महकमा परिषद और पंचायत चुनाव नहीं होने सें भड़के भाजपा सांसद
राजनीति -केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से हस्तक्षेप की मांग -राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी दी गई
राजनीति
-केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से हस्तक्षेप की मांग
-राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी दी गई जानकारी
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी नगर निगम के बाद अब सिलीगुड़ी महकमा परिषद का भी कार्यकाल खत्म हो गया है। जबकि महकमा परिषद तथा पंचायत चुनाव को लेकर अभी कोई सुगबुगाहट नहीं है। इसको लेकर अब विपक्षी पार्टियों ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाना शुरू कर दिया हैं। दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने सिलीगुड़ी महकमा परिषद व पंचायत चुनाव जल्द से जल्द हो सके, इसके लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री व राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से हस्तक्षेप करने की मांग की हैं। उन्होंने सोमवार को एक प्रेस-विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि महकमा के चार पंचायत समितियों व 20 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 6 नवंबर को समाप्त हो गया है। जबकि नक्सलबाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत हाथाीघीसा ग्राम पंचायत का कार्यकाल और खोरीबाबाड़ी ब्लॉक के तहत रानीगंज-पनीसाली ग्राम पंचायत का भी कार्यकाल 13 नवंबर, 2020 को समाप्त हो जाएगा। 13 नवंबर को ही सिलीगुड़ी महकमा परिषद का भी कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।
बिष्ट ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दाíजलिंग और कालिम्पोंग पार्वत्य क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों की तरह ही राज्य की तृणमूल सरकार सिलीगुड़ी महकमा परिषद अंतर्गत पंचायत चुनाव नहीं कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी महकमा का ज्यादा भाग पंचायती क्षेत्र में आता है। पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद अब पंचायतों को संचालन करने वाला ना तो अधिकारी है और ना ही कोई निर्वाचित जन-प्रतिनिधि रह गया है, जो जो ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों को चला रहा हो।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार सो रही है। उसने चुनाव कराने या इन निकायों के लगातार कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
इससे लोगों को व्यापक स्तर पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को जन्म / मृत्यु / आय / आवासीय या किसी अन्य प्रमाण पत्र को प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लाईमेंट गारंटी एक्ट (एमजीएनआरईजीए) के काम और भुगतान आदि में भी समस्या हो रही है। तृणमूल सरकार ने प्रशासनिक अधिकारियों को अपने राजनीतिक उद्देश्य के अनुरूप स्थानातरित किया है। जिसके कारण इन निकायों के समुचित प्रशासन और कामकाज में व्यापक अंतर आया है।
राज्य सरकार संविधान और लोकतंत्र की पूर्ण अवहेलना कर रही है। इन निकायों को दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के समान निकायों को चलाने के लिए अपने वफादारों को नामित करके निरंकुश तरीके से चुनाव प्रक्रिया प्रबंधित करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में जिस तरह से वर्ष 2000 के बाद से कोई पंचायत चुनाव नहीं हुआ है,उसी तरह से तराई क्षेत्र के लोग भी संवैधानिक रूप से जमीनी स्तर के शासन के अधिकार से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतात्रिक संस्थाओं को छिन्न-भिन्न करने की अनुमति नहीं देगी। राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ग्रामीण विकास मंत्री माननीय केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से अनुरोध करेंगे कि इन सभी निकायों के लिए जल्द चुनाव सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें, जिससे जमीनी स्तर की शासन संस्थाओं की पवित्रता बना रहे और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।