रक्तदान का शतक बनाकर पिंटू दा और अतुल झंवर अजनबियों से बना रहे खून का रिश्ता
सौ-सौ बार रक्तदान करने वाले सिलीगुड़ी के अतुल झंवर और पियूषकांति रॉय उर्फ पिंटू दा ने अजनबियों की जान ही नहीं बचाई, बल्कि उनके साथ खून का रिश्ता भी जोड़ लिया।
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। खून का रिश्ता है, पर हैं अजनबी। वे किस जाति के हैं, किस धर्म के हैं और कहां के हैं, यह भी नहीं पता। ऐसे ही 103 लोगों की रगों में पियूष कांति रॉय उर्फ पिंटू दा का तथा 100 लोगों में अतुल झंवर का खून बह रहा है। रक्तदान के मामले में शतक लगाने वाले ये दोनों महानुभाव सिलीगुड़ी के ही हैं। इन लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान कर अजनबियों की जान बचाई है।
पिंटू दा इस समय करीब 65 वर्ष के हो गए हैं। उनको मलाल है कि मेडिकल साइंस के लिहाज से अब वे किसी को अपना रक्त दान नहीं कर सकते। अंतिम 103वीं बार उन्होंने गत वर्ष रक्त दान किया था। बता दें कि रक्तदान का शतक लगाने वाले विरले लोगों में उत्तर बंगाल से सिर्फ यही दो लोग हैं। पिंटू दा ने सौवीं बार रक्तदान 14 जून 2015 को किया था।
अतुल झंवर ने रक्तदान को रक्तदान का शतक पूरा करने में करीब 31 वर्ष लग गए। पहली बार रक्तदान 1987 में तथा सौवीं बार 19 सितंबर 2018 में किया। अभी इनकी उम्र करीब 52 वर्ष है। सब कुछ ठीक रहा तो और 12 साल तक रक्तदान कर सकते हैं। इच्छा है कि कम से कम सवा सौ के आंकड़े को पार कर लें। झंवर ने बताया कि अभी स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक है। ऐसा कर ही लेंगे। इनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है। ये सिलीगुड़ी तराई लायंस ब्लड बैंक के चेयरमैन भी हैं। खुद तो रक्तदान करते ही हैं, दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने के लिए अपनी संस्था की ओर से कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं।
103 बार रक्तदान करने वाले पियूषकांति रॉय उर्फ पिंटू दा।
पिंटू दा जब 16-17 साल के थे कॉलेज में कदम ही रखे थे, तभी उन्होंने पहली बार रक्तदान किया। वह बड़े थैलेसीमिया कार्यकर्ता भी हैं। अब तक 67 थैलेसीमिया पीड़ितों की ‘स्पलीनोटॉमी’ करवा चुके हैं। इसमें सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के जाने-माने सर्जन रहे डॉ. विवेक सरकार से उन्हें बड़ी मदद मिली। ‘स्पलीनोटॉमी’ एक ऐसी चिकित्सा है, जिसके तहत थैलेसीमिया पीड़ितों के शरीर से तिल्ली बाहर निकाल दी जाती है। इससे, बार-बार अपना रक्त बदलवाने की उनकी निर्भरता का अंतराल तीन महीने से बढ़ कर एक साल हो जाता है। यह थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए बड़ी राहत है। पिंटू दा सतत थैलेसीमिया जागरूकता अभियान भी चलाते रहते हैं।इसके अलावा छात्र जीवन से अधेड़ उम्र तक उन्होंने लगभग एक हजार लावारिस शवों का दाह-संस्कार भी किया हुआ है। एडवेंचर्स ट्रेकिंग के भी बड़े शौकीन हैं। विद्यार्थी जीवन में स्काउटिंग में बेहतर प्रदर्शन के लिए वर्ष 1968 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के हाथों प्रेसिडेंट अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। पिंटू दा चार दशक से भी अधिक समय से स्वास्थ्य सेवा में रमे हुए हैं। वह शहर की अग्रणी चिकित्सकीय सहायता संस्था सिलीगुड़ी वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन की नींव डालने वालों में से हैं। कालांतर में एसोसिएशन ऑफ वॉलेंटरी ब्लड डोनर्स (कोलकाता) और वेस्ट बंगाल वॉलेंटरी ब्लड डोनर्स फोरम से जुड़े रहे। वर्ष 2014 में अपनी संस्था सिलीगुड़ी वॉलेंटरी ब्लड डोनर्स फोरम की स्थापना की। उसके बाद से अब तक उसी के माध्यम से समाज सेवा में लगे हुए हैं।
सिलीगुड़ी के इन लोगों को भी सलाम, रक्तदान में बनाया है अर्धशतक
- अरुण पेरीवाल
- संजय अग्रवाल
- मनीष अग्रवाल
- सुरेश धनोठी
- निर्मला गीदरा
- संजय मित्रुका
- पवन बंसल
रक्तदान के फायदे
खून का दान करना हमेशा से ही अच्छा माना गया है। इस दान से लोगों को जिंदगी बचती है, लेकिन आमतौर पर लोगों के दिमाग में गलत धारणा होती है कि रक्तदान से शरीर में बीमारी आती है। इससे शरीर कमज़ोर पड़ जाता है या फिर इससे एचआईवी होने का खतरा बना रहता है। आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं होता, रक्तदान से शरीर को नुकसान नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं। और हां, खून का दान करने के ना सिर्फ शरीर को लाभ होते हैं बल्कि मानसिक संतुष्टि भी मिलती है कि इस एक कदम से किसी की जान बच पाई।
1-इस दान से हार्ट अटैक कि संभावनाएं कम होती हैं. क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है।
2- खून का दान करने से वजन कम करने में मदद मिलती है. इसीलिए हर साल कम से कम 2 बार रक्तदान करना चाहिए।
3- रक्तदान से शरीर में एनर्जी आती है. क्योंकि दान के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में तंदरूस्ती आती है।
4- खून डोनेट करने से लिवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है. शरीर में ज़्यादा आइरन की मात्रा लिवर पर दवाब डालती है और रक्तदान से आइरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है।
5- आयरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हेल्दी बनता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।
6- डेढ़ पाव खून का दान करने से आपके शरीर से 650 कैलोरीज़ कम होती है।
खून दान करने से पहने रखें इन बातों का ध्यान
- रक्तदान 18 साल की उम्र के बाद ही करें।
- रक्तदाता का वज़न 45 से 50 किलोग्राम से कम ना हो.
- खून देने से 24 घंटे पहले से ही शराब, धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन ना करें।
- खुद की मेडिकल जांच के बाद ही रक्तदान करें और डॉक्टर को सुनिश्चित करें कि आपको कोई बीमारी ना हो।
- खून के दान करने से पहले अच्छी नींद लें। तला खाना और आइस क्रीम अवॉइड करें।
- शरीर में आयरन कि मात्रा भरपूर रखें। इसके लिए दान से पहले खाने में मछली, बीन्स, पालक, किशमिश या फिर कोई भी आयरन से भरपूर चीजें खाएं।