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अशोक धावले के नेतृत्व में मांगों को लेकर किसानों ने किया सिलीगुड़ी मार्च

किसान नेता अशोक धावले ने कहा कि अब समय आ गया है कि जो किसान हित की बात करेगा, वही देश व प्रदेश में राज करेगा। किसानों की अनदेखी करने वालों को चैन से नहीं बैठने देंगे।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 08:25 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 08:25 PM (IST)
अशोक धावले के नेतृत्व में मांगों को लेकर किसानों ने किया सिलीगुड़ी मार्च
अशोक धावले के नेतृत्व में मांगों को लेकर किसानों ने किया सिलीगुड़ी मार्च
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  • किसान नेता अशोक धावले ने कहा, बंगाल के किसानों ने माना सरकार बदलकर हुई गलती
  • किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं, राज्य सरकार भी किसान विरोधी

सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। किसान नेता अशोक धावले ने कहा कि अब समय आ गया है कि जो किसान हित की बात करेगा, वही देश व प्रदेश में राज करेगा। किसानों की अनदेखी करने वालों को मजदूर और किसान सत्ता में चैन से नहीं बैठने देंगे।
धावले गुरुवार को सिलीगुड़ी में अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय खेतिहर मजदूर यूनियन की ओर से आयोजित उत्तर कन्या अभियान के तहत जनसभा को संबोधित कर रहे थे। जनसभा तीनबत्ती प्राइमरी स्कूल के मैदान पर आयोजित की गई थी।
धावले ने कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार ने लगभग पांच वर्षो में और बंगाल सरकार ने सात वर्षो में एक रुपये भी किसानों का कर्ज माफ नहीं किया। जिस प्रकार किसानों के मुद्दे पर पांच राज्यों में तीन राज्यों में भाजपा की विदाई हुई है, उसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भाजपा 2019 में पूरी तरह सत्ता से दूर हो जाएगी। विधानसभा चुनाव में ममता सरकार की विदाई किसान कर देंगे। यह मुंबई समेत अन्य राज्यों में किसानों के आंदोलन और आक्रोश से प्रमाणित होता है।
मजदूरों को मनरेगा के नाम पर ठगा जा रहा है। हमारी मांग है कि मजदूरों को साल में कम से कम 200 दिन काम दिया जाए। मजदूरी 350 रुपये प्रतिदिन होनी चाहिए। किसान और मजदूरों का नारा है, हमारी उपज का दाम फसल की लागत से डेढ़ गुना होना चाहिए। स्वामीनाथन कमीशन ने यही सिफारिश की है। एक ओर 15 उद्योगपति 350 लाख करोड़ रुपये लेकर विदेश चले गए। उनसे न तो 56 इंच की सरकार ने रुपये वापस लिए और न ही इसके आरोपितों को विदेश से भारत लाकर जेलों में भरा गया। इसके विपरीत किसान जब कर्ज नहीं चुका पाते तो उन्हें इतना तंग किया जाता है कि वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।
धावले ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद आमदनी भी बढ़ी है, परंतु उसका अन्नदाता से कोई लेना देना नहीं है। सिंगूर के मुद्दे पर बंगाल में वाममोर्चा ने जो किया उस समय किसानों ने उसे गलत समझा। 10 वर्षो बाद जब सिंगुर में सारा भारत किसान मोर्चा ने वहीं से रैली निकाली तो किसानों ने माना कि वाममोर्चा का विरोध करना उनकी गलती थी। ममता सरकार किसानों की लागत को तीन गुना करने की बात करती है, परंतु सच्चाई यह है कि सरकार ने किसानों का दोहन और शोषण किया है। आने वाले दिनों में 8-9 जनवरी को भारत बंद बुलाया गया है। किसानों के मुद्दे पर हर गांव में किसान सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।
इसके पहले उत्तर कन्या अभियान के तहत सुबह 11 बजे बड़ी संख्या में उत्तर बंगाल के सात जिलों के प्रतिनिधि और किसान झंडा-बैनर के साथ पहुंचे। दोपहर 12 बजे महानंदा नदी एयरव्यू के पास से रैली निकलकर उत्तर कन्या की ओर रवाना हुई। सभा को अमल हालदार, अमोल पात्रा, अशोक नारायण भट्टाचार्य, झरेन राय, निपेन चौधरी, खगेन मुर्मू, शमशेर अली, जितेन दास आदि ने संबोधित किया।  

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