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किराए की कार से कूचबिहार गई थी प्रधान नगर थाने की टीम

जागरण एक्सक्लुसिव -सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी पीड़ित परिवार की -लापरवाही के साथ नियम और

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 06:44 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 06:44 PM (IST)
किराए की कार से कूचबिहार गई थी प्रधान नगर थाने की टीम
किराए की कार से कूचबिहार गई थी प्रधान नगर थाने की टीम

जागरण एक्सक्लुसिव -सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी पीड़ित परिवार की

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-लापरवाही के साथ नियम और कानून की भी उड़ी धज्जियां

-पुलिस का ड्राइवर होता तो बच सकती थी कईयों की जान

जटिल प्रावधान

-बिल पाने के प्रावधान में जटिलता से बढ़ी परेशानी

-जांच अधिकारी को पैसे पाने में लगाने पड़ते हैं कई चक्कर

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29

अगस्त को थाने में दर्ज हुआ था मामला

03

पुलिसकर्मी आरोपी को पकड़ने गए थे कूचबिहार

47

वर्ग किमी है प्रधान नगर थाने का क्षेत्राधिकार

------------ मोहन झा, सिलीगुड़ी : कहने को तो हमारा तंत्र काफी मजबूत है। कानून में हर सवाल का जवाब है। लेकिन कानून का उल्लंघन आम जनता या माफिया ही नहीं करते, बल्कि कानून के रक्षक भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। या फिर यूं कह लीजिए कि कुछ खामियों की वजह से नियमों की धज्जियां उड़ायी जाती है। गुरुवार की सुबह कूचबिहार के घोक्साडांगा इलाके में हुई सड़क दुर्घटना में जो पुलिस कर्मचारी सहित चार लोगों की मौत हुई, उसमें भी लापरवाही बरती गई या कहें तो कानून की धज्जियां उड़ाई गई है।

जानकारी के मुताबिक बीते 29 अगस्त को प्रधान नगर थाने में एक नाबालिगा के अपहरण का मामला परिवार वालों ने प्रधान नगर थाने में दर्ज कराया था। उस मामले की जांच में मोबाइल नंबर के टावर लोकेशन के आधार पर बीते बुधवार को प्रधान नगर थाने की एक टीम कूचबिहार को रवाना हुई। इसमें तीन पुलिस कर्मचारी शामिल थे। कूचबिहार जाने के लिए एक इनोवा (लक्जरी कार) किराए पर लिया गया। सूत्रों के मुताबिक कार का किराया से लेकर अभियान के क्रम में पुलिस के खाने-पीने का खर्चा भी शिकायतकर्ता परिवार को ही वहन करना था। अब सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस के पास इतनी सुविधाएं नहीं है कि वह सरकारी खर्चे पर अपराधियों को पकड़ने जाए। यह कोई पहला मामला नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किसी भी अपहरण, लापता या फिर दुराचार आदि के मामलों में पुलिस को शहर से दूर दूसरे जिले या फिर दूसरे राज्य में जाने की नौबत आती तो गाड़ी से लेकर होटल व खाने-पीने का खर्चा शिकायतकर्ता को ही वहन करना पड़ता है। हालांकि कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। बल्कि शिकायतकर्ता के लिए अदालत में सरकारी वकील तक देने का प्रावधान है। किसी मामले में पुलिस टीम बाहर आने-जाने व खाना आदि का खर्च सरकारी खजाने से दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन इसके लिए जांच अधिकारी को खर्च का पूरा ब्यौरा व बिल के साथ तीन फॉर्म भरकर जिलाधिकारी कार्यालय में जमा कराना होगा। सरकारी स्वीकृति के बाद रुपया जांच अधिकारी को भुगतान करने का प्रावधान है। लेकिन इस प्रक्रिया में सालों लग जाते हैं। इसलिए पुलिस इस प्रक्रिया को नजर अंदाज कर ही चलती है। फिर यह खर्च वहन कौन करे। अंत में इस खर्च को शिकायतकर्ता के सिर मढ़ दिया जाता है। आवश्यकता के अनुसार वक्त जाया न करते हुए शिकायतकर्ता भी खर्च वहन करने को राजी होते हैं। यही लापरवाही कभी-कभी महंगी भी पड़ जाती है। गुरुवार तड़के प्रधान नगर थाना पुलिस की टीम और शिकायतकर्ता परिवार को इस लापरवाही का खामियाजा मौत से चुकाना पड़ा है।

पुलिस टीम जो इनोवा गाड़ी लेकर कूचबिहार गई थी वह किराए की थी। हांलाकि पुलिस का कहना है कि गाड़ी को किराए पर पुलिस ने ही ली थी। जबकि इसमें सच्चाई नहीं है। दरअसल पुलिस के पास भी संशाधनों की कमी है। वह भी आखिर करे तो क्या। प्रधान नगर थाना पुलिस के लिए चकाचक बिल्िडग तो सरकार ने बना दी,लेकिन ढांचागत सुविधाओं में कमी अभी है। ना तो पर्याप्त संख्या में गाड़ी है और ना ही ड्राइवर। ऐसे में हो सकता है पुलिस की अपनी मजबूरी भी हो। गाड़ी दुर्घटना होते ही ड्राइवर किसी तरह निकला और फरार हो गया। उसने गाड़ी में सवार अन्य लोगों को बचाने की कोशिश नहीं की। आमतौर पर किसी भी दुर्घटना में अगर ड्राइवर बचा रहता है तो भाग ही जाता है। उसे लगता है कि आमलोग उसकी पिटाई करेंगे। उपर से यह मामला तो पुलिस से जुड़ा था। लेकिन यदि पुलिस की अपनी गाड़ी होती और पुलिस का ही ड्राइवर होता तो वह भागता नहीं। वह अपने साथियों और गाड़ी में सवार अन्य लोगों की जान बचाने की कोशिश करता। तब हो सकता था कि कुछ लोगों की जान बच भी जाती। इस मामले में कई पुलिस अधिकारियों से बातचीत की कोशिश की गई,लेकिन कोई बयान देने से मना कर दिया। डीसीपी हेड क्वार्टर जय टुडू से भी संपर्क साधने की कोशिश नाकाम रही।

क्या है पूरा मामला

पूरे मामले पर प्रकाश डालने से पहले यह बता दें कि एक नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले की जांच के क्रम में पुलिस का अपहर्ता का पता चल गया। नाबालिग को बरामद करने के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए प्रधान नगर थाना पुलिस कूचबिहार गई थी। वहां से आरोपी और नाबालिग को बरामद कर लौट रही थी तो गाड़ी की दुर्घटना हो गई। पुलिस नाबालिग लड़की को बरामद करने के लिए उसकी मां और चाचा को भी साथ ले गई थी। इस दुर्घटना में नाबालिग लड़की के साथ ही उसकी मां और चाचा की भी मौत हो गई। प्रधान नगर थाने का इलाको बहुत बड़ा

कुल 47 वर्ग किलोमीटर का इलाका प्रधान नगर थाने का अधिकार क्षेत्र है। सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 1, 2, 3, 45, 46, और 47 सहित सिलीगुड़ी महकमा परिषद का चंपासारी ग्राम पंचायत का इलाका प्रधान नगर थाने के अधिकार क्षेत्र में है। शहर का कई अहम स्थान जैसे सिलीगुड़ी जंक्शन, तेंजिंग नॉर्गे बस स्टैंड, सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट, दार्जिलिंग मोड़ और बाबा लोकनाथ मंदिर की सुरक्षा प्रधान नगर थाना पुलिस की जिम्मेदारी है। जबकि प्रधान नगर थाने में पुलिस बल आवश्यकता से कम है। चार वैन और मात्र एक पुलिस ड्राइवर

47 वर्ग किलोमीटर इलाके की सुरक्षा में पेट्रोलिंग के लिए मात्र दो पुलिस वैन है। दो पुलिस वैन किराए की है। यानि कुल चार पुलिस वैन। प्लेन क्लोथ या सफेद पोशाक (पीसी) पार्टी के लिए एक वैन और इंस्पेक्टर इंचार्ज के लिए एक गाड़ी है। पीसी पार्टी और इंस्पेक्टर इंचार्ज की गाड़ी किराये की है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि कुल मिलाकर चार पुलिस वाहन के लिए एकमात्र पुलिस ड्राईवर है। जबकि नियमानुसार एक वाहन पर तीन ड्राइवर होना चाहिए। आठ घंटे की नौकरी के हिसाब से चार वाहनों के लिए कुल 12 गाड़ी चालक की आवश्यकता प्रधान नगर थाना पुलिस को है। लेकिन 11 गाड़ी चालक की आवयश्कता बाहरी और सिविक वोलेंटियर से पूरा किया जा रहा है।


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