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भाजपा छोड़ना चाहते हैं शोभन चटर्जी व बैशाखी बंद्योपाध्याय

Shobhan Chatterjee. शोभन चटर्जी व बैशाखी बंद्योपाध्याय भाजपा छोड़ना चाहते हैं। भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात कर दोनों ने यह इच्छा जताई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 01:04 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 01:04 PM (IST)
भाजपा छोड़ना चाहते हैं शोभन चटर्जी व बैशाखी बंद्योपाध्याय
भाजपा छोड़ना चाहते हैं शोभन चटर्जी व बैशाखी बंद्योपाध्याय

जागरण संवाददाता, कोलकाता। भाजपा से जुड़े अभी दो हफ्ते भी नहीं हुए कि शोभन चटर्जी व बैशाखी बंद्योपाध्याय पार्टी छोड़ना चाहते हैं। भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात कर दोनों ने यह इच्छा जताई है। दोनों को ही पार्टी में एक समान पद चाहिए, जिसके लिए प्रदेश भाजपा राजी नहीं है। इससे दोनों खासे खफा हैं। इसके साथ ही रायदीघी से तृणमूल कांग्रेस विधायक देवश्री राय की भाजपा में इंट्री पर भी दोनों को आपत्ति है।

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भाजपा सूत्रों की मानें तो बैशाखी के दबाव में शोभन भी देवश्री का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा से इस बाबत सकारात्मक संकेत नहीं मिलने पर शोभन व बैशाखी ने नई दिल्ली में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने का फैसला किया है। दोनों दिल्ली पहुंच चुके हैं। इधर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति पार्टी से ऊपर नहीं है। मत भिन्नता हो सकती है लेकिन पार्टी का फैसला सबको मानना होगा। उन्होंने बताया कि शोभन चटर्जी को भाजपा की ओर से कोलकाता व दक्षिण 24 परगना जिलों में अहम पद देने पर विचार चल रहा है। बैशाखी बंद्योपाध्याय भी शोभन के समकक्ष पद चाहती हैं। यहीं पर प्रदेश भाजपा नेतृत्व को आपत्ति है।

उनका मानना है कि राजनीति में बैशाखी अभी नई हैं। उनके जैसे कई अध्यापक-अध्यापिकाएं राज्य भाजपा के साथ हैं। सभी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। पूर्व आइपीएस भारती घोष भी रास्ते पर उतरकर लड़ाई कर रही हैं। बैशाखी को भी ऐसा ही करना चाहिए। उन्हें किसी पद की आकांक्षा से पहले खुद को साबित करना होगा। गौरतलब है कि गत 14 अगस्त को शोभन व बैशाखी ने नई दिल्ली में भाजपा का झंडा थामा था। 28 अगस्त को कैलाश विजयवर्गीय के कोलकाता स्थित आवास पर दोनों ने पार्टी छोड़ने की इच्छा जताई है।

सूत्रों की मानें तो बैशाखी के व्यवहार से प्रदेश भाजपा नेतृत्व नाराज है। कैलाश विजयवर्गीय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि बैशाखी की आपत्ति को पार्टी में महत्व नहीं मिलेगा। देवश्री राय का पार्टी में स्वागत होगा। साथ उन्होंने यह भी संकेत दे दिए कि बैशाखी के चलते राज्य भाजपा में असंतोष बढ़ रहा है। इसी के बाद शोभन ने विजयवर्गीय के सामने पार्टी छोड़ने की इच्छा रखी।

कोलकाता के पूर्व मेयर ने भी साफ कहा कि बैशाखी का अपमान वह बर्दाश्त नहीं कर सकते। देवश्री राय को लेकर उन्हें भी आपत्ति है।

कई दिनों से चल रहा है खेल

शोभन व बैशाखी ने जिस दिन भाजपा की सदस्यता ली थी, उसी दिन से खेल जारी है। जब दोनों पार्टी में शामिल हो रहे थे, तभी वहां रायदीघी से तृणमूल विधायक देवश्री राय भी पहुंच गई थीं। उन्हें भी भाजपा में शामिल होना था लेकिन तब शोभन की आपत्ति पर पार्टी में शामिल नहीं किया गया। भाजपा सूत्रों की मानें तो देवश्री राय पर असल आपत्ति बैशाखी को थी। इसके बाद भाजपा के प्रदेश कार्यालय में भी जमकर नाटक हुआ। शोभन के सम्मान समारोह में आमंत्रण पत्र से बैशाखी का नाम ही गायब था।

उस मामले को भाजपा नेता जय प्रकाश मजुमदार ने संभाल लिया था। तब दिलीप घोष ने भी कहा था कि शोभन-बैशाखी दाल-चावल की तरह हैं। इसमें अलग से बोलने का क्या है। इसके बाद फिर बैशाखी को विधायक दल की बैठक में शामिल होने नहीं दिया गया।

प्रदेश भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी में पद पाने के लिए बैशाखी का दबाव बनाने का यह तरीका है। अभी अगर शोभन भाजपा छोड़ते हैं तो यह भाजपा के लिए भारी किरकिरी होगी। दोनों इसी का लाभ उठाना चाहते हैं।

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