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महासप्‍तमी के अवसर पर कर्सियांग में निकाली गई फूलपाती शोभा यात्रा, जानिए इसके मायने

फूलपाती में उपस्थित जन समूह द्वारा डोली में फूलपाती लेकर बैंड बाजे के साथ विविध संघ -संस्थाओं के तत्वावधान में झांकी प्रदर्शन जातीय खुकुरी प्रदर्शननेवार जातीय लाखे नृत्यमालश्री गायन आदि की प्रस्तुति की गई । फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा में प्रमुख आकर्षण नेवार जातीय लाखे नृत्य रहा।

By Jagran NewsEdited By: Sumita JaiswalPublished: Sun, 02 Oct 2022 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 05:03 PM (IST)
महासप्‍तमी के अवसर पर कर्सियांग में निकाली गई फूलपाती शोभा यात्रा, जानिए इसके मायने
फूलपाती शोभा यात्रा में शामिल लोग। जागरण फोटो।

र्सियांग, जागरण संवाददाता। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज रविवार महासप्तमी के अवसर पर कर्सियांग में भव्य फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा निकाली गई। फूलपाती शोभायात्रा समारोह समिति -2022 ,सूचना व सांस्कृतिक विभाग, गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन व कर्सियांग नगरपालिका के संयुक्त तत्वावधान में कर्सियांग मोटर स्टैंड से सुबह साढ़े  10 बजे विराट फूलपाती शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा को शहर परिक्रमा कराते हुए पार्क लोकेशन स्थित सार्वजनिक भवन में पहुंचाकर समापन किया गया। यह शोभायात्रा हर्षोल्लास व शांतिपूर्ण संपन्न हुई। 

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फूलपाती के मुख्‍य आकर्षण

फूलपाती में उपस्थित जन समूह द्वारा डोली में फूलपाती लेकर बैंड बाजे के साथ विविध संघ -संस्थाओं के तत्वावधान में झांकी प्रदर्शन, जातीय खुकुरी प्रदर्शन,नेवार जातीय लाखे नृत्य,मालश्री गायन आदि की प्रस्तुति की गई । इस वर्ष फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा में प्रमुख आकर्षण नेवार जातीय लाखे नृत्य दिखा। इस शोभायात्रा में भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (भागोप्रमो) के कई वरिष्ठ नेताओं व सदस्यों,विविध संघ -संस्थाओं से आये सदस्यों आदि की काफी तादाद में उपस्थिति थी। फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा को ध्यान में रखकर कठोर सुरक्षा प्रबंध किया गया था। 

फूलपाती के मायने 

फूलपाती निकालने के प्रमुख उद्देश्य के बारेमें सेंट अल्फन्सस् उच्च माध्यमिक स्कूल कर्सियांग के वरिष्ठ शिक्षक नवराज शर्मा से पूछने पर उन्होंने बताया कि नेपाली -गोरखा जाति में दुर्गा पूजनोत्सव के दौरान षष्ठी तिथि के दिन देवी माता को निर्धारित किये गये पूजा बिसर्जन के स्थान पर आयोजक कमेटी के सदस्यों द्वारा जाकर आगमन के लिए बिल्व निमंत्रण दिया जाता है। इस दौरान फूलपाती, कलश, दीये आदि को वहां विधिवत रखने का कार्य किया जाता है। वहां से लौटने के बाद पूजा स्थल पर षष्ठी तिथि के दिन ही मूर्ति (प्रतिमा ) स्थापित करने का कार्य किया जाता है।

सप्‍तमी पर फूलपाती सांस्‍कृतिक शोभा यात्रा 

दूसरे दिन यानि महासप्तमी के दिन बिल्ब निमंत्रण किये गये स्थान से विधिवत फूलपाती डोली में लाकर विविध धार्मिक अनुष्ठान सहित भव्य रूपसे फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा निकालने का कार्य किया जाता है। यह फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा देवी माता के आगमन में स्वागत जताने के लिए निकालने का प्रचलन है।

दार्जिलिंग,कालिम्पोंग, डुवार्स आदि  क्षेत्र के विविध इलाकों में महासप्तमी के अवसर पर फूलपाती सांस्कृतिक शोभायात्रा निकाली जाती है।


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