मोदी लहर में नहीं, 2009 के चुनाव में बीजेपी उफान पर थी दार्जीलिंग में
दार्जीलिंग संसदीय क्षेत्र से भाजपा के लिए सबसे अच्छा चुनाव 2009 का कहा जा सकता है। 2014 की मोदी लहर भी नहीं, जानिए कैसे...।
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। सच कहें तो दार्जीलिंग लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी को पहचान दिलानेवाले जसवंत सिंह ही रहे। जसवंत सिंह ने 2009 में यहां से चुनाव लड़ा और पार्टी के लिए ऐतिहासिक जीत भी दिलाई। 2014 में चली मोदी लहर से भी ज्यादा। इन दो चुनावों के पहले भाजपा कभी दूसरे स्थान पर भी नहीं रही। हालांकि 2014 के चुनाव में इस क्षेत्र में मतदान का फीसद सबसे ज्यादा 80.70 रहा।
2009 के आम संसदीय चुनाव में भाजपा के जसवंत सिंह के सामने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में सीपीआइ एम के जीबेश सरकार उभरकर सामने आए। कुल नौ लाख 66 हजार 371 मत पड़े थे। इनमें जसवंत सिंह के खाते में आधे से ज्यादा आए थे। 51.50 फीसद मत कमल पर पड़े थे। दूसरे स्थान पर रहे सीपीआइ एम के उम्मीदवार जीबेश सरकार को 25.29 फीसद से संतोष करना पड़ा था।
वर्ष 2014 के आम चुनाव में पूरे देश में मोदी-मोदी हो रहा था। लेकिन मतदान के ट्रेंड को देखें तो दार्जीलिंग इससे अछूता रहा। हालांकि इस बार मतदान के फीसद ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। कुल 11 लाख 42 हजार नौ मत पड़े थे। यह 80.70 फीसद रहा, लेकिन भाजपा का मत फीसद 2009 के चुनाव के मुकाबले कम हो गया। 2009 में मिले 51.50 फीसद से घटकर 42.75 फीसद पर आ गया। दूसरे स्थान पर रहे टीएमसी के बाईचुंग भूटिया को 25.48 फीसद मत मिले थे।
इसके पहले के चुनाव में जाएं तो 2004 में बीजेपी को एक लाख 13 हजार 972 मत मिले थे। प्रत्याशी थे डॉ. जीएस योंजोने। इस चुनाव में भाजपा मुकाबले में भी नहीं रही। 2009 के चुनाव में कारण चाहे जो भी रहा हो, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार जसवंत सिंह ने पार्टी के मतों में 38.67 फीसद का जबरदस्त इजाफा किया था। उस समय के सिटिंग सांसद कांग्रेस के दावा नारबूला को सिंह ने मुकाबले में कहीं खड़ा ही नहीं होने दिया था। यही कारण रहा कि नारबूला तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। दूसरे स्थान पर सीपीआइ एम के जीबेश सरकार को 25.29 फीसद मत मिले थे।
एक बार इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार की भी हुई है जीत
आपको बता दें कि दार्जीलिंग संसदीय सीट से एक बात निर्दलीय को भी यहां के मतदाताओं ने जीत का हार पहनाया है। 1967 के चुनाव में निर्दलीय एम बसु यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे।
हालिया दो चुनावों को छोड़ दें तो यहां कांग्रेस व सीपीआइ एम का रहा है दबदबा
2009 और 2014 के आम चुनाव को छोड़ दें तो पहाड़ और मैदान को मिलाकर बने दार्जीलिंग संसदीय क्षेत्र पर कांग्रेस व सीपीआइ एम का दबदबा रहा है। 1957 व 1962 के चुनाव में कांग्रेस के थियोडोर मेनन, 1977 की जनता लहर में भी कांग्रेस ने यहां परचम लहराया था। इंदिरा कांग्रेस के कृष्ण बहादुर छेत्री जीते थे। इसके बाद 1991 में इंद्रजीत तथा 2004 में दावा नरबूला की जीत हुई थी। बात करें सीपीआइ एम की तो 1971 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्कसिस्ट के रतनलाल ब्राह्मण, 1980 में सीपीआइ एम के आनंद पाठक, 1996 में सीपीआइ के आरबी राय, 1998 में आनंद पाठक तथा 1999 में एसपी लेप्चा जीते थे।