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अब शिकार ही शिकारी के खाते में डाल रहे हैं पैसा

-ऑनलाइन ठगी का पूरी तरह से बदल गया है ट्रेंड -लालच देकर कई तरीके से की जा रही है लूट

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 08:59 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 08:59 PM (IST)
अब शिकार ही शिकारी के खाते में डाल रहे हैं पैसा
अब शिकार ही शिकारी के खाते में डाल रहे हैं पैसा

-ऑनलाइन ठगी का पूरी तरह से बदल गया है ट्रेंड

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-लालच देकर कई तरीके से की जा रही है लूट

-सिलीगुड़ी साइबर थाने में दर्जनों मामले हैं दर्ज

-पिन या पासवर्ड मांगकर पैसे ठगी के मामले में आई कमी

-आमलोग हो गए सजग और फोन आते ही करते हैं गाली-गलौज

-इस प्रकार की प्रतिक्रिया देखकर ही ठगों ने बदला ठगी का तरीका

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लाख रुपये करोड़पति में जीत का झांसा

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हजार से शुरू होता है खाते में पैसे जमा कराने का खेल

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लाख से भी अधिक देने के बाद पता चलता है लूट गए ठगी का महाजाल-2

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : ऑनलाइन फ्रॉड का परंपरागत तरीका बदलने लगा है। अब शिकारी अपने शिकार से बैंक, डेबिट या क्रेडिट कार्ड से संबंधित पिन व पासवर्ड आदि नहीं मांगता है। बल्कि ये लोग परंपरागत तरीके से अलग ऐसा जाल फैलाते हैं कि सामने से शिकारी के बैंक खाते में रुपया डालकर लोग ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं। सिलीगुड़ी साइबर थाने में इस प्रकार के दर्जनों मामले दर्ज हैं।

ऑनलाइन फ्रॉड का परंपरागत तरीका बदल रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं की अपेक्षा ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने के मामले में पुरुषों की संख्या अधिक है। उसमें भी शिक्षितों का प्रतिशत अधिक है। पहले ऑनलाइन फ्रॉड का सीधा तात्पर्य बैंकिंग फ्रॉड से था। शिकारी फोन पर बैंक खाते में केवाईसी अपडेट, डेबिट व क्रेडिट कार्ड के ब्लॉक होने का झांसा देकर सामने वाले शिकार से फोन पर पिन व पासवर्ड हासिल करते और फिर बैंक खाते से रुपया उड़ा लिया करते थे। उसके बाद इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाया गया। केंद्र से लेकर राज्य सरकार व पुलिस प्रशासन के साथ बैंक प्रबंधन ने भी जागरुकता अभियान चलाया। यह पहल अब काफी असरदार साबित हुआ है। बल्कि अब तो फोन पर बैंक से संबंधित जानकारी मांगने पर लोग गाली-गलौज पर उतर आते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग इस प्रकार की ठगी को लेकर कितना सजग हो रहे हैं। लोगों को इस तरह जागरुक होता देखकर ऑनलाइन ठगों ने तरीका बदल दिया है। ठगी का पूरा ट्रेंड ही बदल गया है। अब जाल ही ऐसा बिछाया जाता है कि शिकार स्वयं ही शिकारी के बैंक खाते में रुपया जमा करा देते हैं और जबतक इस बात की जानकारी मिलती है तबतक काफी देर हो चुकी होती है। उसके बाद पीड़ित साइबर थाने में खुद लूटने की शिकायत दर्ज कराते हैं। ऐसे कई मामले सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के साइबर क्राइम थाने में दर्ज हुए हैं।

जिसकी जांच में जुटी पुलिस को पता चला कि अब ठग कई और तरीके से अपना शिकार कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल लोग बाजार जाने के बजाए दैनिक जीवन में उपयोगी से लेकर सुख-सुविधा की तमाम वस्तुओं की खरीदारी ऑनलाइन ही करते हैं। इसी का फायदा उठाकर ठग गिरोह लोगों को शिकार बना रहे हैं। किसी भी वस्तु का फोटो इंटरनेट पर बेचने के लिए डाल दिया जाता है। इच्छुक ग्राहक के द्वारा फोन करने पर कीमत तय होने के साथ फ्री होम डिलीवरी का झांसा देकर रुपया बैंक खाते में जमा करा लिया जाता है। रुपया पहुंचते ही बेचने वाले का मोबाइल फोन बंद हो जाता है। इसके अलावा कौन बनेगा कड़ोरपति में 25 लाख रुपए जीतने का झांसा देकर टिकट व एक वाइस रिकॉर्डिग व्हाट्सएप्प पर भेज दिया जाता है। 25 लाख की रकम पाने के लिए मुंबई के बैंक मैनेजर का व्हाट्सएप्प नंबर मुहैया कराया जाता है। बल्कि सिर्फ व्हाट्सएप्प कॉल से बात करने को कहा जाता है। व्हाट्सएप्प पर बात करने पर पचीस लाख की रकम प्राप्त करने के लिए पचास हजार से एक लाख तक की रकम प्रक्रिया खर्च और टैक्स बताकर मांग लिया जाता है। अब पचीस लाख की लालच में लोग एक लाख रुपए जमा कराते हैं और फिर ठगी की शिकायत लेकर पुलिस थाने का चक्कर काटते हैं। जमा कराने की रकम पहले छोटी होती है। उसके बाद फिर पैसे की मांग की जाती है। सामने वाले को लगता है कि चलो इतना रकम जमा करा चुके हैं तो कुछ और जमा करा देते हैं। जब तक खुलासा होता है,तब तक काफी पैसे ठग हथिया चुके होते हैं।

वर्क फ्रॉम होम के नाम पर ठगी

कोरोना के इस समय ऑनलाइन नौकरी और वर्क फ्रॉम होम का झांसा देकर भी लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ऑनलाइन या वर्क फ्रॉम होम का प्रचार देखने को मिलता है। कोरोना के इस काल में थियेटर, होटल या रेस्टोरेंट आदि में काम करने वाले काफी सारे युवक-युवतियां नई नौकरी की तलाश में हैं। अच्छी तनख्वाह पर घर से काम करने के झांसे में आकर प्रक्रिया शुल्क आदि के नाम पर ही पांच से दस हजार रुपए तक शिकारी के खाते में जमा करा देते हैं। टावर लगाने के चक्कर में ना पड़ें

बल्कि घर की छत पर या खाली जमीन पर मोबाइल का टावर लगाने के लिए एकमुश्त मोटी रकम, उसके बाद प्रति महीने लुभावना किराया और परिवार के एक व्यक्ति की नौकरी का झांसा देकर कागजी प्रक्रिया के बहाने बीस हजार रुपए तक ऐंठ लिए जाते हैं। पुलिस की मानें तो इस प्रकार की ठगी के शिकार लोग लालच में आकर हो रहे हैं। यह समझना चाहिए कि आसानी से पैसे कहीें नहीं मिलते। इसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। यदि कोई आसानी से पैसे देने की लालच दे तो समझ लें कोई ना कोई गड़बड़ है। क्या है पुलिस की मजबूरी

इस मामले में पुलिस का कहना है कि अब जब शिकार स्वयं ही शिकारी के बैंक खाते में रुपया जमा करायेंगे तो बैंक या पुलिस के लिए रुपया वापस कराना काफी कठिन हो जाता है। बल्कि खाते में रुपया पहुंचते ही ठग वह रुपया निकाल लेता है। कई मामलों की जांच में खाता नंबर से ठग का पता लगाने निकली पुलिस गुमनाम गलियों में भटक कर रह गई। खाता खोलने के लिए उपयोग के सभी दस्तावेज फर्जी साबित हुए हैं। बल्कि रुपया निकालने के बाद उस खाते से लेन-देन की प्रक्रिया ही बंद कर दी जाती है।

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