कहीं आखों की रौशनी न छीन ले लॉकडाउन !
-स्मार्ट फोन और लैपटॉप पर बीत रहा है ज्यादा समय -कंधे पर पीठ की मांसपेशियों पर भी बुरा
-स्मार्ट फोन और लैपटॉप पर बीत रहा है ज्यादा समय
-कंधे पर पीठ की मांसपेशियों पर भी बुरा प्रभाव
-60 साल से अधिक उम्र वालों को ज्यादा परेशानी इरफ़ान-ए-आज़म, सिलीगुड़ी : कोरोना वायरस के जानलेवा संक्रमण (कोविड-19) के खौफ से बीते डेढ़ महीने से देश भर में लॉकडाउन जारी है। इसके तहत सब कुछ ठप है। हर जगह लोग अपने-अपने घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। काम कम और फुर्सत ज्यादा है। इसलिए, इन दिनों दिन-रात लोगों का सबसे ज्यादा समय स्मार्ट फोन व लैपटॉप पर ही बीतता है और यही लोगों की आखों की रोशनी के लिए खतरे की घटी है। एक आकलन के अनुसार पूर्व के आम दिनों की तुलना में इन दिनों लॉकडाउन के दौरान स्मार्टफोन व लैपटॉप पर लोगों द्वारा व्यतीत किया जाने वाला समय 2 से 3 गुना ज्यादा बढ़ गया है। इसीलिए लोगों की आखों पर भी रिस्क ज्यादा हो गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार आज के समय आखों के दृष्टिदोष के हर चार में से एक रोगी के दृष्टिदोष का कारण कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्ट फोन स्क्रीन पर अत्यधिक समय व्यतीत करना है। इसके चलते आखों में थकान, दबाव, तरल द्रव्य पदार्थ का कम हो जाना, आखों में सूखापन आ जाना और धुंधला-धुंधला दिखना आदि समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। इन सभी समस्याओं को सम्मिलित रूप में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। इस बारे में सिलीगुड़ी के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. क़ाजी मोहम्मद नैयर आलम कहते हैं कि स्मार्टफोन को अगर स्मार्ट तरीके से उपयोग नहीं किया गया तो यह हमारी दुनिया को अंधेरों से भर देगा। कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्ट फोन का अत्यधिक उपयोग न सिर्फ आखों बल्कि मानसिक व शारीरिक अन्य स्वास्थ्य पहलुओं के मद्देनजर भी बहुत ही हानिकारक व घातक है। स्मार्टफोन के छोटे से स्क्रीन पर छोटे-छोटे अक्षरों को पढ़ने हेतु आखों पर बहुत दबाव उत्पन्न होता है। आखों का बहुत देर तक चमकती हुई स्क्रीन पर ही लगे रहना आखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बहुत घातक है। आखों के स्वास्थ्य का एक पहलू यह भी है कि आखों की पलकें हर एक मिनट में कम से कम 15 बार झपकती हैं। परंतु, जब हम कंप्यूटर या लैपटॉप या स्मार्टफोन स्क्रीन पर लगातार देखते पढ़ते रहते हैं तो आखों का झपकना कम हो जाता है। यह प्राकृतिक प्रति मिनट 15 से घट कर 6-7 पर आ जाता है जो कि अत्यंत चिंतनीय है। यह गौर करने का पहलू है कि आखों की पलकें जितनी बार झपकती हैं उतनी बार आखों में तरलता यानी नमी प्रदान करती हैं जिससे आखें थकान व दबाव मुक्त एवं फ्रेश रहती हैं। आखों में थकान, दबाव व सूखापन नहीं आता है। मगर, कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल के चलते आखों पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ता है। इसी तरह रात के समय बिस्तर पर लेट कर घटों स्मार्ट फोन देखते रहने से, इसका न सिर्फ आखों की दृष्टि व स्वास्थ्य पर बल्कि नींद एवं पूरे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी घातक असर पड़ता है। आखों की मासपेशिया ही नहीं बल्कि गर्दन व कंधे और पीठ की मासपेशियों पर भी दबाव उत्पन्न हो जाता है। एक शोध में यह तथ्य भी उभर कर सामने आया है कि स्मार्ट फोन के स्क्रीन की ब्लू लाइट आखों के लिए बहुत हानिकारक है। आखों के रेटिनल पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है, जिससे रासायनिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है जो आखों के फोटो रिसेप्टर को नुकसान पहुंचाती है। उसके चलते दृष्टि दोष व भविष्य में अंधापन तक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि रूम की सारी बत्तिया बुझा कर अंधेरे में किसी भी कीमत पर कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्ट फोन पर नहीं देखना चाहिए। हमारी आखों की बनावट व प्रकृति ऐसी है कि इससे लगातार तेज चमकीली चीजों को देखते रहना सही नहीं है। घातक है। 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की आखों की मास पेशिया ऐसे भी उम्र जनित कारणों के चलते कमजोर हो जाती हैं। अत: उन्हें तो और भी सावधानी बरतनी चाहिए। कंप्यूटर व लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसी तेज चमकीली रौशनी वाली स्क्रीन पर ज्यादा वक्त नहीं गुजारना चाहिए। क्या कहना चाहिए
वैसे इस नए जमाने में ऐसा भी मामला है कि कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्टफोन के बिना काम भी नहीं चल सकता। इनका उपयोग जरूरी है। ऐसे में उपयोग के साथ-साथ एहतियात भी जरूरी है। एहतियाती पहलू का ख्याल रखा जाए तो आखों पर प्रतिकूल असर कम किया जा सकता है। कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्ट फोन का उपयोग आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए। स्क्रीन की ब्राइटनेस कम रखनी चाहिए। इतनी कि उसे देखने पर आखों पर अतिरिक्त दबाव न उत्पन्न हो, आरामदायक हो। छोटे स्क्रीन पर जब भी कुछ छोटे-छोटे अक्षरों वाले कंटेंट को पढ़ना हो तो फाट साइज बड़ा कर लिया जाना चाहिए या फिर जूम करके पढ़ा जाना चाहिए। इस दौरान आखों को बार-बार झपकना भी न भूलना चाहिए। 20-20-20 फॉर्म्यूला कारगर सिद्ध हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कंप्यूटर, लैपटॉप व स्मार्ट फोन पर लगातार 20 मिनट से ज्यादा नहीं देखना चाहिए। हर 20 मिनट पर 20 सेकेंड का ब्रेक लेना चाहिए। उस 20 सेकेंड में 20 फीट दूरी पर स्थित किसी चीज को लगातार घूरते रहना चाहिए।