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West Bengal: अब ऑनलाइन मेट्रो स्मार्ट कार्ड रिचार्ज के नाम पर धोखाधड़ी

Fraud In Recharge साइबर जालसाजों की ओर से एक क्यूआर कोड भेजा जा रहा है। कोई भी पेमेंट एप से स्कैन करने के साथ ही संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से रुपये गायब जा रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 08:53 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 08:53 PM (IST)
West Bengal: अब ऑनलाइन मेट्रो स्मार्ट कार्ड रिचार्ज के नाम पर धोखाधड़ी
West Bengal: अब ऑनलाइन मेट्रो स्मार्ट कार्ड रिचार्ज के नाम पर धोखाधड़ी

कोलकाता, इंद्रजीत सिंह। Fraud In Recharge: कोलकाता मेट्रो सेवा शुरू करने वाली है। और मौके का फायदा उठाकर कोलकाता तथा उसके आसपास के इलाकों में अब ऑनलाइन मेट्रो स्मार्ट कार्ड रिचार्ज के नाम पर धोखाधड़ी शुरू हो गई है। पता चला है कि साइबर जालसाजों की ओर से एक क्यूआर कोड भेजा जा रहा है। कोई भी पेमेंट एप से स्कैन करने के साथ ही संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से रुपये गायब जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से कोलकाता के बैरकपुर, बिधाननगर आयुक्तालय और विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर इस तरह की धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज हुई हैं।पुलिस के मुताबिक, जालसाज मेट्रो की तरफ से फोन करने का हवाला देकर मेट्रो स्मार्ट कार्ड धारकों को कह रहे हैं कि आपको अब अपना स्मार्ट कार्ड रिचार्ज करना होगा। अन्यथा इसे बंद किया जा सकता है। लोग अब घर से ऑनलाइन रिचार्ज सुविधा समझ कर इसे स्वीकार कर ले रहे हैं। उसके बाद एक क्विक रिस्पांस यानी क्यूआर कोड भेजा जा रहा है। कोई भी पेमेंट एप से क्यूआर कोड स्कैन करने के साथ ही संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से 5, 10, 15 हजार रुपये या उससे अधिक रुपये गायब जा रहे हैं।

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पुलिस ने किया सतर्क

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इतने प्रचार के बावजूद लोग एक ही गलती कर रहे हैं। नागरिकों को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचना चाहिए और संदिग्ध पतों से ईमेल, वॉट्सएप और टेक्स्ट संदेशों का जवाब देने से बचना चाहिए। इस तरह, वह सतर्क रहकर खुद को धोखाधड़ी से बचा सकता है। कोलकाता मेट्रो रेल की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी इंद्राणी बंद्योपाध्याय ने कहा कि मेट्रो रेलवे के एप और वेबसाइट हैं। वहां स्मार्ट कार्ड को ऑनलाइन रिचार्ज किया जा सकता है। मेट्रो से रिचार्ज करने के लिए कोई कॉल नहीं किया जाता है।

जानें, क्या कहते हैं साइबर जानकार

साइबर जानकारों का कहना है कि साइबर जालसाजों की ओर से प्रमुख वेबसाइटों पर जाने के लिए यूआरएल के साथ छेड़छाड़ की जाती है और लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए ई-मेल, वॉट्सएप आदि के माध्यम से एक क्यूआर कोड भेजते हैं। क्यूआर कोड में यूआरएल का पता नहीं लगता है, जिस कारण संबंधित व्यक्ति द्वारा जैसे ही क्यूआर कोड स्कैन किया जाता है, वह उसे गलत वेबसाइट पर ले जाता है, जिससे वह साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है। कई बार क्यूआर कोड में ट्रोजन और मालवेयर वायरस होते हैं, जिससे इसके स्कैन करने के दौरान संबंधित व्यक्ति का बैंक विवरण हैक हो जाता है तथा इसके बाद जालसाज उनके खाते से पैसे उड़ा देते हैं।


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