रॉयल बंगाल टाइगर शावक 'इका' की मौत
शहर से थोड़ी दूर सेवक रोड स्थित नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क में मंगलवार को एक मादा रॉयल की मौत हो गई। उसकी मौत से पशु प्रेमियों मे ंशोक व्याप्त है।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
शहर से थोड़ी दूर सेवक रोड स्थित नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी पार्क) में मंगलवार को एक मादा रॉयल बंगाल टाइगर शावक इका की मौत हो गई। उसकी उम्र साढ़े पांच महीने थी। उसकी मौत से पशु प्रेमियों में शोक व्याप्त है। बंगाल सफारी के बॉयोलोजिस्ट आदित्य मित्रा ने बताया कि मंगलवार सुबह लगभग 10 बजे उन लोगों ने देखा कि 'इका' मरी पड़ी है। उन्होंने बताया कि गत दो-तीन दिन पहले खेलने के क्रम में किन्हीं कारणों से 'इका' के पिछले पांव में चोट लगी थी। उसके चलते वह लंगड़ा कर चलती थी। उसकी आवश्यक चिकित्सा भी कराई गई। उसके लिए बाहर से डॉक्टर भी बुलाए गए। मगर, वह बच नहीं पाई और मंगलवार सुबह मरी हुई पाई गई।
उन्होंने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि पशु जगत में जो सबसे अंत में जन्मा शावक होता है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम होती है। उल्लेखनीय है कि 'इका' का जन्म अपनी अन्य दो बहनों 'किका' व 'रीका' संग एक साथ ही हुआ था और इका सबसे अंत में जन्मी थी। वैसे इका की अन्य दोनों बहनों के पुर्णरूपेण स्वस्थ होने की बात भी उन्होंने कही। उल्लेखनीय है कि गत मई महीने में उक्त पार्क की ही रॉयल बंगाल टाइगर जोड़ी स्नेहाशीष व शीला को तीन शावक जन्मे थे। शीला ने बड़े जतन से तीनों को जन्म दिया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गत अगस्त महीने में तीनों शावकों का नाम किका, रीका व इका रखा था। उनमें से इका अब नहीं रही। मंगलवार को ही इका का पोस्टमॉर्टम करा कर उसके मृत शरीर को जला दिया गया। बंगाल सफारी के बायोलोजिस्ट आदित्य मित्रा ने बताया कि पोस्टमॉर्टम में प्राथमिक रूप से मौत की वजह हृदय गति व श्वसन में समस्या सामने आई है। इका के मृत शरीर से आवश्यक सैंपल आगे की 'विसेरा' जांच के लिए भी रख लिए गए हैं। उस सैंपल को 'विसेरा' जांच हेतु कोलकाता की प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। गौरतलब है कि 'विसेरा' जांच के तहत मृत शरीर में जहर व नशीले पदार्थो की उपस्थिति आदि का पता चलता है।
इधर, इका की मौत से जहां उसकी मां शीला गहरे सदमे में है वहीं पशु प्रेमियों में भी शोक व्याप्त है। हिमालयन नेची एंड एडवेंचर फाउंडेशन (नैफ) के संयोजक जाने-माने पर्यावरण व पशु प्रेमी अनिमेष बोस ने रोष जताते हुए कहा कि इका की मृत्यु हो जाना अत्यंत दुखद है। यह केवल सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए बड़ी क्षति है। बाघ वैसे ही पूरे भारत वर्ष में तेजी से कम होते जा रहे हैं। वे संरक्षित श्रेणी के पशु में आते हैं। उनकी देखभाल सही ढंग से की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक बिल्ली को भी बहुत ऊंचे से फेंक दें तो भी उसका पांव चोटिल नहीं होता तो कैसे एक बाघ के शावक का पांव खेलते-खेलते चोटिल हो गया? पांव चोटिल हो ही सकता है मगर उसके चलते मौत हो जाना बहुत दुखद है। उसकी देखभाल कैसे हुई? कहीं दवाओं का ओवर डोज तो नहीं हो गया? इसकी आवश्यक जांच होनी चाहिए।
उन्होंने इस नियम पर भी सवाल उठाया कि पशु जगत में जो सबसे अंत में जन्मा शावक होता है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम होती है। उन्होंने कहा कि यह आम प्राकृतिक जंगली माहौल में तो माना जा सकता है कि वहां सही देखभाल नहीं हो सकती है। तगड़े शावक लड़-झगड़ के खाना झपट लेते हैं और कमजोर नहीं ने पाते। मगर, एक पार्क में तो वैसा माहौल नहीं है यहां तो उनकी देखभाल की आवश्यक व्यवस्था होती है व होनी चाहिए। इसलिए इस मौत की जांच जरूरी है।
इका की मौत के साथ ही अब बंगाल सफारी में बाघों की संख्या छह से घट कर पांच हो गई है। याद रहे कि सबसे पहले इस पार्क में एक नर बाघ स्नेहाशीष व एक मादा बाघ शीला ही थे। उसके बाद झारखंड से एक और नर बाघ बिधान लाया गया। इधर, शीला ने ऊपरोक्त तीन शावकों को जन्म दिया था। तब, बंगाल सफारी में बाघों की संख्या छह हो गई जो अब मात्र पांच ही रह गई।