नदियों की जमीन पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं : रंजन सरकार
- वार्ड एक और तीन में चलेगा अभियान - सेवक रोड पर अभी भी हाईड्रेनों पर है कब्जा - शीघ्
- वार्ड एक और तीन में चलेगा अभियान
- सेवक रोड पर अभी भी हाईड्रेनों पर है कब्जा
- शीघ्र शुरू की जाएगी हटाने की कार्रवाई जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
राज्य की मुख्यमंत्री सरकारी जमीन समेत नदियों की जमीन पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण के सख्त खिलाफ हैं। सिलीगुड़ी शहर की सुंदरता में महानंदा नदी का गौरवपूर्ण इतिहास है। ऐसे में नदी किनारे जमीन पर अतिक्रमण बर्दाश्त योग्य नहीं है। हर हाल में नदियों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। यह कहना है नगर निगम के विरोधी दल नेता सह दार्जिलिंग जिला तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष रंजन सरकार उर्फ राणा का। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वार्ड एक व तीन जो शहर का मुख्य प्रवेशद्वार है, यहां वर्षो से महानंदा नदी की जमीन पर कब्जा कर बस्तियां बसा ली गई है। इसके कारण महानंदा नदी में गंदगी फैल रही है। महानंदा की गंदगी के कारण हिदी भाषियों को अपना लोकपर्व छठ मनाने में भी परेशानी होती है। ऐसा मां माटी मानुष की सरकार नहीं होने देगी। अतिक्रमण हटाने के लिए सिंचाई विभाग, नगर निगम और एसजेडीए का कहा जाएगा। रंजन सरकार ने आगे बताया कि नदियों के जमीन पर अतिक्रमण करने के पीछे किसी नेता या राजनीतिक दल का हाथ क्यों ना हो,उससे निपटने के लिए प्रशासन तैयार है। अतिक्रमण हटाने में स्थानीय वार्ड पार्षद और जनता को सहयोग करना होगा। सरकार ने कहा कि शहर में अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल है। जबकि इस समस्या का समाधान है। वर्तमान सड़कों को ही ही यदि अतिक्रमण मुक्त करा लें तो जाम की समस्या कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों दैनिक जागरण ने हाईड्रेन पर अतिक्रमण की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। स्वयं पर्यटन मंत्री गौतम देव, पांच नंबर बोरो चेयरमैन रंजनशील शर्मा और वह अतिक्रमण हटाने निकले। सेवक रोड में अभी भी आधा क्षेत्र ही मुक्त हुआ है जल्द ही बचे क्षेत्र को मुक्त कराने का अभियान चलेगा। इसके साथ ही शहर में अवैध निर्माण को भी तोड़ने की जरूरत है। नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में वह इसकी मांग करेंगे।
जबाव देने के डर से गायब रहते हैं एमएमआईसी
रंजन सरकार ने कहा कि नगर निगम में इन दिनों एक नई परंपरा वामपंथी बोर्ड के सदस्यों ने प्रारंभ की है। जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर जब भी बोर्ड मीटिंग में बात की जाती है तो जबाव देने के लिए मेयर परिषद सदस्य उपस्थित ही नहीं होते। आज राज्य भर में खुले में शौच बंद कराने की मुहिम चल रही है। नगर निगम में कई ऐसे वार्ड है जहां अभी भी खुले में शौच करने के लिए लोग विवश है। वहां के पार्षदों ने बस्ती विकास विभाग के पास सूची भी बना कर भेजी है, परंतु उसपर कोई काम नहीं हो रहा है।