31 वर्ष पूर्व भी हुआ था शिलान्यास : ओमप्रकाश अग्रवाल
- बिहार के एक दलित को दिया साधु -संतों ने इंट रखने का दिया अवसर - विहिप के लिए था ऐतिहासिक
- बिहार के एक दलित को दिया साधु -संतों ने इंट रखने का दिया अवसर
- विहिप के लिए था ऐतिहासिक क्षण, लक्ष्य था मंदिर निर्माण
-तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह और सीएम एनडी तिवारी की एक नहीं चली
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर 31 वर्ष पूर्व विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर 10 नवम्बर को भूमिपूजन कर आधारशिला रखी गयी थी। यह कहना है विहिप के पूर्व उत्तर बंगाल प्रान्त अध्यक्ष वयोवृद्ध ओम प्रकाश अग्रवाल उर्फ सिनी का। उन्होंने कहा कि उस क्षण को वे कभी नहीं भूल सकते जब राममंदिर के लिए तीन चरण में शिलान्यास पूजा की गई थी। यहा सिंहद्वार के अग्निकोण में दिगंबर अखाड़ा के महंत स्वामी रामचंद्र परमहंस जी महाराज के देखरेख में सम्पन्न हुआ था। प्रथम चरण में इन्द्रादि, दूसरे चरण में प्रधान देवताओं तथा तीसरे चरण में गंधर्व को आह्वान करते हुए पूजा की गई थी। यहा विहिप के संयुक्त सचिव जो बिहार के एक दलित परिवार के कामेश्वर चौपाल थे ने पहली ईट रखी थी। कहा था मानो श्रीराम ने सबरी के जूठे बेर को एक बार फिर ग्रहण किया है। उस समय साधु संतों में जय श्रीराम का उद्घोष हुआ था। भक्तों के आखों से अविरल खुशी के धारा निकल रही थी। शिलान्यास के लिए दो लाख गावो से ईंट अयोध्या पहुंच चुकी थी। कहा गया था कि यह सिर्फ मंदिर निर्माण नहीं बल्कि यह हिंदू राष्ट्र के गौरव भवन के पुनरुत्थान निर्माण की नींव है। इसके गवाह रहे अग्रवाल का कहना है कि 8 नवम्बर शाम होते होते सभी पंत सम्प्रदाय के साधु संत पहुंच गए थे। विहिप के सभी प्रान्तों से कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे। प्रशासन के हाथ पाव फुले हुए थे। पूरे इलाके को सुरक्षा बलों ने घेर रखा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी कुछ समझ नही पा रहे थे। गोरखपुर से महंत अवधेशानंद जी महाराज को राजकीय विमान से बुलाया गया। उन्हें बताया गया कि न्यायालय ने शिलान्यास स्थल को विवादित स्थान बताया है। शिलान्यास अन्यंत्र किया जाय। महंत जी ने इस निर्णय को अस्वीकार किया। मुख्यमंत्री ने केंद्र से संपर्क स्थापित कर केंद्रीय गृहमंत्री बूटा सिंह को लखनऊ बुलाया। नक्शा मंगाया गया और अंत मे निर्णय हुआ कि यह जमीन विवादित भूमि से अलग है, शिलान्यास किया जा सकता है। गृहमंत्री बूटा सिंह ने दूरदर्शन को बयान दिया कि शिलान्यास स्थल विवादित भूमि से बाहर हुआ है। इसका अशोक सिंघल ने खंडन किया था। अग्रवाल का कहना है कि वह ऐसा क्षण था कि हर राम भक्त को लगता था कि अब क्या होगा शिलान्यास हो पायेगा या नहीं। अगले पल ही इसके सम्पन्न होने से मानों वर्षो से रामभक्तों की मुराद पूरी हो गई।