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कोरोना काल में मजबूरी में शुरू धंधे में ही रम गया मन

-हजारों लोगों ने अपने पुराने कारोबार को कहा बाय-बाय -सब्जी और मछली की दुकान लगाकर ख

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 06:33 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:33 PM (IST)
कोरोना काल में मजबूरी में शुरू धंधे में ही रम गया मन
कोरोना काल में मजबूरी में शुरू धंधे में ही रम गया मन

-हजारों लोगों ने अपने पुराने कारोबार को कहा बाय-बाय

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-सब्जी और मछली की दुकान लगाकर खुश सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट

-संकट की घड़ी में पैसे कमाने का मिला नया जरिया

-खस्ताहाली में मंडी वालों को भी मिल गया थोड़ा सहारा मोहन झा, सिलीगुड़ी : कोरोना महामारी से पूरा विश्व लड़ रहा है। कोरोना का कहर सिर्फ मानव के स्वास्थ्य पर ही नहीं अपितु देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश की अर्थव्यवस्था डगमगाने का सीधा असर नागरिकों पर हो रहा है। बढ़ती आबादी के साथ बेरोजगारी से जूझ रहे भारत जैसे देश में कोरोना संकट और भी गहरा रहा है। ऐसी स्थिति मे सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट रोजगार में सहायक साबित हुआ है। कोरोना काल मे बेरोजगार हुए सिलीगुड़ी सहित आसपास के सैंकड़ों लोगों के घरों मे चूल्हा सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के दम पर जला है।

कोरोना की वजह से बीते 2 महीने तक सरकार ने लॉकडाउन जारी किया। इस काल मे यातायात पूरी तरह से ठप रहा। दुकान-पाट, बाजार, होटल, मॉल, सिनेमा हाल, मल्टीप्लेक्स आदि बंद थे। बड़े-बड़े उद्योग, कल-कारखाने भी बंद रहे। होटल, रेस्टोरेन्ट, लॉज, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल आदि पर अभी भी ताला लटका हुआ है। जिसकी वजह से यहा काम करने वाले श्रमिक और कर्मचारियों का रोजगार छिन गया है। केंद्र सरकार के निर्देश पर लॉकडाउन के पहले महीने तो किसी तरह मालिकों और कंपनियों ने श्रमिकों और कर्मचारियों का भार उठाया। लेकिन बाद में चुपके से हाथ खड़ा कर दिया। वहीं लॉकडाउन होते ही फास्ट-फूड की दुकान,ठेला, चाय दुकान, रिक्शा-वैन, टोटो-सिटी ऑटो,बस चालक और खलासी तथा फेरी वाले आदि की कमाई का जरिया ही बंद हो गया है। लेकिन पेट की भूख को शात करने के लिए अनाज तो चाहिए। ऐसी स्थिति मे काफी लोग, फल-सब्जी और मछली बेच कर गुजारा करने लगे। अब अनलॉक 1 के बाद बीमारी बढ़ने के बाद भी स्थिति सामान्य हो रही है तो इनमें से कुछ लोग तो अपने पुराने धंधे में लौट गए हैं तो कुछ लोगों को अब यही धंधा जम गया है। पुराने धंधे को इनलोगों ने बाय-बाय कर दिया है। फास्ट फूड का ठेला लगाने वाले, टोटो चालक आदि ने जिस काम को मजबूरी में शुरू किया था,वही अब रोजगार का माध्यम बन गया। ऐसे लोग फास्ट फूड के ठेले, टोटो-वैन, साइकिल आदि पर सब्जी, फल, मछली, भुट्टा आदि लेकर घर-घर घूम कर बेचने लगे हैं। जबकि कुछ लोग सुबह-शाम सड़क किनारे बैठकर सब्जी-फल व मछली बेच कर गुजारा कर रहे हैं। समय मिलता है तो टोटो और ऑटो भी चला लेते हैं। कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए ऐसे लोगों को सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के व्यापारियों ने काफी सहायता की । सब्जियों और मछली की कोई जानकारी तक नहीं थी

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के व्यापारियों की मानें तो कोरोना की वजह से लॉकडाउन के साथ ही व्यापार एकाएक नीचे गिर गया। उत्तर बंगाल के विभिन्न इलाकों सहित पूर्वोत्तर के साथ पड़ोसी देश नेपाल और भूटान से आने वाले ग्राहको की संख्या आधे से भी कम हो गई। लेकिन सिलीगुड़ी व आस-पास के खुदरा ग्राहकों की संख्या बढ़ी, जो रोजाना हजार-पांच सौ रूपये का माल लेने आते थे। कुछ ग्राहक ऐसे भी मिले जो फल और मछलियों की प्रजातियों को ठीक से पहचानते भी नहीं हैं। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट फल मंडी के व्यापारी बाबुल पाल चौधरी, पार्थ चक्रवर्ती, उमा शकर प्रसाद, पलाश चक्रवर्ती, परमानंद राय व अन्य ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से फास्ट फूड, रिक्शा-वैन, टोटो-सिटी ऑटो चलाने वाले, फेरी वाले जैसे सैंकड़ों लोग इस व्यापार से जुड़े। कोरोना के पहले सिर्फ फल मंडी में रोजना औसतन 3 करोड़ का व्यापार होता था। कोरोना की वजह से लॉकडाउन मे गिर कर 1 से डेढ़ करोड़ का रह गया। फल मंडी मे रोजाना औसतन डेढ़ हजार से अधिक पैकार ग्राहकों का आना-जाना था। कोरोना काल मे पैकार ग्राहको की संख्या आधे से भी अधिक घट गई। लेकिन हजार-दो हजार रूपये का समान लेने वाले ग्राहकों की संख्या काफी बढ़ी। बेरोजगार हुए इन ग्राहकों की व्यथा सुनकर बकाए पर माल दिया गया, ताकि उन्हे बेच कर ये अपना और परिवार की भूख मिटा सकें। लॉकडाउन के समय मंडी के व्यापारियों का हाल भी खस्ता हो चला था। हजार-दो हजार रुपये का माल लेने वाले इन ग्राहकों ने अपने साथ-साथ मंडी के व्यापारियों को भी ऑक्सीजन देने का काम किया । अभी अनलॉक होने से भी लोगों मे कोरोना का भय है। बाजार-हाट, सिंगल विंडो दुकानें पहले की तरह नहीं चल रही है। बाजारों में भीड़ आधे से भी कम है। जिसकी वजह से काफी नए लोग सब्जी-फल और मछली घूम-घूम कर बेच रहे हैं।


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