सिक्किम के जंगल में कैमरे में पहली बार कैद हुआ रॉयल बंगाल टाइगर
सिक्किम का पर्यावरण रॉयल बंगाल टाइगर को भा गया है। अभी तक यहां के लोग इसकी मौजूदगी के बारे में सुनते भर रहे हैं। पहली बार इसकी फोटो पूर्वी सिक्किम के जंगल में कैमरे में कैद हुई है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 12:52 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 12:52 PM (IST)
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। पूर्वी सिक्किम के पंगोलखा वन्यजीव अभयारण्य में रॉयल बंगाल टाइगर को घूमते हुए पहली बार कैमरे में कैद किया गया है। इससे सिक्किम के वन विभाग के अधिकारी खासे उत्साहित हैं। इसकी फोटो गत छह दिसंबर 2018 की रात में 6:23 बजे और 7:00 बजे गोरू जुरेई में 9583 फीट की ऊंचाई पर ली गई।
पूर्वी सिक्किम वाइल्ड लाइफ की डीएफओ डेचेन लाचुंग्पा ने बताया कि अभी तक वे लोग सिक्किम के जंगलों में रॉयल बंगाल टाइगर की मौजूदी की बातों को सिर्फ सुनते रहे हैं। जंगलों में घूमते हुए इसकी फोटो कभी नहीं ली जा सकी थी। इससे यह साबित होता है कि रॉयल बंगाल टाइगर के लिए सिक्किम का वातावरण अच्छा है।
उन्होंने बताया कि1990 के दशक के दौरान पंगोलखा वन्यजीव अभयारण्य के अंदर इसके पंजों के निशान पाए गए थे। मार्च 2009 में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर जेलेपला के पास भी रॉयल बंगाल टाइगर के पदचिह्न पाए गए थे। अब तो सिक्किम के जंगलों में घूमते हुए रॉयल बंगाल टाइगर को देखना काफी खुशी की बात है।
उन्होंने कहा कि एक ऐसे युग में, जब खतरनाक रूप से घटती आबादी के कारण बाघों को अत्यधिक संरक्षित अनुसूची एक प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, सिक्किम के जंगलों में बाघों की उपस्थिति हमारे राज्य में स्वस्थ वन इको-सिस्टम के मौजूद होने का संकेत है। यह हमारे वनों के संरक्षण और संरक्षण की सिक्किम सरकार की दीर्घकालिक दूरदर्शी और पर्यावरण समर्थक नीतियों के सकारात्मक परिणामों की पुष्टि है।
लाचुंग्पा ने बताया कि बाघों की मौजूदगी देखने के लिए पैंगोलखा के जंगलों के भीतर खास स्थानों पर कैमरा लगाए गए थे। इन कैमरों में टाइगर की फोटो कैद होना बाघों की मौजूदगी का एक ठोस आधार है। इस पर अभी विस्तृत अध्ययन किया जाना बाकी है।
डीएफओ के अनुसार जेआइसीए (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) द्वारा संचालित सिक्किम बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन एंड फॉरेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट द्वारा प्रदान किए गए फंड के तहत यह काम कियाा। इसका नेतृत्व रेंज ऑफिसर रोशन तमांग ने किया।
पूर्वी सिक्किम वाइल्ड लाइफ की डीएफओ डेचेन लाचुंग्पा ने बताया कि अभी तक वे लोग सिक्किम के जंगलों में रॉयल बंगाल टाइगर की मौजूदी की बातों को सिर्फ सुनते रहे हैं। जंगलों में घूमते हुए इसकी फोटो कभी नहीं ली जा सकी थी। इससे यह साबित होता है कि रॉयल बंगाल टाइगर के लिए सिक्किम का वातावरण अच्छा है।
उन्होंने बताया कि1990 के दशक के दौरान पंगोलखा वन्यजीव अभयारण्य के अंदर इसके पंजों के निशान पाए गए थे। मार्च 2009 में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर जेलेपला के पास भी रॉयल बंगाल टाइगर के पदचिह्न पाए गए थे। अब तो सिक्किम के जंगलों में घूमते हुए रॉयल बंगाल टाइगर को देखना काफी खुशी की बात है।
उन्होंने कहा कि एक ऐसे युग में, जब खतरनाक रूप से घटती आबादी के कारण बाघों को अत्यधिक संरक्षित अनुसूची एक प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, सिक्किम के जंगलों में बाघों की उपस्थिति हमारे राज्य में स्वस्थ वन इको-सिस्टम के मौजूद होने का संकेत है। यह हमारे वनों के संरक्षण और संरक्षण की सिक्किम सरकार की दीर्घकालिक दूरदर्शी और पर्यावरण समर्थक नीतियों के सकारात्मक परिणामों की पुष्टि है।
लाचुंग्पा ने बताया कि बाघों की मौजूदगी देखने के लिए पैंगोलखा के जंगलों के भीतर खास स्थानों पर कैमरा लगाए गए थे। इन कैमरों में टाइगर की फोटो कैद होना बाघों की मौजूदगी का एक ठोस आधार है। इस पर अभी विस्तृत अध्ययन किया जाना बाकी है।
डीएफओ के अनुसार जेआइसीए (जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) द्वारा संचालित सिक्किम बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन एंड फॉरेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट द्वारा प्रदान किए गए फंड के तहत यह काम कियाा। इसका नेतृत्व रेंज ऑफिसर रोशन तमांग ने किया।
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