एपएफ रेलवे ने तैयार की ऑनबोर्ड ट्रॉली ट्रैक लुब्रिकेशन प्रणाली
जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी एनएफ रेलवे के अलीपुरद्वार जंक्शन मंडल में एक ऑनबोर्ड ट्रॉली ट्रैक लु
रेलवे सुरक्षा
-पटरियों के गेज फेस के लुब्रिकेशन में होगा उपयोग
-उपकरण बनाने में टायर के स्क्रैप का हुआ है उपयोग जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : एनएफ रेलवे के अलीपुरद्वार जंक्शन मंडल में एक ऑनबोर्ड ट्रॉली ट्रैक लुब्रिकेशन प्रणाली तैयार की गयी है, जिसका रेलों के गेज फेस के लुब्रिकेशन के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह अटैच-डिटैच उपकरण रेल गेज फेस के साथ संपर्क बनाये रखने के लिए स्प्रिंग्स का उपयोग करता है और एक ग्रीस पंप से जुड़ा होता है जो ग्रीस को बाहर निकालने के लिए दबाव बनाये रखता है। ग्रीस को एक रबर सामग्री के माध्यम से लगाया जाता है जो रेल गेज फेस के सीधे संपर्क में है।
उक्ता आशय की जानकारी देते हुए सीपीआरओ शुभानन चंदा ने बतया कि पटरियों के गेजफेस लुब्रिकेशन विशेष रूप से मोड़ों में घर्षण को रोकने और रेल पहिया इंटरफेस के बीच रगड़न को कम करके ऊर्जा को बचता है और पटरियों के जीवन को बढ़ता है। यह रेल और पहिया फ्लैंग्स पर पार्श्व बलों को भी कम करता है, जिससे रेल पर पहिया का निकला हुआ किनारा चढ़ाई के कारण पटरी से उतर सकता है।
इस उपकरण को टायर के स्क्रैप का उपयोग करके बनाया गया जो घर्षण के कारण बहुत अधिक घिसे बिना रेल गेजफेस के निरंतर संपर्क में रह सकता है। यह उपकरण एक ग्रीस पंप के आउटलेट से जुड़ा होता है जो दुकानों में आसानी से उपलब्ध है। रबर ऐप्लिकेटर को तब एक स्प्रिंग के साथ जोड़ा गया जो ऐप्लिकेटर और रेल गेजफेस के बीच संपर्क सुनिश्चित करेगा। दस किमी प्रति घंटे की गति से उपयोग
नयी डिजाइन की गयी सरल प्रणाली विशेष रूप से बाहरी पटरियों के लुब्रिकेशन का सक्षम और प्रभावी तरीका है, जो 10 किमी प्रति घटे की गति से किया जा सकता है। इससे रेल को अपनी संपत्ति के रखरखाव में श्रमशक्ति की कमी, ग्रीज़ की जरुरतों में कमी और समग्र सुरक्षा सुनिश्चित करने का लाभ मिलेगा। इस प्रकार की प्रणाली की आवश्यकता अलीपुरद्वार जंक्शन - सिलीगुड़ी जंक्शन ड्यूआर्स सेक्शन में पटरियों के रखरखाव के लिए आवश्यक महसूस की गयी क्योंकि इस सेक्शन में बहुसंख्यक तेज मोड़ हैं। आरडीएसओ के दिशा-निर्देश का पालन
आरडीएसओ के दिशा-निर्देश के अनुसार 600 मीटर त्रिज्या से अधिक तेज मोड़ अनुभाग के लिए सप्ताह में एक बार लुब्रिकेशन होना चाहिए। यह एक जनशक्ति गहन कार्य है जो अक्षमताओं के लिए अतिसंवेदनशील है। वेसाइड लुब्रिकेटर्स भी उच्च लागत के कारण स्थापित करना बिल्कुल संभव नहीं हैं। नये डिजाइन किये गये उपकरण में जब लुब्रिकेशन की आवश्यकता नहीं होती तब एप्लिकेटर को संकुचित और उठाया जा सकता है। सुधार की समूची लागत करीब पांच हजार रुपये मात्र हैं।