WBPCB बंगाल के शहर व कस्बों में लगाया जा रहा ध्वनि प्रदूषण मापने का यंत्र
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) ने अपने जिला-स्तरीय पर्यावरण प्रबंधन योजना में ध्वनि प्रबंधन को शामिल करने का निर्णय लिया है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) ने अपने जिला-स्तरीय पर्यावरण प्रबंधन योजना में ध्वनि प्रबंधन को शामिल करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरुआत के रूप में, बोर्ड ने राज्य के सभी प्रमुख शहरों, कस्बों में तेज आवाज, जिससे कि ध्वनि प्रदूषण फैलता है उसकी निगरानी के लिए साउंड स्टेशनों की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
डब्ल्यूबीपीसीबी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह घोषणा की गई। बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि कोलकाता देश का एकमात्र शहर है जिसमें दस स्थानों पर ध्वनि निगरानी की सुविधा है, और अब इसे सभी बड़े शहरों में बढ़ाया जा रहा है।
पूरे राज्य में 28 ध्वनि निगरानी यंत्र वितरित किए जा रहे हैं। कस्बों में डिस्प्ले बोर्ड भी स्थापित किए जाएंगे, जहां एक कस्बे के विभिन्न हिस्सों से तेज आवाज का स्तर दर्शाया जाएगा।
वहीं, डब्ल्यूबीपीसीबी द्वारा की गई एक और पहल ने मौके पर डेसीबल की जांच करने के लिए पुलिस के लिए पोर्टेबल ध्वनि-स्तर-मापने वाले उपकरणों की शुरुआत की है। इन छोटे लेकिन संवेदनशील उपकरणों को, जिन्हें ध्वनि-स्तर की सीमा कहा जाता है, की लागत प्रत्येक की 55,000 रुपये है।
एक कार्यक्रम में इनमें से 225 उपकरणों को पुलिस आयुक्तों को सौंप भी दिया गया। अपने क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण स्तर के आधार पर चुने गए प्रत्येक निर्दिष्ट पुलिस स्टेशन को इनमें से दो दिए जाएंगे।
प्रत्येक उपकरण 40 से 130 डेसिबल से ध्वनि के स्तर को मापने में सक्षम है और जीपीएस से लैस हैं, विभिन्न क्षेत्रों में ध्वनि के स्तर का ट्रैक रखने के लिए, पुलिस को स्पॉट जुर्माना के लिए रसीद भी जारी किया गया है।
इस वर्ष की शुरुआत में काली पूजा के दौरान, डब्ल्यूबीपीसीबी ने राज्य के 500 से अधिक पुलिस स्टेशनों को ध्वनि-स्तर की निर्धारित सीमा की जानकारी वितरित की गई थी।
बताया गया है कि डब्ल्यूबीपीसीबी के अधिकारी मशीनों के प्राप्तकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित करेंगे। इसके लिए संबंधित एजेंसी दो प्रकार के ध्वनि स्तर की निगरानी रखेगी।