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नया साल तू इस कदर आया कर, महबूब के नाम की चिट्ठी लाया कर ..

-शहर की 18 कवयित्रियों ने किया स्वरचित कविताओं का पाठ -महिला मंच का उद्देश्य महिलाओं को

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 06:20 AM (IST)
नया साल तू इस कदर आया कर, महबूब के नाम की चिट्ठी लाया कर ..
नया साल तू इस कदर आया कर, महबूब के नाम की चिट्ठी लाया कर ..

-शहर की 18 कवयित्रियों ने किया स्वरचित कविताओं का पाठ

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-महिला मंच का उद्देश्य महिलाओं को साहित्य सृजन से जोड़ना है : अर्चना शर्मा

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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : महिला काव्य मंच, सिलीगुड़ी इकाई की ओर से सोमवार को एसपी मुखर्जी रोड स्थित एचबी विद्यापीठ में चतुर्थ मासिक कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का शुभारंभ दीप महिला काव्य मंच की पदाधिकारी व सदस्यों ने दीप प्रज्जवलित के साथ किया। इसके बाद मंच की महासचिव बबिता अग्रवाल कंवल ने स्वरचित सरस्वती वंदना करके सम्मेलन का शुभ आगाज किया।

कवयित्री किरण अग्रवाल ने 'नये साल'कविता शीर्षक के माध्यम से नये साल को महबूब की तरह आने की गुजारिश की। नकली नहीं, इस बार असली गुलदस्ते और ग्रीटिंग्स की चाहत की। वहीं अमरावती गुप्ता ने अपनी कविता नारी को समर्पित करते हुए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नारी को दुर्गा बनने का आह्वान किया। दूसरी ओर कवयित्री निशा गुप्ता ने अपनी कविता 'जवाब चाहती हूं' के माध्यम से स्त्री-पुरुष को एक दूसरे का बाधक के बजाय पूरक होने की मांग की। स्त्री कमजोर नहीं है। यह बात सोनी केडिया की कविता में साफ झलक रही थी। अपनी कविता के माध्यम से उन्होंने गुनगुनाते हुए कहा- 'स्त्री कमजोर नहीं होती, वो तो बस प्रेम से झूक जाती है।' वहीं महिला काव्य मंच की संरक्षक अर्चना शर्मा ने समसामयिक स्थिति पर दुख प्रकट करते हुए गीत के माध्यम से सवाल किया-'दिल के फासले, दिलों के आज बढ़ रहें है, बोलो किस दिशा की ओर हम बढ़ रहें है?' नवोदित कवयित्री वीणा चौधरी ने अपनी गजल 'तेरी आहट होती है' के माध्यम से प्रेम नया मानक गढ़ा। प्रियंका जायसवाल की कविता 'जिंदगी' को काफी पसंद की गयी। वहीं कवयित्री रूबी प्रसाद ने अपने मुक्तक देश के जवानों की शहादत पर दिल छूने वाली कविता से खूब तालियां बटोरी। कवयित्री अपनी कविता में कहती है-' जो हो हिम्मत तो फौजी के जज्बात को पढ़ लेना, गर सीखना है, कुछ तो शहीद के हालात को पढ़ लेना।' तो कवयित्री सम्मेलन की सबसे कनिष्ठ कवयित्री ने व्यंग्य करते हुए कहा-'आज द्रोपदी की रक्षा करने कृष्ण नहीं पधारते, क्योंकि आज घर-घर में दुर्योधन पाए जाते है।'

महिला काव्य मंच की अध्यक्षा डॉ. वंदना गुप्ता ने बताया कि हम इस मंच से किसी का विरोध नहीं करते। यह सृजन का मंच है। महासचिव बबिता अग्रवाल कंवल ने कहा कि महिला काव्य मंच देश के 28 राज्यों में दुबई, मलेशिया, अमेरिका, नेपाल आदि जगहों पर यह मंच अभिव्यक्ति व सृजन का बड़ा मंच साबित हो रही है। हमें लगता था कि सिलीगुड़ी में दो-चार कवयित्री है। लेकिन इस मंच ने चार महीने में 20 से अधिक कवयित्रियों को स्थापित किया। सचिव व कवयित्री सम्मेलन की संचालिका रीता दास ने कहा कि स्त्री का पूरा जीवन ही कविता है। बस जरूरत है सही ढंग से पढ़ने की। उन्होंने अपनी गजल में बताया कि आज का दौर फरेब और चालबाजियों का है।

कैप्शन : महिला काव्य मंच की सदस्या


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