शहीदों के सपने को साकार करें : विमल गुरुंग
दार्जिलिंग में आमरण अनशनकारियों से डीएम ने अनशन तोड़ने की अपील की जिसे अनशनकारियों ने अनसुना कर दिया।
सिलीगुड़ी, [जेएनएन] । पुलिस की गोली से अलग राज्य के लिए हमारे बुजुर्ग, व युवक युवतियां शहीद हुए। जिनके सपनों को साकार करना हमारी नैतिकता है। यह मंतव्य गुरूवार को गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग ने कालिम्पोंग स्थित डंबर चौक पर आयोजित शहीद दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। गोजमुमो सुप्रीमो ने कहा कि धार्मिक , राजनीतिक व सामाजिक मतभेद भुलाकर (प्रस्तावित गोरखालैंड क्षेत्र के निवासी) सभी को गोरखालैंड की लड़ाई लड़नी होगी। दार्जिलिंग क्षेत्र में रहने वाले सभी लोग गोरखा संतान हैं।
इसी तरह गोरामुमो प्रवक्ता नीरज जुंबा ने कहा कि अलग राज्य के लिए आंदोलन तो ठीक है पर इसका स्वरूप बदलना होगा क्यों कि आंदोलन के 47 दिन बाद भी केंद्र व राज्य सरकार की ओर से कोई सकारात्मक रूख नहीं अपनाया गया है। जिस तरह सुभाष घीसिंग ने आंदोलन किया था ठीक उसी तरह आंदोलन करना होगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन में पुलिस की गोली से 9 लोग शहीद हुए पर संसद सदस्य ने लोकसभा में चूं तक नहीं किया जब कि गौ रक्षक अथवा अन्य किसी मामले पर लोकसभा में हंगामा मच जाता है। हमें इस संबंध में सोचना होगा।
इसी क्रम में गोजमुमो केंद्रीय कमेटी सदस्य तिलक चंद्र रोका कि आंदोलन विफल करने को राज्य सरकार ने आर्थिक नाकेबंदी कर रखी है। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को सरकार की नीति के खिलाफ एसडीओ, डीएम, बीडीओ कार्यालय में एक-एक मुठठी चावल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार हनन से संबंधित रिपोर्ट क्रामाकपा नेता अरूण घतानी तैयार कर रहे हैं तथा उक्त रिपोर्ट राज्य व केंद्र सरकार, राज्यपाल समेत सभी प्रमुख अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अपना रूख परिवर्तित न किया तो सरकार की आर्थिक नाकेबंदी का जवाब बिजली, चाय व पर्यटकों से मिलने वाला राजस्व नहीं दिया जाएगा। डागापुर में धारा 144 लगाकर आंदोलन कमजोर करने का प्रयास किया गया।
दार्जिलिंग में आमरण अनशनकारियों से डीएम ने अनशन तोड़ने की अपील की जिसे अनशनकारियों ने अनसुना कर दिया। प्रशासन की रोक के बाद भी सुकना में शहीद दिवस मनाया गया। आगामी 1 अगस्त को दिल्ली में गोरखालैंड मूवमेंट कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक होगी जिसकी तैयारी चल रही है। इसके साथ ही सिक्किम में डाक घर खुले हैं जहां से गोरखालैंड के समर्थन में लाखों पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उधर, वर्ष 1986 से 88 के बीच हुए आंदोलन के योद्धा बालकृष्ण शर्मा का गुरुवार को निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा में सुभाष घीसिंग के पुत्र मन घीसिंग शामिल हुए।
विदित हो कि वर्ष 1986 से 88 के बीच अलग राज्य के लिए गोरामुमो सुप्रीमो सुभाष घीसिंग ने आंदोलन छेड़ा था इस दौरान करीब 1200 लोग पुलिस की गोली का शिकार हुए शहीदों की याद में हर वर्ष 27 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जाता है।
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