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सात वर्ष पहले दो महिलाओं की हत्या मामले में छह लोगों को आजीवन कारावास

सरकारी वकील प्रसनजीत दास ने कहा कि कोर्ट ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी है, जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिला है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 01 May 2018 12:37 PM (IST)Updated: Tue, 01 May 2018 12:37 PM (IST)
सात वर्ष पहले दो महिलाओं की हत्या मामले में छह लोगों को आजीवन कारावास
सात वर्ष पहले दो महिलाओं की हत्या मामले में छह लोगों को आजीवन कारावास

दुर्गापुर, जेएनएन। संयुक्त व‌र्द्धमान जिले के केतुग्राम थानांर्गत कांद्रा इलाके में सात वर्ष पहले दो महिलाओं की हत्या मामले में छह लोगों को कटवा कोर्ट ने दोषी करार दिया। सोमवार को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जिसके बाद उन्हें कटवा कोर्ट से जेल भेज दिया गया।

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जिन लोगों को सजा सुनाई गई है उनमें कृष्णकांत धर, विमल साहा, नारायण थांडार, अष्टम घोष, बिप्लब साहा एवं राजेश हाजरा शामिल है। सभी केतुग्राम थाना के कांद्रा के ही निवासी है। एक अक्टूबर वर्ष 2011 को कांद्रा निवासी रेखारानी राय 71 एवं गीता माझी 23 की हत्या धारदार हथियार से कर दी गई थी। जिसमें उक्त छह लोगों समेत सात के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज हुई है।

पुलिस ने मामले की जांच करते हुए सातों को गिरफ्तार कर लिया था, तब से उन्हें जमानत नहीं मिल पायी थी एवं जेल में ही बंद थे। जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संदीप चौधरी ने छह को हत्या का दोषी माना एवं एक को मामले से बरी कर दिया।

रेखा रानी के पति की मौत हो जाने के बाद वह अपने दो मंजिला घर में रहती थी। उसके बच्चे काम के सिलसिले में बाहर रहते थे। नीचे के कमरे को गीता को किराया पर दी थी, वह भी अकेले ही रहती थी। एक अक्टूबर वर्ष 2011 को अराजक तत्व डकैती के उद्देश्य से पहुंचे, जहां नशीला पदार्थ रेखा के मुंह पर फेंक कर बेहोश कर दिया था, उसके बाद जेवरात की चोरी कर फरार होने लगे, तभी रेखा को होश आ गया।

इलाके के अराजक तत्व होने के कारण वह अपराधियों को पहचान गई थी, इस कारण उन लोगों ने गला काटकर उसकी नृशंस हत्या कर दी थी। उसी समय गीता वहां पहुंच गई थी, जहां उसकी भी नृशंस हत्या अराजक तत्वों ने कर दी। मामले की जांच करते हुए पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसमें छह को मामले में दोषी करार दिया गया। सरकारी वकील प्रसनजीत दास ने कहा कि कोर्ट ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी है, जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। 


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