रामनवमी पर सड़कों पर नहीं, घर-घर गूंजा जय श्रीराम
-ना कोई रैली निकली और ना ही शोभायात्रा का आयोजन - दीप जलाकर लोगों ने की कोरोना क
-ना कोई रैली निकली और ना ही शोभायात्रा का आयोजन
- दीप जलाकर लोगों ने की कोरोना को भगाने की कामना
जागरण संवाददाता,सिलिगुड़ी:पूर्वोत्तर भारत के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी में पहली बार सड़कों पर रामनवमी के दिन जय श्रीराम के नारे नहीं बल्कि घर-घर में जय श्रीराम की गूंज सुनाई दी। कोरोना वायरस से लगे लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंस को कायम रखने के लिए इस बार राम नवमी पर ना तो कोई शोभायात्रा निकली और ना ही कोई रैली। प्रति वर्ष यहा हजारो की संख्या में राम भक्त सड़को पर गाजे बाजे के साथ निकलते थे। इस वर्ष तो मंदिर निर्माण की तिथि तक घोषित हो चुकी थी, उत्साह चरम पर था लेकिन इसको विराम देते हुए शहर के प्रमुख मंदिरों में भी रामनवमी पूजा के लिए सिर्फ पुजारी ही मंदिर के अंदर गए। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल तथा उत्तर बंग सेवा भारती से जुड़े हजारों कार्यकर्ता एक दूसरे को मोबाइल के माध्यम से राम नवमी पर बधाई दें उन्हें हर हाल में सोशल डिस्टेंस बनाए रखने का एहसास कराया। इस दौरान व्यापारियों द्वारा राम नवमी के अवसर पर दुकान में पूजा और हालखाता की औपचारिकता भर पूरी की गई। शहर के वरिष्ठ व्यापारी और समाजसेवी भगवती प्रसाद डालमिया ने कहा कि उन्होंने आपातकाल में भी ऐसी स्थिति नहीं देखी। आज रामनवमी है प्रभु राम ही आपदा से बचने का सही मार्ग लोगों को दिखाएंगे।
इस अवसर को लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पूजा कर व्यवसाय में उन्नति और तरक्की की कामना की गई। बही खातों की पूजा की गई। कलश स्थापना हुई। गणेश लक्ष्मी का पूजन,हवन इत्यादि किया गया। इसके साथ ही घरों में भी रामनवमी का पूजन कर सुख-शाति की कामना की गई। इस अवसर पर नाना प्रकार के पकवान तैयार किए गए। प्रसाद बनाया गया। वहीं मंदिरों में भी रामनवमी मनाई गई। भगवान राम-सीता को नये-नये वस्त्र पहनाए गए। आरती इत्यादि की गई। इस अवसर पर भक्तों ने बाहर से ही मंदिरों के दर्शन किए। इस बाबत श्रद्धालुओं का कहना था कि रामनवमी के मौके पर रामलला का पूजन कर व्यापार में उन्नति और तरक्की की कामना की। साथ ही विश्व शाति हेतु भी कामना की गई। इस समय जो कोरोना वायरस की स्थिति है उसको लेकर विशेष तौर पर शांति की कामना की गई। वही रामनवमी के अवसर पर श्रद्धालुओं के द्वारा संध्या बेला में घरों के बाहर दीपक जलाए गए। किसी ने ग्यारह तो किसी ने सात और नौ दीपक जलाकर रामनवमी पर्व मनाया।