इस बार कलाइयों पर कैसे सजेगी रेशम की डोर
-कोरियर बंद और पोस्ट ऑफिस जाने में डर -भाइयों को राखी नहीं भेज पा रही हैं बहनें -
-कोरियर बंद और पोस्ट ऑफिस जाने में डर
-भाइयों को राखी नहीं भेज पा रही हैं बहनें
-लॉकडाउन के कारण भाईयों का आना भी मुश्किल
-कोरोना काल में रक्षाबंधन भी हुआ डिजिटल
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: रक्षाबंधन 3 अगस्त को है,लेकिन बहनों की उत्साह पर कोरोना ने पानी फेर दिया है। कोरोना महामारी रक्षाबंधन त्योहार के रंग को फीका कर दिया है। जबकि बहनों को अपने भाइयों की बेहद याद आ रही हैं। ये अपने मायके को मिस कर रही हैं। उनका कहना है कि वे लॉकडाउन और महामारी को देखते हुए मायके भी नहीं जा पाएगी। एक दूसरे की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। जिन्होंने रक्षाबंधन को ध्यान में रखते हुए टिकट इत्यादि बनवाई थी उसे भी कैंसिल करवाने में लगी हैं। इस बारे में बहनों का कहना है कि बाजार बंद होने की वजह से राखी आदि भी नहीं मिल पा रही है। जिनके भाई करीब हैं उनको मौली बाधकर ही राखी का पर्व मनाया जाएगा। कई बहनों ने स्वयं अपने हाथों से राखी तैयार की है। किंतु इनको बाहर भेजने में भी बहुत परेशानी हो रही है। कोरियर बंद है तो पोस्ट ऑफिस में जाने से डर लग रहा है। पता नहीं कौन कोरोना संक्रमित के संपर्क में आ जाए। बाहर से भी सिलीगुड़ी शहर में राखी आदि नहीं आ रही है। क्योंकि हर जगह एक ही तरह की समस्या दिखाई पड़ रही है। ऐसे में कई बहनें ऑनलाइन राखी भिजवा रही हैं। उपहार भी ऑनलाइन ही दिखा दिए जाने की तैयारी है। एक ही शहर में रहने वाली बहनों का कहना है कि वे भी शायद राखी वाले दिन अपने मायके जा पाएं। क्योंकि एक दूसरे से मिलने से इस बीमारी के फैलने का डर अधिक होता है। स्थानीय निवासी बबीता अग्रयाल का कहना है कि उनके भाई सिक्किम में रहते हैं। प्रतिवर्ष वह मुझसे राखी बंधवाने आते हैं। इस वर्ष कोरोना महामारी को लेकर उन्होंने मना कर दिया है। यहां तक कि राखी पोस्ट करने के लिए भी नहीं कहा। राखी के पैकेट कई हाथों से गुजरेंगे। ऐसे में बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। वहीं उनके 8 वर्ष के भतीजे ने कहा कि हमलोग इस वर्ष ऐप के माध्यम से ही राखी त्योहार मनाएंगे। अभिलाषा गुप्ता जिनका मायका मऊ, उत्तर प्रदेश में है का कहना है कि उनके भैया भाभी प्रतिवर्ष राखी के अवसर पर आते हैं। किंतु इस वर्ष ये सौभाग्य नहीं मिल पाएगा। ऐसे में पहले ही ऑनलाइन राखी भेज दी है। वही पुष्पा ढनढनिया का कहना है कि उनके भाई सूरत में रहते हैं। उन्होंने अपने भाइयों से कह दिया कि वे अपने हाथों पर मौली बाधकर ही पर्व को मनाए। राखी भेजने का कोई भी साधन उपलब्ध नहीं है। कई अन्य बहनों का कहना है की हम लोग राखी के दिन अपने भाई के घर जाते हैं। मस्ती का वातावरण होता है। बेहद खुशी वाले पल होते हैं।
कुछ ने की मौली बांधकर त्योहार मनाने की तैयारी
कोरोना संकट को देखते हुए घर में ही मौली बाधकर त्योहार मनाएंगे। ईश्वर से ये ही मनाते हैं कि कोरोना महामारी जल्द से जल्द खत्म हो और हम सारे त्योहारों का आनंद ले सके। वही भाइयों का भी कहना है कि इस वर्ष कि राखी हमेशा याद रहेगी। बहन कोरियर इत्यादि बंद होने की वजह से राखी नहीं भेज पा रही है। नहीं तो दो तीन सप्ताह भर पहले से ही राखी का इंतजार होने लग जाता है। इस वर्ष मन मसोसने के अलावा कोई चारा नहीं है। ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि यह राखी सबके जीवन में आनंद और खुशिया लेकर आए।