सिंगल स्क्रीन सिनेमा का अस्तित्व खतरे में
-उर्वशी और आनंदलोक के बाद अब मेघदूत भी हुआ अतीत -करोड़ों की जमीन पर अब मार्केट काम्पलेक्स बनाने की
-उर्वशी और आनंदलोक के बाद अब मेघदूत भी हुआ अतीत
-करोड़ों की जमीन पर अब मार्केट काम्पलेक्स बनाने की तैयारी 08
सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर थे पहले सिलीगुड़ी में
04
सिनेमा घर ही वर्तमान में संचालित हो रहे हैं
-90
के दशक में इन सिनेमा घरों की बोलती थी तूती
जागरण विशेष
दीपेंद्र सिंह, सिलीगुड़ी: शहर के सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल संकट के दौर से गुजर रहे हैं। एक के बाद एक लगातार सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल के बंद होने का दौर जारी है। झंकार, उर्वशी, आनंदलोक के साथ अब मेघदूत सिनेमा हाल का नाम भी अतीत के पन्नों से जुड़ गया है। इन दिनों जमीन पर बिखरे पड़े मेघदूत के कंक्रीट के अवशेष जेसीबी के जरिए पूरी सिद्दत से हटाए जा रहे है। स्थानीय लोग बताते हैं कि शहर के सबसे पुराने सिनेमा हाल में से एक मेघदूत सिनेमा हाल के शेयर एक जमाने में बेचे गए थे। तब कई लोगों के पास इसके शेयर हुआ करते थे। बाद में कुछ एक शेयर धारक अधिक से अधिक शेयर खरीद कर इसके मुख्य कर्ता-धर्ता बन गए थे। कहा जा रहा है कि जल्द ही यहां एक बहुमंजिली मार्केट कांप्लेक्स खड़ा हो जाएगा। जर्जर सिनेमा हाल की तस्वीर शायद अब कभी नहीं दिखेगी। एक समय शहर में आठ सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल हुआ करते थे। वर्तमान में सिर्फ चार संचालित हो रहे हैं, बाकी बंद हो चुके हैं। जो संचालित हो रहे हैं वो भी कितने दिन चलेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता। सिलीगुड़ी सिने सोसाइटी के संस्थापक सचिव अनिमेष बोस कहते हैं कि सिनेमा का वह दौर भूले नहीं भूलता। अस्सी व नब्बे के दशक में सिनेमा व्ययवसाय अपने चरम पर था। सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमा हाल के जलवे थे। लोग ब्लैक में टिकट खरीदकर देखा करते थे। अक्सर सिनेमा हाल के सामने हाउस फुल का बोर्ड लटक जाता था। देखते ही देखते वह दौर गुम हो गया। कोरोना काल के बाद तो सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमा हाल पर ग्रहण ही लग गया। एक-एक करके सिनेमा हाल बंद होते चले जा रहे हैं। उन जगहों पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो रही हैं। यूं कहें तो बंद होते सिनेमा हाल रियल एस्टेट कारोबार को संबल दे रहे हैं।
हालांकि अनिमेष बोस यह भी कहते है कि सिंगल स्क्रीन सिनेमा कभी खत्म नहीं होगा। हां इतना जरूर है कि इनकी संख्या बहुत कम रह जाएगी। अमेरिका व इंग्लैंड जैसे देशों में अब भी सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल चल रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जमीन की आसमान छूती कीमतों ने सिंगल स्क्रीन सिनेमा को मार दिया है। वर्तमान समय में सभी सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल शहर के मुख्य सड़कों के किनारे हैं। वर्तमान में इसकी जमीन की कीमत ही करोड़ों रूपये में है। रियल एस्टेट कारोबारियों को इस तरह की जमीनों की तलाश भी रहती है। ऐसे में समय के साथ धीरे- धीरे सिंगल स्क्रीन का दौर खत्म हो जाए तो गलत न होगा।
मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में शहर का नामी पायल सिनेमा हाल अस्थाई तौर बंद चल रहा है। सेवक रोड का यह सिनेमा हाल एक समय काफी लोकप्रिय हुआ करता था। पायल सिनेमा हाल का भविष्य क्या होगा,यह तो समय तय करेगा। लेकिन इतना तो जरूर है कि यदि यह सिनेमा हाल नहीं रहा तो यहां भी भव्य मार्केट कांप्लेक्स जरूर होगा। इसी तरह का हाल विशाल सिनेमा और विश्वदीप सिनेमा का है। ये दोनों सिनेमा घर अभी चल रहे हैं। विश्वदीप हिलकार्ट रोड पर है और विशाल सेवक रोड पर। दानों ही सिनेमा घर के पास काफी जमीन है। इसकी बाजार कीमत पचास करोड़ से उपर की होगी। ऐसे में भला कोई सिंगल स्क्रीन सिनेमा घर कितने दिनों तक चलाएगा। वह भी तब जब मुनाफा नहीं के बराबर है और या फिर काफी कम है।
अनिमेष बोस कहते हैं कि डिजिटल प्लेटफार्म यानी ओटीटी के कारण आज यह हालत है। लोग ओटीटी पर ही सिनेमा देख ले रहे हैं। यादों को ताजा करते हुए वे कहते हैं कि कभी मेघदूत सिनेमा हिलकार्ट रोड की शान हुआ करता था। जब हाल का शो छूटता था तो रास्ते जाम हो जाते थे। वाहनों की कतार लग जाती थी। एक वह भी जमाना था
- झंकार, उर्वशी, आनंदलोक व मेघदूत सिनेमा हाल में फिल्म देखने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी रहती थीं। दर्शक इतने उत्साहित होते थे कि दोगुने दाम में टिकट खरीद लेते थे।
-यह वह समय था जब मल्टीप्लेक्स नहीं थे। आज मल्टीप्लेक्स का दौर है। युवा पीढ़ी सिनेमैक्स व आइनाक्स की दीवानी है।
-उस समय एसी में बैठकर फिल्में देखने का सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता था।
-प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, विशेष, बालकनी, सोफा, सामान्य श्रेणियां हुआ करती थी।
-संपन्न लोग बालकनियों और सोफे पर बैठकर फिल्में देखते थे। सामान्य लोगों के लिए प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी हुआ करते थे।
बंद होने वाले सिनेमा घर
1.झंकार
2.आनंदलोक
3.उर्वशी
4.मेघदूत
5.पायल अस्थायी जो सिनेमा घर चल रहे हैं
1.विश्वदीप
2.विशाल
3.न्यू सिनेमा