छोटे सिलेंडरों की अवैध बिक्री जोरों पर,सुरक्षा को बड़ा खतरा
-बीच में ही सिलेंडर से कई किलो गैस गायब -छोटे दुकानों मे की जाती है अवैध रीफिलिंग
-बीच में ही सिलेंडर से कई किलो गैस गायब
-छोटे दुकानों मे की जाती है अवैध रीफिलिंग
-कभी हो सकती है आग लगने की कोई बड़ी घटना
-अन्य तरीकों से भी उपभोक्ताओं को गैस एजेंसियां लगा रही है चूना जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : चोरी-चोरी चुपके-चुपके उपभोक्ताओं का जेब कुतरने के लिए एलपीजी एजेंसी या फिर कंपनी के पास सिर्फ कैश एंड कैरी का ही रास्ता नहीं है। बल्कि सिलेंडर से गैस की चोरी करने के साथ अवैध तरीके से पांच किलो वाले छोटे एलपीजी सिलेंडर का कारोबार भी धड़ल्ले से चल रहा है। सिलीगुड़ी व आस-पास के बाजारों में छोटे सिलेंडरों की खुलेआम बिक्री हो रही है। दुकानों में खुलआम बड़े सिलेंडरों से इन छोटे सिलेंडरों में गैस भरने का काम होता है।
एलपीजी कंपनी और गैस एजेंसियों द्वारा उपभोक्ताओं की जेब काटने का मामला जब दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित करना शुरू किया तो आम लोगों की काफी शिकायतें भी मिलने लगी है। कुछ लोगों ने सिलेंडर में गैस कम होने का आरोप लगाया है। वहीं कई लोगों ने बाजारों में अवैध तरीके से छोटे सिलेंडरों में गैस भरे जाने को लेकर खतरे का अंदेशा जताया है। कई लोगों का आरोप है एलपीजी सिलेंडर में 14.2 किलोग्राम से कम गैस रहता है। सामान्य स्थिति में पहले जो सिलेंडर 18 से 20 दिन चलता था, वह कभी 12 तो कभी 10 दिन में ही खत्म हो जाता है।
नियम के अनुसार एलपीजी एजेंसी के कर्मचारी जब उपभोक्ताओं के घर सिलेंडर डिलीवरी करते हैं तो भार और लीकेज की जांच करना अनिवार्य है। जबकि कर्मचारी तो ऐसा करने से दूर भागते ही हैं, उपभोक्ता भी सिलेंडर का भार और लीकेज जांच की मांग नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त बाजार में पांच किलो वाले छोटे एलपीजी सिलेंडर आसानी से उपलब्ध हैं। बाजार में छोटे सिलेंडर की बिक्री पूरी तरह से अवैध है। हां कुछ एलपीजी कंपनियों ने जरूर छोटे सिलेंडर लांच किए हैं। उसके बाद अधिकांश अवैध रूप से भरे जाने वाले छोटे सिलेंडरों की ही बिक्री होती है। नियमानुसार रसोई और कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की तरह एलपीजी कंपनी पांच किलोग्राम वाली एलपीजी सिलेंडर भी मुहैया कराती है। इसके लिए उपभोक्ताओं को मानदंड के अनुसार छोटे एलपीजी सिलेंडर का कनेक्शन लेना होता है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार अधिकतम तीन महीने के लिए ही बड़े सिलेंडर के बदले छोटे सिलेंडर का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए एलपीजी कंपनी या एजेंसी से आवेदन कर बड़े एलपीजी सिलेंडर कनेक्शन पर ही छोटे का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ताओं को उस सीमित समय के लिए एलपीजी कंपनी या एजेंसी को पैसा जमा देना होता है। बाद में छोटा सिलेंडर जमा कर बड़ा सिलेंडर वापस प्राप्त करने का प्रावधान है। लेकिन इतनी पेंच में उलझने से लोग बचते हैं और बाजार से अवैध रूप से बिकने वाले छोटा सिलेंडर खरीद कर अपनी जरुरत पूरा करते हैं। छोटा सिलेंडर बेचने व गैस भरने करने वाले कारोबारी खतरे को खुलेआम आमंत्रण देकर अपना अवैध कारोबार चलाते हैं। छोटे सिलेंडर में गैस रीफिलिंग करने वाले व्यापारी एलपीजी एजेंसी से ब्लैक में सिलेंडर खरीदते हैं। बल्कि कंपनी की आंख में धूल झोंककर अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भी कई एलपीजी कनेक्शन लेते हैं। इन्हीं सिलेंडरों से एक नली के सहारे छोटे सिलेंडरों में गैस भरते हैं। गैस रीफिलिंग करने की यह प्रक्रिया खतरे से खाली नहीं। थोड़ी सी चूक एक भयावह अग्निकांड को जन्म दे सकती है। जबकि अधिकांश दुकानों में तो अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं होती है।
जेब कटने पर जागे उपभोक्ता
सिलीगुड़ी के माटीगाड़ा निवासी महेश गुप्ता ने बताया कि कैश एंड कैरी नियम की जानकारी के अभाव में वे कई बार गोदाम में कैरिग चार्ज देना पड़ा है। बल्कि घर पर सिलेंडर पहुंचाने वाला कर्मचारी भी कैरिग चार्ज के नाम पर हर बार बीस रुपए लेता रहा है। कैश एंड कैरी के बारे में जानकारी देकर जागरुक करने के लिए दैनिक जागरण का धन्यवाद करते हुए उन्होंने अभी से सतर्क रहने तथा अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी सतर्क करने का प्रण लिया है।
दार्जिलिंग के घूम निवासी अशोक कुमार लेप्चा ने बताया कि पहाड़ के अधिकांश लोगों को कैश एंड कैरी के बारे में जानकारी नहीं है। इसी का फायदा उठाकर एजेंसी और सिलेंडर घर पहुंचाने वाले कर्मचारी उपभोक्ताओं को लूट रहे हैं। उन्होंने बताया कि एजेंसी के गोदाम से उनका घर डेढ़ किलोमीटर के दायरे हैं। उनकी शिकायत है कि एजेंसी बुकिंग के बाद समय पर उन्हें सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराती है। सिलेंडर घर पहुंचाने वाला कर्मचारी भी हर बार एक सौ रुपए ले जाता है।
सिलीगुड़ी निवासी चांद दीपक शेखर ने भी बताया कि उनके घर सिलेंडर पहुंचाने वाला एलपीजी कर्मचारी भी 20 रुपया प्रति सिलेंडर लेता है।