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नाजुक कलाइयों में फौलादी ताकत भर रहे हैं रामचंद्र छेत्री, आप भी जानिए कैसे

जो स्थान मानव तस्करी के लिए कुख्यात हो, वहां युवतियों में आत्मसुरक्षा के गुर सीखने की भावना का जगना लाजमी है। इसे सिखाने के लिए रामचंद्र छेत्री आगे आए हैं, वह भी निश्शुल्क।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 10:40 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 10:40 AM (IST)
नाजुक कलाइयों में फौलादी ताकत भर रहे हैं रामचंद्र छेत्री, आप भी जानिए कैसे
नाजुक कलाइयों में फौलादी ताकत भर रहे हैं रामचंद्र छेत्री, आप भी जानिए कैसे
सिलीगुड़ी [अशोक झा] । पश्चिम बंगाल की लड़कियों में अपने हाथ ही अपनी सुरक्षा का भाव तेजी से जग रहा है। खासकर सिलीगुड़ी में यह भाव जगाने का मुख्य श्रेय रामचंद्र क्षेत्री को जाता है। वे सात वर्षों से आधी आबादी को बिना कोई शुल्क लिए नियमित कराटे का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इनमें पांच वर्ष की बच्चियों से लेकर तीस या इससे ऊपर की उम्र की युवतियां व महिलाएं भी हैं।

रामचंद्र की क्लास में आत्मसुरक्षा के गुर सीखतीं बच्चियां।
     यह कड़वा सच है कि कदम-कदम पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुराचार, दोयम दर्जे का व्यवहार, मानव तस्करी और पाशविक व्यवहार होता है। लेकिन समय तेजी से बदल रहा है। महिलाएं पहले से ज्यादा जागरूक और अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत हो गई हैं। यही कारण है कि शहर के मिलनमोड़ के ब्लैक बेल्ट सह थर्ड डॉन बन चुके रामचंद्र छेत्री पिछले सात वर्षों से कोमल हाथों को फौलाद बनाने में जुटे हैं।
     अपनी सुरक्षा अपने हाथ से करने का गुरुमंत्र दे रहे हैं। आज की तारीख में मिलनमोड़ स्थित राम सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग अकादमी में 140 बच्चियों व युवतियों को कराटे में प्रशिक्षित कर रहे है। छेत्री का कहना है कि जब तक वे उत्तर बंगाल के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों की हर बच्ची को इससे नहीं जोड़ लेते है, तबतक वे चुप नहीं बैठने वाले।
आत्मनिर्भर के साथ बीमारी से रहते हैं दूर
रामचंद्र छेत्री का कहना है कि डाडीगुलसारा आसीहारा कराटे से जुडऩे वाले बच्चे-बच्चियां सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि इसके माध्यम से वह पूरी तरह स्वस्थ भी रहते हैं। छेत्री का दावा है कि इसका प्रशिक्षण लेने वाले कभी बुखार से पीड़ित नहीं होते। किसी भी परिस्थिति में वे उससे जूझने की ताकत रखते हैं।
कौन हैं रामचंद्र छेत्री
शहर के प्रधान नगर थाना स्थित मिलनमोड़ का रहने वाले हैं रामचंद्र छेत्री। 14 सितंबर 1976 में जन्मे रामचंद्र ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सुकना स्थित इलापाल चौधरी स्कूल से प्राप्त की। उसके बाद ओपन विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने लगे। इसी बीच वे कमांडो कोर्स कर कराटे जापान से शीबांग से प्रशिक्षण लिया। 1998 में ब्लैक बेल्ट बन गए। उसके बाद काम की तलाश में कर्नल गुरुप्रीत सिंह से मुलाकात हुई।
    उन्होंने उनकी योग्यता को देखते हुए आर्मी और पुलिसकर्मियों को कराटे का प्रशिक्षण देने लगे। इस दौरान उन्होंने लड़कियों पर अत्याचार होते कई बार देखा, अखबारों में पढ़ा। मानव तस्करी का शिकार होनेवाली बच्चियों के दुख-दर्द ने उनको अपना निर्णय बदलने को विवश किया और उसी दिन से कर्नल गुरुप्रीत सिंह को मना करते हुए इन बच्चियों के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया।

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