल धोने से रूसी समाप्त हो जाती है।इसका प्रयोग सप्ताह में तीन बार करें।पेट के कीड़े : प्रातः, दोपहर एवं सायंकाल एक चम्मच हरसिंगार के पत्तों के रस में आधा चम्मच शहद मिला कर चाटने पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। इस प्रयोग को कम से कम तीन दिन तक करना चाहिए।
हृदय रोग : इसके फूल हृदय के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं। एक माह तक प्रातः खाली पेट इसके 15-20 फूल या फूलों का रस का सेवन हृदय रोग से बचाता है।
स्वास्थ्य रक्षक : स्वस्थ व्यक्ति भी यदि सर्दियों में एक सप्ताह तक हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा पिएं तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं शरीर यदि किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो वह भी समाप्त हो जाता है। हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है। इसके फूल ठंडे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है।अस्थमा : सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है। अस्थमा की खांसी में आधा चम्मच हरसिंगार के तने की छाल का चूर्ण पान के पत्ते में रखकर चूसने से लाभ मिलता है। इस प्रयोग को दिन में दो बार करना चाहिए।
सूखी खांसी : हरसिंगार की दो-तीन पत्तियों को पीस कर एक चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है। हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्तियां लीजिए और इन्हें एक गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनबुना या ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है।
मांसपेशियों का दर्द : दो चम्मच हरसिंगार के पत्तों का रस एवं दो चम्मच अदरक का रस आपस में मिलाकर प्रातः खाली पेट पीने से मांसपेशियों का दर्द समाप्त हो जाता है। हरसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से छह कप पानी में उबालकर, पांच कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है और दर्द का निवारण करती है।
सौंदर्य वर्धक : हरसिंगार के फूलों का पेस्ट और मैदा को दूध मिलाकर उबटन बना लें। शरीर पर लेप करने के 30 मिनट बाद स्नान कर लें। इस प्रयोग से त्वचा में निखार आता है। इसके तेल से मसाज करने पर त्वचा में लचीलापन आता है और त्वचा की नमी हमेशा बरकरार रहती है।
विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत- शेफालिका। हिन्दी- हरसिंगार। मराठी- पारिजातक। गुजराती- हरशणगार। बंगाली- शेफालिका, शिउली। असमिया- शेवालि। तेलुगू- पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल- पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम - पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़- पारिजात। उर्दू- गुलजाफरी। इंग्लिश- नाइट जेस्मिन। मैथिली- सिंघार, सिंगरहार ।